जबलपुर। जबलपुर हाईकोर्ट द्वारा जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध करार देने के बाद जबलपुर मेडिकल यूनिवर्सिटी से संबद्ध पांच मेडिकल कॉलेजों में पीजी के फाइनल ईयर के 468 स्टूडेंट्स के नामांकन रद्द कर दिए गए।
इस कार्रवाई के विरोध में प्रदेश के 3500 मेडिकल स्टूडेंट्स ने इस्तीफे का ऐलान कर दिया है। देर शाम प्रदेश के 3500 जूनियर डॉक्टर्स ने अपना इस्तीफा डीन को सौंप दिया है। इनमें इंदौर के 476 और जबलपुर के 350 छात्र शामिल हैं।
बता दें कि जबलपुर यूनिवर्सिटी ने GMC भोपाल के 95, MGM इंदौर के 92, गजराजा कॉलेज ग्वालियर के 71, नेताजी सुभाषचंद्र बोस कॉलेज जबलपुर के 37 और श्यामशाह कॉलेज, रीवा के 173 स्टूडेंट्स के नामांकन रद्द किए हैं। इसके बाद ये छात्र अब फाइनल ईय़र की परीक्षा में नहीं बैठ सकेंगे।
इससे पहले कोरोना संक्रमण के बीच अपनी मांगों को लेकर बीते चार दिनों से मध्यप्रदेश के तमाम जूनियर डॉक्टर हड़ताल पर हैं। ऐसे में स्वास्थ्य व्यवस्था बेपटरी हो गई है।
इसको लेकर हाईकोर्ट की जबलपुर बेंच ने गंभीरता दिखाई और तमाम जूनियर डॉक्टरों को निर्देश दिया कि वे 24 घंटे में अपनी हड़ताल खत्म कर वापस काम पर लौट जायें।
मध्यप्रदेश हाईकोर्ट ने कोरोना संक्रमण के समय हड़ताल पर गए जूनियर डॉक्टरों के कृत्य की निंदा करते हुए कहा कि इस विपत्ति के समय जबकि जनता को उनकी जरूरत है बावजूद इसके हड़ताल पर जाना कहीं से भी सही नहीं है।
वर्तमान में डॉक्टरों के लिए एक महत्वपूर्ण समय है और ऐसे समय में अगर जूनियर डॉक्टर अपने कर्तव्य से विहीन होते हैं तो उनके इस काम की कतई सराहना नहीं की जा सकती।
जूनियर डॉक्टरों के हड़ताल पर जाने को लेकर हाईकोर्ट में दायर की गई जनहित याचिका पर मुख्य न्यायाधीश मोहम्मद रफीक एवं जस्टिस सुजय पाल ने अपना फैसला सुनाते हुए जूनियर डॉक्टरों की हड़ताल को अवैध घोषित किया है।
हाईकोर्ट ने जूनियर डॉक्टरों को सख्ती से निर्देश दिए हैं कि अगर 24 घंटे के भीतर जूनियर डॉक्टर अपने काम को शुरू नहीं करते हैं तो ऐसे में राज्य सरकार उनके खिलाफ सख्त कार्रवाई करें।
मध्यप्रदेश में जूनियर डॉक्टर्स अपनी छह सूत्रीय मांगों को लेकर हड़ताल पर हैं। जूडा ने सरकार को रविवार तक का समय दिया था कि यदि सरकार ने उनकी मांगों को गम्भीरता से नहीं लिया तो हड़ताल इसी तरह जारी रहेगी।
जूनियर डॉक्टरों का कहना है कि इससे पहले जब उन्होंने हड़ताल शुरू की थी। तब चिकित्सा शिक्षा मंत्री विश्वास सारंग ने उन्हें भरोसा दिलाया था कि उनकी मांगे मानी जाएगी। लेकिन सरकार ने उनकी मांगों पर कोई विचार नहीं किया है।
कोरोना मरीजों का इलाज करते हुए इस बीच कई डॉक्टरों की मौत भी हो गई। ऐसे में उन्हें विवश होकर फिर से हड़ताल शुरू करनी पड़ी। जूडा की मांग है कि संविदा वेतन में बढ़ोतरी कर इसे 55 हजार, 57 हजार, 59 हजार से बढ़ाकर 68 हजार 200, 70 हजार 680 और 73 हजार 160 किया जाए।
इधर जबलपुर जूनियर डॉक्टर्स एसोसिएशन के अध्यक्ष पंकज सिंह का कहना है कि
हाईकोर्ट के आदेश पर हमारी एक बैठक रात को होने वाली है, इस बैठक में तय किया जाएगा कि आगे किस तरह से हम अपनी बात रखेगें, अभी हमारे पास 24 घंटे का समय है।