पश्चिम बंगाल में भारतीय जनता पार्टी एक बेहद मज़बूत स्थिति में मानी जा रही है। बहुत से लोगों को यकीन है कि बीते चुनावों में केवल तीन सीट जीतने वाली पार्टी इस बार बंगाल में चुनाव जीतने जा रही है। अगर ऐसा होता है तो इसके मूल में इंदौर के एक लीडर का भी योगदान होगा। जिसने अपनी प्रदेश की मज़बूत राजनीति को दांव पर लगा दिया।
भाजपा महासचिव कैलाश विजयवर्गीय लगातार चर्चाओं में हैं। पिछले करीब पांच सालों से वे बंगाल में पार्टी के प्रभारी हैं। इस दौरान इंदौर और मध्यप्रदेश पर उनका ध्यान न के बराबर रहा है। कैलाश विजयवर्गीय प्रदेश के मुख्यमंत्री भले ही न बन पाए हों लेकिन उन्हें राजनीति का मास्टर माइंड माना जाता है।
इंदौर वाले कैलाश को जानते हैं समझते हैं। वे मानते हैं कि कैलाश मास्टरमाइंड हैं। न केवल राजनीति में बल्कि हर उस भूमिका में जो उन्हें मिली। जब वे इंदौर के महापौर थे तो उन्होंने इंदौर के विकास में कोई कसर नहीं छोड़ी। जब वे मंत्री बने तो भी वे ख़ासे सक्रिय नज़र आए और अब वे महासचिव और बंगाल प्रभारी हैं।
कहा जाता है कि भाजपा को मज़बूत करने में कैलाश विजयवर्गीय ने बंगाल में तृणमूल कांग्रेस को छिन्न-भिन्न कर दिया। एक तरह से तृण सारे भारतीय जनता पार्टी में आ गए और मूल यानी ममता बनर्जी अलग-थलग पड़ गईं। कहा जाता है कि कैलाश विजयवर्गीय ने बंगाल में एक नई टीम बना ली है। इसमें बहुत से लोग इंदौर के ही है जो पूरी व्यवस्थाएं संभालते हैं और कहना गलत नहीं होगा पिछले कुछ समय में इस टीम ने तेज़ी और मज़बूती से काम किया है।
बंगाल में भाजपा की कामयाबी केवल शोर नहीं है बल्कि हक़ीकत है जो बंगाल चुनावों में नज़र आ चुकी है। पार्टी ने तब 19 सीटें जीती थीं। वहीं उससे पहले हुए विधानसभा चुनावों में पार्टी ने केवल तीन सीटें जीती थीं। ऐसे में कहना गलत नहीं होगा कि केवल तीन सालों में ही भाजपा ने बंगाल में सोच से भी तेज तरक्की की है।
इस दौरान विजयवर्गीय ही बंगाल के प्रभारी थे और पार्टी के लगभग हर काम उनकी ही निगरानी में आयोजित होते थे। विजयवर्गीय ने बंगाली न होते हुए भी बंगाल की राजनीति बदल दी यह तब हुआ जब ममता ने स्थानीयता का मुद्दा उछाला और कहा कि बंगाल में गुजराती सरकार नहीं चलाएंगे।
विजयवर्गीय की राजनीति को बंगाल में अनैतिक भी कहा गया उन पर तरह-तरह इल्ज़ाम भी लगे लेकिन इसमें कोई दो राय नहीं कि विजयवर्गीय ने बंगाल में काफ़ी कुछ साबित किया है। शायद इतना जितना कि भाजपा के किसी प्रादेशिक नेता ने अब तक नहीं किया।
अब शुभेंदु अधिकारी भी तृणमूल छोड़कर भाजपा में आ चुके हैं और मिथुन चक्रवर्ती आने को हैं। इन दोनों को ही राज़ी करने में कैलाश विजयवर्गीय का बड़ा हाथ माना जाता है। शुभेंदु संभवतः वही स्थानीय है जो आने वाले दिनों में बंगाल में भाजपा का चेहरा बन सकते हैं।
मिथुन चक्रवतर्ती को मनाने के लिए इंदौर के मास्टरमाइंड नेता कैलाश विजयवर्गीय की भूमिका अहम रही है। मिथुन दादा को भाजपा में शामिल कराने के लिए विजयवर्गीय ने हर वो संभव कोशिश की। जिसके बाद तय है कि रविवार को मिथुन आखिरकार बीजेपी में शामिल होने जा रहे हैं।
शनिवार रात को मिथुन चक्रवर्ती पश्चिम बंगाल पहुंच गए हैं और रविवार को ब्रिगेड परेड ग्राउंड पर मिथुन दादा बीजेपी की सदस्यता लेंगे। इससे पहले रात को ही वे कैलाश विजयवर्गीय से भी मिले। कैलाश ने इसे लेकर ट्वीट भी किया।