पातालपानी में चल रही शूटिंग, भीड़ में खड़े गांव वालों को मिल गया रोल


इन सभी को फिल्म में छोटा सा काम मिला है लेकिन इस फिल्म के निर्माता-निर्देशकों का यह अंदाज़ लोगों का दिल छू गया है।  इन इलाकों में पहले भी कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है लेकिन फिल्म यूनिट ग्रामीण संसाधनों का उपयोग कर तो लेते हैं लेकिन इससे गांवों में कोई लाभ नहीं होता या वहां के लोगों को किसी तरह का काम नहीं मिलता।


अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :
अभिनेत्री ज़रीन ख़ान शूटिंग के दौरान


महू (इंदौर)। जिले के मशहूर पर्यटन केंद्र पातालपानी में इन दिनों एक फिल्म की शूटिंग चल रही है। फिल्म का नाम पातालपानी ही है जो कॉमेडी-हॉरर ज़ोनर की फिल्म है। जिसमें ज़रीन खान, ईरा अरुण, करण सिंह वोहरा और उपासना सिंह जैसे कई नामी कलाकार काम कर रहे हैं।
ख़ास बात ये है कि फिल्म यूनिट गांवों में काम करने के साथ-साथ यहां के लोगों को काम भी दे रही है। पातालपानी और नेउगुराड़िया के तीन लोगों को अब तक फिल्म में काम मिल चुका है।
ये सभी फिल्म में छोटे-छोटे रोल कर रहे हैं लेकिन इन्हें खुशी है कि इनकी शुरुआत हुई। फिल्म यूनिट के लोग भी ख़ुश हैं कि उन्होंने गांव में आकर कुछ बेहतर किया।
फिल्म का हिस्सा बन चुके इन ग्रामीणों के मुताबिक उन्हें अब तक विश्वास नहीं हो रहा है कि उनके साथ ऐसा हुआ। अब तक वे रोज़ाना शूटिंग देखने ही आते थे लेकिन अचानक भीड़ में खड़े-खड़े ही एक दिन फिल्म में काम करने का ही मौका मिल गया।
ग्रामीण निर्मल फिल्म के एक सह कलाकार के साथ
इन ग्रामीण कलाकारों में से एक निर्मल राठौर ने बताया कि चार दिन से फिल्म की शूटिंग देखने जा रहे थे और भीड़ में खड़े हए थे कि एक दिन उनसे फिल्म यूनिट के एक आदमी ने पूछा कि क्या फिल्म में काम करेगो… निर्मल ने तुरंत हां कर दी।
अब वे इस फिल्म में एक भूत का किरदार निभा रहे हैं। निर्मल कहते हैं कि उन्होंने सपने में भी नहीं सोचा था कि उनके साथ ऐसा होगा लेकिन वे किस्मत के इस खेल से खुश हैं और अब उन्हें उम्मीद है कि किस्मत फिर कुछ कमाल करेगी।
निर्मल के अलावा  नेउगुराडिया गांव की रहने वाली गीता राठौर व प्रभा राठौर को भी फिल्म में काम मिला है। उन्हें भजन-कीर्तन के एक सीन में कीर्तन कर रही महिलाओं के रुप में जगह मिली है।
ये दोनों घरेलू महिलाएं हैं और अपने इस रोल से काफी खुश हैं। फिल्म में सहायक डायरेक्टर शिवाशीष मिश्रा ने बताया कि इस फिल्म में ज्यादा से ज्यादा स्थानीय कलाकारों को मौका दिया जा रहा है।
इन सभी को फिल्म में छोटा सा काम मिला है लेकिन इस फिल्म के निर्माता-निर्देशकों का यह अंदाज़ लोगों का दिल छू गया है। इन इलाकों में पहले भी कई फिल्मों की शूटिंग हो चुकी है लेकिन फिल्म यूनिट ग्रामीण संसाधनों का उपयोग कर तो लेते हैं लेकिन इससे गांवों में कोई लाभ नहीं होता या वहां के लोगों को किसी तरह का काम नहीं मिलता।
इससे पहले अक्षय कुमार की फिल्म पैडमेन की शूटिंग कालाकुंड में हुई थी लेकिन तब वहां के ग्रामीणों को अपने घरों से ही बाहर कर दिया गया था। यहां तक की जिस ग्रामीण के घर को अभिनेता अक्षय कुमार का घर दिखाकर पेश किया गया था वह तीन दिनों तक गायों के साथ बाहर सोया और बाद में उसे कोई पैसा भी नहीं दिया गया।
इस फिल्म में ग्रामीणों से कई तरह के काम लिये जा रहे हैं जो एक तरह से उनके लिए रोज़गार निखारने का ज़रिया तो है ही और क्या पता फिल्म में रोल मिलने से कौन सी छिपी हुई प्रतिभा ज़माने के सामने आ जाए।

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