इंदौर। इन दिनों वैक्सीन लगाने तथा लगवाने वालों के लिए प्रशासन द्वारा बड़ी जद्दोजहद की जा रही है। प्रशासन द्वारा वैक्सीन न लगवाने वालों का घर-घर जा कर सर्वे करवाया जा रहा है। यह जिम्मेदारी आंगनवाड़ी कार्यकताओं को दी गई है। वैक्सीनेशन के अभियान को गति देने में इन छोटे कर्मचारियों का बड़ा योगदान है।
महू तहसील में आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं में एक कर्मचारी ऐसी भी हैं जो अपने कुछ महीने के बच्चे को गोद में लेकर लोगों को वैक्सीनेशन के लिए प्रोत्साहित करने के लिए निकल पड़ीं हैं। वे प्रसूति अवकाश पर हैं लेकिन लगातार काम कर रहीं हैं। विडंबना ये है कि इसकी जानकारी उनके विभाग के अधिकारियों को भी नहीं है।
ग्राम पंचायत में दतोदा आंगनवाड़ी कार्यकर्ता संगीता इन दिनों अपने क्षेत्र में हर घर में दस्तक देकर जानकारी एकत्र कर रही है। संगीता का चार माह का बेटा है और ऐसे में वे उसे घर पर अकेला नहीं छोड़ सकतीं। ऐसे में संगीता अपने बेटे के गोद में उठाकर गर्मी और उमस में सर्वे करने के लिए निकली हैं।
संगीता कहती हैं कि परेशानी जरूर हो रही है लेकिन शासन का आदेश है और अगर ये नहीं माना तो नौकरी खतरे में आ जाएगी। हालांकि वे कहती हैं कि उन्हें कुछ अतिरिक्त आय भी हो रही है जो महंगाई के इस दौर में कुछ राहत ही दे रही है। वे कहती हैं कि काम के दौरान जरुरत होने पर वे कुछ देर के लिए आराम कर लेती हैं। आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को सर्वे के काम के लिए हर महीने पांच सौ रूपये का अतिरिक्त मानदेय दिया जा रहा है है लेकिन वह तीन से चार माह का एक साथ दिया जाता है।
संगीता के अलावा इस काम की जिम्मेदारी ढ़ाई सौ दूसरी आंगनवाड़ी कार्यकर्ताओं को दी गई है। उन्हें बीएलओ बनाया गया है। ये कर्मचारी न केवल महू शहर बल्कि दूरस्थ ग्रामीण अंचलों में भी वैक्सीनेशन के अंजाम दे रहीं हैं।
हां, वह प्रसूति अवकाश पर हैं। जिसकी जानकारी वरिष्ठ अधिकारियों को दे दी गई है। उसे भी काम करने से मना कर दिया है। कुछ आवश्यकता या अनिवार्य होने पर ही कुछ काम करने को कहा गया है। अगर वह नियमित रूप से काम कर रही हैं तो उसे तत्काल मना कर दिया जाएगा।
सुशील चक्रवर्ती, परियोजना अधिकारी महू।