ब्लैक फंगसः इलाज के लिए ज़ायदाद भी बेच रहे लोग, लगने हैं 75 इंजेक्शन लेकिन एक-दो भी मिलना मुश्किल


ब्लैक फंगस के इलाज के लिए बहुत से अस्पताल आयुष्मान कार्ड तक नहीं मान रहे हैं। वहीं अब तक इस रोग से कई लोगों की जान चली गई है या उनकी आंखें निकालनी पड़ीं।


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इन्दौर Published On :

इंदौर। कोरोना की दूसरी लहर अभी पूरी तरह थमी ही नहीं है और तीसरी लहर आने की चर्चाएं तेज हैं। वहीं इन दिनों प्रदेश में ब्लैक फंगस भी एक बड़ी परेशानी बना हुआ है। इस रोग को ठीक करने के लिए दवा और इंजेक्शन तक नहीं मिल रहे हैं और इसके लिए लोग दुकानों और सरकारी अधिकारियों से लेकर मंत्रियों तक के चक्कर लगा रहे हैं।

इस रोग से पीड़ित कई लोग अब तक अपनी जान गवां चुके हैं और कई लोगों की तो आखें निकालनी पड़ीं हैं। इस बीमारी का इलाज बेहद महंगा है। कई लोगों को इलाज के लिए अपनी जायदाद तक बेचनी पड़ी है लेकिन दवाई मिलना फिर भी आसान नहीं है।

जिले में ब्लैक फंगस के मरीजों की संख्या तीन सौ से अधिक बताई जा रही है। इनके परिजन काफी परेशान हैं लेकिन शासन और प्रशासन से अब तक आश्वासन के अलावा उन्हें कुछ नहीं मिला है।

सोमवार को इंजेक्शन न मिल पाने के कारण परेशान हुए परिजनों ने सांसद शंकर लालवानी और मंत्री तुलसी सिलावट की बैठक में घुसकर हंगामा किया। इन लोगों ने बताया कि अस्पताल वाले ठीक से जवाब नहीं दे रहे हैं और एमजीएम मेडिकल कॉलेज में भी कोई जवाबदार लेने को तैयार ही नहीं है। ऐसे में वे कहां जाएं। इनमें से बहुत से लोग करीब दो दिनों तक लगातार एमजीएम मेडिकल कॉलेज में डीन के कमरे के बाहर बैठे थे लेकिन इन्हें फिर भी इंजेक्शन नहीं मिला।

इस रोग के मरीज़ों के लिए एकाध इंजेक्शन काफी नहीं है। दरअसल एक मरीज को ही इलाज के दौरान करीब 75 इंजेक्शन लगते हैं। इनमें पांच इंजेक्शन प्रतिदिन लगाए जाते हैं। वहीं इंदौर को रविवार को ढाई हजार इंजेक्शन मिले। इससे पहले एमवाय अस्पताल में डेढ़ सौ मरीज़ भर्ती हैं और उनके लिए दो हजार इंजेक्शन अभी तक मिल चुके हैं।

इसके अलावा दूसरे निजी अस्पतालों में भी ब्लैक फंगस के मरीजों का इलाज चल रहा है, लेकिन यहां दवा के लिए खासी परेशानी हो रही है इसके अलावा सरकार के कहने के बावजूद बहुत से अस्पतालों में आयुष्मान कार्ड से इलाज नहीं हो रहा है।

 

 

 


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