हरे मटर से पांच गुना ज्यादा प्रोटीन युक्त है इंदौर में विकसित यह सोयाबीन फली, ICAR ने शोध के बाद की तैयार


इस सोयाबीन फली में हरे मटर के मुकाबले ज्यादा प्रोटीन, डेढ़ साल के बाद बाजार में होगी उपलब्ध


DeshGaon
इन्दौर Updated On :

प्रदेश में अब सोया वेजिटेबल की एक नई किस्म मिली है। इसे NRC-188 के नाम से जाना जाता है। इसे इंदौर में स्थित भारतीय सोयाबीन अनुसंधान संस्थान (ICAR) ने शोध के बाद तैयार किया है। यह किस्म खास है क्योंकि इसमें हरे मटर से प्रोटीन की मात्रा अधिक है और इसका स्तर मटर से चार गुना तक है। हालांकि फिलहाल इसे बाजार तक आने में एक तय प्रक्रिया से होकर गुजरना होगा। ऐसे में नोटिफिकेशन जारी होने के बाद इसे कम से कम डेढ़ साल का समय लगेगा।

ICAR ने इस बारे में जानकारी स्पष्ट करते हुए बताया कि हरा छिलका और भरे दाने वाली फ्रेश सोया वेजिटेबल में सोया के लाभ तो होंगे ही साथ ही हरी मटर की तुलना में 4 से 5 गुना अधिक यानी करीब 12 प्रतिशत तक प्रोटीन मिले सकेगा। मीडिया को दी गई जानकारी में बताया गया कि NRC-188 की खासियत यह है कि यह सोयाबीन वेजिटेबल तो है ही, लेकिन जब पूरी तरह विकसित हो जाता है तो इसका रंग आम सोयाबीन की तरह पीला हो जाता है। ऐसे में इसका उपयोग वैसे भी हो पाएगा जैसे आम तौर पर सोयाबीन का किया जाता है।

ICAR की सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट अनिता रानी के हवाले से बताया गया कि , ‘NRC-188 सोयाबीन की अन्य वैरायटियों से अलग है। इसकी खूबी यह है कि इसकी हरी फली को उबालकर खा सकते हैं। यह दूसरे देशों में काफी प्रसिद्ध है लेकिन भारत में अब तक नहीं थी, खासकर सेंट्रल जोन में। यह सेंट्रल जोन की पहली वैरायटी है, जिसे हम सब्जी की तरह खा पाएंगे। इसका नोटिफिकेशन इस साल के अंत तक हो सकता है। इसी तरह की सब्जी की एक वैरायटी करुनई है, जो साउथ जोन के बेंगलुरु में है।’

सीनियर प्रिंसिपल साइंटिस्ट डॉ. विनीत कुमार ने बताया कि

इस सोया वेजिटेबल का बीज गोल है। यह सेंट्रल जोन में पूरे मप्र, बुंदेलखण्ड और विदर्भ रीजन के लिए आईडेंटिफाई की गई है। इसकी खासियत यह है कि जब फली भर जाएगी यानी जब इसका छिलका हरा रहेगा, तब इसे तोड़ना होगा।

उन्होंने बताया कि यह हरी मटर की तरह ही है। हरी मटर रबी की फसल में आती है लेकिन बारिश के सीजन में इस तरह की सोया वेजिटेबल की जरूरत बनी हुई है। जब इसके बीज भरे होंगे, तब इसे उबाल कर सब्जी की तरह उपयोग किया जा सकेगा।

उन्होंने बताया कि

यह खरीफ की फसल है और बारिश के दिनों में ठीक वैसे ही लगाई जा सकती है जैसे सामान्य तौर पर सोयाबीन लगाया जाता है। अगले 95 से 100 दिनों में यह पूरी तरह विकसित हो जाएगा लेकिन इसकी हरी फल्ली 65 से 70 दिन में आ जाएंगी।



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