इंदौर-दाहोद रेल परियोजना के शिलान्यास की 13वीं सालगिरह, धार के लिए जाग रहीं उम्मीदें


इंदौर सांसद शंकर लालवानी के मुताबिक वे अब धार तक इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता से पूरा करवाने का प्रयास करेंगे। 20 करोड़ की जो राशि मिली है उससे टिही के आगे टनल का काम शुरु करवाया जाएगा।


आशीष यादव
इन्दौर Published On :

धार-इंदौर। संभाग का  एक महत्वपूर्ण रेल प्रोजेक्ट इंदौर दाहोद है। जिसके पूरा होने के इंतज़ार लाखों लोग कर रहे हैं। प्रदेश का आदिवासी बहुल इलाका इसी प्रोजेक्ट की आस में अपने विकास के सपने देख रहा है। इस प्रोजेक्ट की नींव डाले हुए आज 13 साल हो चुके हैं।

8 फरवरी 2013 को तत्कालीन प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने इस प्रोजेक्ट की आधारशिला रखी थी। इसके बाद से ही इसे लेकर निराशाजनक खबरें आती रहीं हैं  लेकिन इस बार इस प्रोजेक्ट पर सांसद संकर लालवानी ने बड़े कदम उठाने का आश्वासन दिया है।

लालवानी ने इंदौर दाहौद रेल प्रोजेक्ट की फिर से योजना बनाकर उसे शुरु करने की तैयारी की है। इस प्रोजेक्ट को धार तक पूरा करने की तैयारी की जा रही है। सांसद इस बारे में विशेषज्ञों से राय लेकर  रेल मंत्री पियुष गोयल से मिलकर चर्चा करेंगे।

पिछले दिनों बजट में इस प्रोजेक्ट को केवल बीस करोड़ रुपये दिए गए हैं। जिसके बाद लोगों में रेल को लेकर निराशा थी। हालांकि अब कहा जा रहा है कि इस रकम से पीथमपुर में बन रही टनल का काम आगे बढ़ाया जाएगा।

इस टनल पर रेलवे ने करीब पचास करोड़ रुपये खर्च किये और बाद में यह काम रोक दिया गया। यह विशाल टनल पीथमपुर के नीचे से होकर गुज़रेगी। अब तक यहां डेढ़ किमी टनल बन चुकी है।

इंदौर सांसद शंकर लालवानी के मुताबिक वे अब धार तक इस प्रोजेक्ट को प्राथमिकता से पूरा करवाने का प्रयास करेंगे। 20 करोड़ की जो राशि मिली है उससे टिही के आगे टनल का काम शुरु करवाया जाएगा।  टनल के बाद अब केवल 15 किमी तक सिर्फ पटरियां और बिछाई जानी हैं। इस काम में कोई बहुत अधिक समय नहीं लगेगा।

एक अख़बार के मुताबिक छोटा उदयपुर-धार रेल लाइन का काम जारी है। इस अवधि में वह प्रोजेक्ट भी पूरा होने की उम्मीद है। ऐसे में अगर इंदौर-दाहोद रेल लाइन धार तक भी बिछ जाती है तो आगे कम से कम उस प्रोजेक्ट की कनेक्टिविटी तो मिल ही जाएगी।

इस काम से बड़े पैमाने पर लोगों को लाभ होगा। धार क्षेत्र में रेल के लिए लोग इंतजार ही कर रहे हैं। यहां रेल महासमिति भी बन चुकी है जो सालों से शांतिपूर्ण आंदोलन कर रही है हालांकि इस संघर्ष का परिणाम अब तक आशाजनक नहीं रहा है।

एक नज़र सपनों की रेल पर… इस परियोजना की नींव 8 फरवरी 2008 काे रखी गई।  इस रेल लाइन के निर्माण लिए 14 साल में कुल 876 करोड़ रुपए जारी किए जा चुके हैं। हालांकि जब यह परियोजना शुरु की गई थी तब इसकी अनुमानित लागत 678 करोड़ रुपये थी।

अब तक इस परियोजना की कुल लागत कई सौ करोड़ रुपये बढ़ चुकी है। रेलवे से मिली जानकारी के मुताबिक परियोजना के आवंटित किए गए पुराने बजट का पैसा अब तक खर्च नहीं किया जा सका है।


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