सरकार का दावा- कुत्तों की नसंबदी में केवल पांच शहरों में खर्च हो गए 17 करोड़ रुपये


विशेषज्ञों की मानें तो कुत्तों की नसबंदी एक प्रभावी कदम है। हालांकि सरकार द्वारा नसबंदी किए जाने के बावजूद भी आवारा कुत्तों की संख्या में कोई खास कमी नहीं आई है


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इन्दौर Updated On :

इंदौर। पिछले पांच सालों में इंदौर नगर निगम ने काफी काम किया है। इस दौरान निगम ने शहर को आवारा कुत्तों के आतंक से बचाने के लिए भी काम किया है और करीब 1.06 लाख कुत्तों की नसबंदी करवाई है। इस काम पर निगम ने साढ़े सात करोड़ रुपये भी खर्च किये हैं।

सुनने में भले ही यह अजीब लगे लेकिन नगर निगम ने यह खर्च वाक़ई किया है और यह जानकारी विधानसभा में सरकार ने दी है। इसके अलावा चार अन्य नगर निगमों ने शहर में कुत्तों की नसबंदी पर सत्रह करोड़ रुपये खर्च कर डाले हैं।

विशेषज्ञों की मानें तो कुत्तों की नसबंदी एक प्रभावी कदम है। हालांकि सरकार द्वारा नसबंदी किए जाने के बावजूद भी आवारा कुत्तों की संख्या में कोई खास कमी नहीं आई है और इनके हमलों की कहानियां अक्सर सुनने को मिल जाती हैं।  इसका कारण इस काम में अपनाई गई अनियमतिता बताई जा रही है।

दरअसल विधानसभा में मंगलवार को विधायक यशपाल सिंह सिसौदिया के सवाल के जवाब में सरकार ने यह जवाब दिया। इस जवाब को सुनकर हर कोई चौंक गया। प्रदेश का सबसे बड़ा निकाय इंदौर कुत्तों की नसबंदी पर सबसे ज्यादा खर्च करता है।

इसके बाद  भोपाल, जबलपुर, उज्जैन और ग्वालियर में आवारा कुत्तों की नसबंदी की गई है। इनमें  भोपाल में 6.76 करोड़ रुपये, जबलपुर में 1.70 करोड़, उज्जैन में 50 लाख और ग्वालियर में 53 लाख रुपये खर्च किये गए हैं।

इंदौर में 1 लाख 6000,  भोपाल में 1 लाख 4 हजार, , जबलपुर में 31 हजार 385, उज्जैन में 9000 और ग्वालियर में 13277 कुत्तों की नसबंदी की गई है। इस दौरान  326 कुत्तों की मौत भी हो गई। जिन्हें दफ़नाने के लिए अलग से इंतज़ाम किये गए।

प्रदेश में नसबंदी की जिम्मेदारी चार एनजीओ के पास है। इनमें से दो एनजीओ हैदराबाद और दो एनजीओ भोपाल के हैं। निकायों द्वारा यह नसबंदी किस तरह करवाई जा रही है इस पर अब ध्यान देने की ज़रूरत है क्योंकि एक कुत्ते की नसबंदी पर करीब सात सौ रुपये तक खर्च होते हैं वहीं नर की नसबंदी में खर्च कम आता है।



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