इंदौर में स्कूल की छात्राओं से कपड़े उतरवाकर तलाशी: हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को भेजा अवमानना नोटिस


स्कूल की छात्राओं को कपड़े उतरवाकर फोन की तलाशी लेने का मामला: मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने इंदौर पुलिस कमिश्नर को जारी किया अवमानना नोटिस


DeshGaon
इन्दौर Published On :

मध्य प्रदेश के इंदौर में एक चौंकाने वाली घटना सामने आई है, जिसमें स्कूल की छात्राओं से अभद्रता की गई। यहां छात्राओं के पास फोन की तलाशी के लिए कपड़े उतरवाने के लिए मजबूर किया गया। इस मामले को लेकर इंदौर पुलिस की कार्रवाई पर सवाल उठाते हुए, मध्य प्रदेश हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को अवमानना नोटिस जारी किया है।

इस घटना की गंभीरता को देखते हुए हाईकोर्ट ने पुलिस कमिश्नर को नोटिस भेजा है और उनसे जवाब मांगा है कि क्यों न उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई शुरू की जाए। हाईकोर्ट ने यह नोटिस तब जारी किया जब यह पाया गया कि पुलिस कमिश्नर ने इस मामले में हाईकोर्ट के निर्देशों के बावजूद समय पर रिपोर्ट दाखिल नहीं की थी।

छात्राओं से अभद्रता!

इंदौर के एक स्कूल में यह आरोप लगा है कि वहां की छात्राओं के मोबाइल फोन की तलाशी के लिए उन्हें कपड़े उतारने पर मजबूर किया गया। यह मामला सामने आने के बाद कई अभिभावकों ने नाराजगी व्यक्त की और इस घटना को लेकर पुलिस में 30 अगस्त को पॉक्सो एक्ट के तहत शिकायत दर्ज कराई गई।

हालांकि, याचिकाकर्ता का आरोप है कि पुलिस ने इस निर्देश का पालन नहीं किया, जिसके चलते अब कोर्ट ने सख्त रुख अपनाते हुए नोटिस जारी किया है। अदालत ने निर्देश दिया है कि पुलिस कमिश्नर एक सप्ताह के भीतर शपथ पत्र दाखिल करें और अगली सुनवाई पर व्यक्तिगत रूप से उपस्थित हों।

हाईकोर्ट का आदेश:

13 नवंबर, 2024 को मुख्य न्यायाधीश सुरेश कुमार कैत और न्यायमूर्ति सुष्रुत अरविंद धर्माधिकारी की खंडपीठ ने यह आदेश पारित किया। उन्होंने पुलिस कमिश्नर को व्यक्तिगत उपस्थिति के साथ जवाब दाखिल करने का निर्देश दिया है ताकि कोर्ट को स्पष्ट किया जा सके कि क्यों उनके खिलाफ अवमानना की कार्रवाई न की जाए।

एफआईआर दर्ज की गई धाराएं:

इस घटना की जांच के दौरान, राज्य सरकार ने यह बताया कि शिकायत दर्ज होने के बाद निम्नलिखित धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई थी:

  • धारा 76 (महिला को अपमानित करने के इरादे से हमला या बल प्रयोग) और धारा 79 (महिला की मर्यादा का अपमान करने के लिए शब्द, इशारा या कृत्य) – भारतीय न्याय संहिता के अंतर्गत।
  • धारा 75 (बालकों के प्रति क्रूरता के लिए सजा) – किशोर न्याय अधिनियम, 2015 के अंतर्गत।

कोर्ट का कड़ा रुख:

अदालत ने राज्य सरकार को यह भी निर्देश दिया था कि शिकायत दर्ज होने के बाद उठाए गए सभी कदमों पर एक विस्तृत रिपोर्ट प्रस्तुत की जाए। लेकिन, पुलिस द्वारा समय पर रिपोर्ट न जमा करने पर हाईकोर्ट ने अब सीधे पुलिस कमिश्नर को जवाबदेही के घेरे में ले लिया है।


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