इंदौर। प्रदेश में अब कोरोना वायरस के कारण जन्मी महामारी का भयानक रुप सामने आ रहा है। बीमारी के आगे अब दवा की किल्लत है। रेमडेसिविर इंजेक्शन बाजारों में नहीं है लेकिन मरीजों के नाते-रिश्तेदार दुकानों में इसके लिए लाइन लगाकर खड़े हैं और कई गुना दाम देकर भी दवा के लिये घंटों इंतजार कर रहे हैं।
संतोष की पत्नी आशा अस्पताल में भर्ती हैं। टेस्ट के बाद पता चला कि उन्हें कोरोना नहीं है लेकिन बीमारी के लक्षण और सीटी स्कैन के मुताबिक उनकी बीमारी कोरोना की तरह ही है। स्कैन में पता चलता है कि उनके फेफड़ों में चालीस प्रतिशत तक संक्रमण है। डॉक्टरों के मुताबिक संतोष की पत्नी के इलाज के लिये रेमेडिसिवर इंक्जेशन की ज़रूरत थी लेकिन डॉक्टर इसके लिए हाथ खड़े कर चुके थे ऐसे में संतोष इसके लिए लगातार दवा दुकानों के चक्कर काट रहे थे। इस इंक्जेक्शन की पहले ही किल्लत है इस पर भी वह उन्हें पहले दिया जा रहा है जिनकी कोरोना रिपोर्ट पॉजटिव है। आख़िरकार काफी देर बाद संतोष की पत्नी को कोरोना का इंजेक्शन मिल सका।
इस दवा की कमी को लेकर वे लोग ज्यादा परेशान हैं जिनके मरीज़ों की कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव आई है। दरअसल अस्पतालों में बहुत से ऐसे मरीज़ भर्ती हैं जिनकी कोरोना रिपोर्ट नेगेटिव है लेकिन उनके फेफड़ों में गंभीर संक्रमण है। इन मरीज़ों के इलाज के लिए भी रेमेडिसिवर इंक्जेक्शन की ज़रुरत होती है लेकिन फिलहाल सरकार का आदेश है कि यह इंक्जेक्शन केवल उन्हीं मरीजों को दिया जाए जो कोरोना संक्रमित हैं ऐसे में इन मरीजों के इलाज की दिक्कत सबसे ज्यादा है क्योंकि अगर दवा की सप्लाई शुरु होती भी है तो इन्हें मिल पाना सबसे कठिन होगा।
ख़बर है कि इसे लेकर बहुत से डॉक्टर बेहद चिंतित हैं क्योंकि उनके मरीज़ों की हालत लगातार बिगड़ रही है और दवा के इंतजार मेंं कुछ की तो जिंदगी ही खत्म हो गई।
इस दौरान सबसे बड़ी चिंता यह भी है कि कोरोना संक्रमितों की जांच के लिए किया जाना वाले आरटीपीसीआर या रेपिड एंटीजन टेस्ट पूरी तरह सटीक नहीं हैं। इसकी तस्दीक इन्हीं मरीज़ों की हालत से होती है जिनकी कोरोना रिपोर्ट तो नेगेटिव है लेकिन उनके फेफड़ों में संक्रमण है।
कोरोना मरीजों का इलाज करने वाले एक प्रतिष्ठित डॉक्टर के मुताबिक ये दोनों ही टेस्ट केवल पचास प्रतिशत तक ही सही परिणाम दे सकते हैं लेकिन बीमार को कोरोना है या नहीं इसका सही पता लगाने के लिए सीटी स्कैन एक बेहतर तरीका है जिसमें फेफड़ों में हुए संक्रमण का पता सीधे चल सकता है और इलाज शुरु हो सकता है लेकिन इसके बाद भी मामला उसी रेमेडिसिवर इंक्जेशन पर अटका है।
इस बीच इंदौर प्रशासन ने इंडियन मेडिकल एसोसिएशन के सदस्यों और शहर के निजी अस्पतालों के डॉक्टरों के साथ मिलकर बैठक की है। जहां बताया गया कि बहुत से डॉक्टर सामान्य मरीज़ों को भी रेमेडिसिवर लगा रहे हैं जो की ठीक नहीं है। ऐसे में कई बार अनावश्यक तौर पर ही मरीज़ों को रेमेडिसिवर लगाया जा रहा है जिसके चलते लोगों को इंजेक्शन नहीं मिल रही है।
कलेक्टर मनीष सिंह ने बताया कि आईएमए के सदस्य डॉक्टरों और शहर के कुछ प्रतिष्ठित डॉक्टर मिलकर रेमेडिसिव इंजेक्शन के लिए एक प्रोटोकॉल बना रहे हैं जिसके बाद इस से इस इंजेक्शन का उपयोग तय हो जाएगा।
प्रदेश में संक्रमण के कारण कई मौतें हो रहीं हैं लेकिन इनकी संख्या बुलेटिन के आंकड़ों में कम ही जोड़ी जा रही है इसकी वजह कोरोना संक्रमण की यही रिपोर्ट है जो अगर नेगेटिव होती है तो मरीज़ को कोरोना संक्रमित नहीं माना जाता भले ही उसकी मौत फेफड़ों के इसी संक्रमण से हुई हो।
ऑक्सीजन की कमी से पांच की मौत…
अब इसके अलावा ऑक्सीजन की कमी भी हो रही है। बीते 48 घंटों में ही प्रदेश में पांच लोगों की मौत हो चुकी है इनमें से चार लोगों की मौत सागर में और एक की मौत खरगोन में हुई है। बुधवार सात अप्रैल तक प्रदेश में सात हज़ार संक्रमित मिल चुके हैं।
प्रदेश सरकार ने रेमेडिसिवर इंक्जेक्शन को आर्थिक रुप से कमज़ोर मरीज़ों के लिए खरीदकर रखने की कवायद शुरु की है तो वहीं ऑक्सीजन की कमी को पूरा करने के लिये सरकार ने भिलाई स्टील प्लांट से अनुबंध किया है। जहां से अगले एक दो दिनों में रोज़ाना साठ टन ऑक्सीजन मिलेगी।
एहतियाती कदम उठाते हुए सरकार ने ऐलान किया है कि अब सभी शहरों में रविवार को लॉकडाउन होगा और बाज़ार सुबह दस से छह बजे तक खुलेंगे और यहां नाइट कर्फ्यू रहेगा। यही नहीं सरकारी दफ्तर भी केवल हफ्ते के पांच दिन ही खुलेंगे। वहीं छिंदवाड़ा जिले में बढ़ते मामलों को देखते हुए रात 8 बजे से अगले 7 दिन तक टोटल लॉकडाउन रहेगा।