रेमडेसिविर इंजेक्शन निजी अस्पतालों में पहुंचे, अब भी भटक रहे मरीज़


जिला प्रशासन द्वारा जारी सूची के मुताबिक शुक्रवार को शहर के 87 अस्पतालों को 2680 इंजेक्शन उपलब्ध करवाए गए हैं। 


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इन्दौर Published On :
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इंदौर। जिला प्रशासन ने निजी अस्पतालों में भर्ती गंभीर संक्रमितों के इलाज के लिए रेमडेसिविर इंजेक्शन भेजे हैं। इसके लिए एक पूरी सूची तैयार की गई है। इस सूची के आधार पर ही इंजेक्शन पहुंचाए गए हैं। हालांकि बहुत से अस्पतलों के मुताबिक जितने इंजेक्शन मिले हैं वे पर्याप्त नहीं हैं। इस बीच अस्पतालों में मरीज़ इजेक्शन हांसिल करने के लिए परेशान हो रहे हैं।

जिला प्रशासन द्वारा जारी सूची के मुताबिक शुक्रवार को शहर के 87 अस्पतालों को 2680 इंजेक्शन उपलब्ध करवाए गए हैं।  इंदौर के दवा बाजार से इंजेक्शन की कालाबाजारी और अधिक कीमत पर बेचने की शिकायतों के बाद इंजेक्शन वितरण व्यवस्था को अपने हाथ में ले लिया है। इसके लिए अलग-अलग  एसडीएम द्वारा ड्रग इंस्पेक्टर के माध्यम से शहर के अस्पतालों में रेमडेसिविर इंजेक्शन पहुंचाए जा रहे हैं।

शहर के जिन दो निजी अस्पतालों में सबसे ज्यादा संक्रमित भर्ती होने के लिए पहुंचाए जा रहे हैं उनमें  इंडेक्स मेडिकल कालेज और अरबिंदो अस्पताल हैं। ऐसे में इन दोनों अस्पतालों को पांच-पांच सौ इंजेक्शन दिये गए हैं। इसके बाद चोईथराम अस्पताल को 75 इंजेक्शन, शेल्बी अस्पताल में 65, सिनर्जी अस्पताल में 51 इंजेक्शन पहुंचाए गए हैं। एप्पल, अपोलो अस्पताल, बाम्बे अस्पताल, सीएचएल अस्पताल, गोकुलदास अस्पताल, मयूर अस्पताल, यूनिक अस्पताल, डीएनएस अस्पताल में 50-50 इंजेक्शन मिले हैं।

एसएनजी अस्पताल में 42, ग्रेटर कैलाश अस्पताल और वर्मा यूनियन अस्पताल में 40-40 इंजेक्शन दिए गए। इसके अलावा ट्रू केयर अस्पताल में 38,दशमेश अस्पताल में 35 इंजेक्शन दिए गए हैं।

जिला प्रशासन को इंजेक्शन की कालाबाज़ारी की शिकायतें मिल रही हैं। महू के अस्पतालो में बहुत से मरीज़ अपने साथ इंजेक्शन लेकर अस्पताल में भर्ती होने पहुंच रहे हैं। इसकी जानकारी जिला प्रशासन को भी दी गई है। फिलहाल न तो  इंजेक्शन बाज़ार में हैं और न ही पर्याप्त मात्रा में अस्पतालों के पास ऐसे में मरीज़ों के पास कहां से आ रहे हैं यह सवाल बड़ा है।

इसे लेकर महू एसडीएम अभिलाष मिश्रा ने शुक्रवार शाम को बहुत से मेडिकल स्टोर पर जांच की। वहीं जिला प्रशासन के द्वारा एप्पल अस्पताल को जारी किये गए इंजेक्शन और अस्पताल द्वारा उनके उपयोग के मामले में रिकार्ड की जांच की जा रही है।

वहीं राऊ के एक अस्पताल के मेडिकल स्टोर को भी बंद किया गया है। जिला प्रशासन द्वारा प्रयास किया जा रहा है कि अस्पताल में जो मरीज भर्ती हैं उन तक इंजेक्शन प्रतिदिन पहुंच सके।


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