महूः अब तो बाजार में बिकने लगी है गोबर से बनी रेडीमेड गुलरिया


बाजार में अब सब कुछ रेडीमेड उपलब्ध होने लगा है, लेकिन साल में एक बार होली माता की पूजा पर चढ़ने वाली गोबर से बनी गुलरियों के हार भी बाजार में रेडिमेड बिकने लगे है।


अरूण सोलंकी अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :

महू। बाजार में अब सब कुछ रेडीमेड उपलब्ध होने लगा है, लेकिन साल में एक बार होली माता की पूजा पर चढ़ने वाली गोबर से बनी गुलरियों के हार भी बाजार में रेडिमेड बिकने लगे है।

इसका कारण एक तो गोबर का आसानी से ना मिलना होने के साथ-साथ महिलाओं व बच्चों में घर में गोबर की गुलरिया बनाने का खत्म होता शौक भी है।

वर्षों पुरानी परपंरा है कि होली माता की पूजा के दौरान गोबर से बनने वाला हार चढ़ाया जाता है जिसका ग्रामीण क्षेत्रों में ज्यादा चलन है। इसमें कभी एक पखवाड़े पूर्व हर परिवार में गोबर से विभिन्न प्रकार की आकृतियां बनाई जाती थी जिसमें नारियल, चीभ, गोल चकरी, पान आदि प्रमुख था।

लेकिन, अब यह परंपरा या तो खत्म होती जा रही है या फिर अब इसके प्रति रूचि नहीं रही, लेकिन अब घर-घर में बनने वाले गुलरिया बाजार में रेडीमेड बिकने लगी है।

गोबर से बनी इस प्रकार की गुलरियां बेचने वाली सुधा बाई ने बताया कि अब महिलाएं गोबर की गुलरिया बनाने में रूचि नहीं लेतीं और ना ही आसानी से अब गोबर मिलता है।

 

इसके अलावा गोबर एकत्र करने व घर में बनाने में शर्म महसूस होने लगी है। साथ ही मात्र बीस रुपये में गोबर से बनी गुलरियों के हार आसानी से मिलने लगे हैं।

सुधा बाई ने बताया कि महू में इसकी मांग अब धीरे-धीरे ज्यादा होने लगी है। वे खुद ही एक दिन में पांच से सात सौ रुपये की गुलरियों के हार बेच लेती हैं।

उन्होंने बताया कि होली के दिन तक इसकी मांग और ज्यादा हो जाएगी। वह बीत एक माह से इसे बना रही हैं तथा अब बेचना शुरू किया है।



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