इंदौर। पिछले दिनों राहुल गांधी ने पिछड़ी जातियों की समान हिस्सेदारी की बात कही थी और फिर बिहार में जातिगत जनगणना के आंकड़े सामने आ गए हैं। इसके बाद से कांग्रेस इस विषय को लगातार मुद्दा बनाने की तैयारी में हैं। मप्र के चुनावों में भी यह मुद्दा ज़ोर-शोर से उठाया जाने वाला है। बुधवार को कांग्रेस के प्रदेश प्रभारी रणदीप सिंह सुरजेवाला इंदौर में थे। यहां उन्होंने एक प्रेसवार्ता कर कहा कि भाजपा सरकार का डीएनए आरक्षण विरोधी है। सुरजेवाला ने कहा कि जातिगत जनगणना समतामूलक समाज के सृजन का स्तंभ है और जितनी आबादी उतना हक वक्त की मांग है। उन्होंने कहा कि यही वजह है कि राहुल गांधी व कांग्रेस पार्टी लगातार ‘जातिगत जनगणना’ की मांग उठाते आए हैं, ताकि समाज की यथार्थ स्थिति के आधार पर संसाधनों का उचित बंटवारा भी हो, व समान न्याय भी।’
सुरजेवाला ने आगे कहा, ‘पीएम नरेंद्र मोदी सहित पूरी भारतीय जनता पार्टी आज ‘जातिगत जनगणना’ के घोर विरोध में खड़ी है। खुद नरेंद्र मोदी ने ग्वालियर में जातियों की गणना को पाप करार दे दिया। नरेंद्र मोदी के चहेते केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह तो एक कदम और आगे बढ़ गए, तथा जातिगत जनगणना को ‘भ्रम फैलाने के अलावा कुछ नहीं’ करार दे डाला। मध्य प्रदेश में शिवराज सिंह चौहान तथा सारे भाजपा नेतृत्व को ‘जातिगत जनगणना’ के मुद्दे पर जैसे साँप सूंघ गया हो। कड़वा सत्य यह है कि भाजपाई ‘जातिगत जनगणना’ के घोर विरोधी हैं। उनका यह पूर्वाग्रह इस भय से संचालित है कि अगर OBC दलितों, आदिवासियों की असली संख्या उन्हें मालूम चल गई, तो वो उनका दमन नहीं कर पाएंगे। भाजपा के डीएनए में ही OBC हकों का विरोध है।’
सुरजेवाला ने कहा कि, ‘भाजपा सरकार ने शपथ पत्र दे सुप्रीम कोर्ट में जातिगत जनगणना का विरोध किया। मोदी सरकार सहित पूरी भाजपा का OBC विरोधी चेहरा तब बेनकाब हुआ जब उन्होंने CWP No 841\2021 में शपथ पत्र दे कहा कि ‘जातिगत जनगणना न करवाना एक सोचा समझा नीतिगत फैसला है’। यही नहीं, उन्होंने यह भी कहा कि अगर अदालत भी पिछड़ों।की जनगणना का हुक्म देती है, तो यह भारत सरकार के कानून और नीति में दखलंदाजी होगी। उन्होंने कहा कि भाजपा की बदनीयति का इससे बड़ा सबूत क्या हो सकता है?’
Live : कांग्रेस के राष्ट्रीय महासचिव श्री रणदीप सिंह सुरजेवाला जी इंदौर प्रेस क्लब में पत्रकारों को संबोधित कर रहे हैं। https://t.co/SXffLZElKX
— MP Congress (@INCMP) October 4, 2023
सुरेजवाला ने नौकरियों का एक चार्ट पेश करते हुए बताया कि OBC की आबादी लगभग 52 प्रतिशत है लेकिन ग्रुप बी में महज 15.70% और ग्रुप सी के पदों पर 22.50% प्रतिनिधित्व है। अफसरशाही नौकरियों में जातियों के हिसाब से प्रतिनिधित्व को लेकर कहा कि 52 फीसदी आबादी के बावजूद 16.80 फीसदी अफसर ही ओबीसी वर्ग के हैं। उन्होंने कहा कि यह बात खुद मोदी सरकार के कार्मिक मंत्रालय ने हाल ही में संसद में पेश की गई अपनी रिपोर्ट में मानी है।
सुरजेवाला ने यह भी कहा कि, ‘भारत सरकार की नौकरियों में आज भी 2,65,000 OBC पद खाली पड़े हैं। दलितों और आदिवासियों की खाली नौकरियों का हाल तो और भी बुरा है। केंद्रीय PSU में तो अब OBC,SC,ST का आरक्षण ही खत्म हो रहा है, क्योंकि इनको विनिवेश की नीति के तहत बेचा जा रहा है। जैसे ही सरकारी उपक्रमों को बेचते हैं, तो OBC,SC,ST का आरक्षण अपने आप खत्म हो जाता है। उच्च शिक्षा संस्थानों में भी OBC,SC,ST आरक्षित पद खाली पड़े, जानबूझकर नहीं भरे जा रहे, ताकि गरीबों को मौका न मिले।।देश में 45 केंद्रीय विश्वविद्यालय हैं। पिछले 9 साल की भाजपा सरकार में केंद्रीय विश्वविद्यालयों के 46 प्रतिशत OBC आरक्षित पद खाली पड़े हैं, यानि उन्हें नौकरी ही नहीं दी गई। इसी प्रकार केंद्रीय विश्वविद्यालयों में SC वर्गों के 37 प्रतिशत आरक्षित पद व ST वर्गों के 44 प्रतिशत आरक्षित पद खाली पड़े हैं।’