मीडिया रिपोर्ट्स के गंभीर सवाल, मरने वाले संक्रमित थे लेकिन कोरोना बुलेटिन में शामिल नहीं…


पोस्टमार्टम के लिए पहुंच रही कोरोना संक्रमितों की दर्जनों लाशें लेकिन मेडिकल रिपोर्ट्स में इनका ज़िक्र तक नहीं है। यह स्थिति मेडिकल बुलेटिन पर संदेह पैदा कर रही है।


DeshGaon
इन्दौर Updated On :
प्रतीकात्मक तस्वीर


इंदौर। जिले में कोरोना का प्रकोप लगातार बढ़ रहा है। मंगलवार को 643 नए संक्रमित मिले हैं। पिछले कुछ दिनों में ही यहां चार हज़ार से अधिक संक्रमित मिल चुके हैं हालांकि सक्रिय मामले की संख्या 3973 ही बताई जा रही है।  इस बीच मृतकों की संख्या  960 हो चुकी है। इसे लेकर भी इन दिनों भ्रम की स्थिति बनी हुई है। इंदौर के अस्पतालों में लोगों की मौतें तो लगातार हो रहीं हैं लेकिन ये मौतें रिकार्ड में दर्ज नहीं की जा रही है।

प्रशासन हर दिन संक्रमितों के नए आंकड़े देता है लेकिन मौत के आंकड़े इनमें साफ नहीं होते हैं। कोरोना से मौत के आंकड़ों को जारी करने से पहले एक पूरी तस्दीक की जाती है। यह काम डेथ ऑडिट कमेटी करती है। इसमें देखा जाता है कि मृत्यु की वजह क्या है। मीडिया रिपोर्ट्स की मानें तो इंदौर प्रशासन द्वारा जारी किये जा रहे कोरोना संक्रमितों की मृत्यु के आंकड़े फिलहाल विश्वसनीय नज़र नहीं आ रहे हैं। इसके पीछे कुछ ठोस वजहें भी बताई जाती है। जिनके मुताबिक बहुत सी मौतों का कारण कोरोना है लेकिन सरकारी आंकड़ों में इसे शामिल नहीं किया गया।

मीडिया रिपोर्ट्स पर जाएं तो यह जानकारी काफी हद तक सही भी साबित होती भी नज़र आती है। 31 मार्च को दैनिक भास्कर अख़बार में प्रकाशित एक रिपोर्ट में पता चलता है कि कैसे इंदौर के एमवाय अस्पताल में मंगलवार को 20 शव आए। ये सभी शव उन अस्पतालों से आए जिनमें कोरोना संक्रमितों का इलाज चल रहा था। इनमें से सात लोग कोरोना संक्रमित भी हुए थे जिनकी बाद में मौत हो गई। वहीं आठ लोग संदिग्ध थे। हालांकि प्रशासन के द्वारा जारी बुलेटिन में मंगलवार को केवल एक मौत संक्रमण के कारण हुई है।

31 मार्च 2021, दैनिक भास्कर

कोरोना से मृत्यु की संख्या को कम दिखाने की बात कहने वाली यह अकेली रिपोर्ट नहीं है। इसके पहले 28 मार्च को नईदुनिया अख़बार ने भी तकरीबन यही बात कही थी। यह ख़बर भी पहले पेज पर ही प्रकाशित हुई थी।  ख़बर में बतया गया था कि कैसे शनिवार को एमवाय अस्पताल में 15 शव पहुंचे थे। ये सभी शव संक्रमितों के इलाज कर रहे अस्पतालों से पहुंचे थे। रिकार्ड के अनुसार इन शवो में 9 कोरोना संक्रमितों के थे और चार संदिग्धों के थे जिनकी रिपोर्ट आना बाकी है।

28 मार्च 2021, नईदुनिया

हालांकि 28 मार्च के मेडिकल बुलेटिन में संक्रमण से मृतकों की संख्या 957 बताई जाती है तो वहीं 29 मार्च को 959 और 30 मार्च को 960 बताई जाती है। ऐसे में 27 मार्च को अगर एमवाय अस्पताल में 9 कोरोना संक्रमितों के शव पहुंचे थे तो क्या उनकी मौत का कारण कोरोना नहीं माना जाएगा।

जिले में कोरोना के नोडल अधिकारी डॉ. अमित मालाकार कहते हैं कि सामान्य तौर पर डेथ ऑडिट में दो से तीन दिन तक लग सकते हैं ऐसे में सवाल उठता है कि क्या 27 मार्च को पहुंचे 9 संक्रमितों के शवों का डैथ ऑडिट अब तक नहीं हो सका है। सवाल उन चार अन्य संदिग्धों के बारे में भी उठता है।

इसे लेकर डॉ. अमित मालाकार कहते हैं कि समाचारों की ख़बर और डेथ ऑडिट में भिन्नता हो सकती है। उन्होंने कहा कि डेथ ऑडिट के बाद ही मौतों की सही स्थिति बताई जा सकती है क्योंकि यही नियम है।

इंदौर के बहुत से लोगों से बात करने पर पता चलता है कि कोरोना से मृत्यु के आंकड़े विश्वसनीय नहीं है। महू तहसील में भी बीते कुछ दिनों में हुई मौतों को वहां के डेथ रिकार्ड में नहीं जोड़ा गया। कुछ मौतों का कारण तो यहां कोरोना बताया गया लेकिन उसे रिकार्ड में शामिल नहीं किया गया।

ऐसे में स्वास्थ्य विभाग और प्रशासन पर सवाल उठना लाज़िमी है। प्रशासन को या तो मीडिया रिपोर्ट्स को लेकर ठोस  जवाब देना चाहिए या फिर मेडिकल बुलेटिन में स्थिति स्पष्ट करना चाहिए क्योंकि कोरोना से प्रशासन और जनता साथ में ही लड़ रहे हैं ऐसे में यहां स्थिति पूरी तरह पारदर्शी होनी चाहिए। इंदौर के लोगों को यह जानना भी ज़रूरी है कि उनके शहर में कोरोना कितने लोगों की जान ले रहा है या फिर यह पता चलना चाहिए कि उन तक तमाम माध्यमों से पहुंचने वाली ख़बरें झूठी या बेबुनियाद हैं।

 


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