RTI कार्यकर्ता से ब्लैकमेल हो रहे थे अधिकारी, इंदौर कलेक्टर ने की FIR की तैयारी


सवाल यह है कि ऐसी कौन सी सूचना है जिसके बाहर आने के डर से अधिकारी डर रहे हैं और आरटीआई कार्यकर्ता पर ब्लैकमेल करने के आरोप लगा रहे हैं…


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इन्दौर Published On :

इंदौर। सूचना के अधिकार कानून पर प्रशासनिक अधिकारियों का रवैया कई बार बहुत अच्छा नहीं रहा है। इंदौर में अब कलेक्टर मनीष सिंह ने एक आरटीआई कार्यकर्ता पर एफआईआर दर्ज करने को कहा है।

कलेक्टर ने यह फैसला उक्त आरटाआई कार्यकर्ता द्वारा अधिकारियों और कर्मचारियों को ब्लैकमेल करने को लेकर लिया है। हालांकि इस मामले में राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने ब्लैकमेल हो रहे अधिकारियों को लेकर भी सवाल किया है। उन्होंने पूछा है कि वे कौन से अधिकारी हैं जो सार्वजनिक तौर पर जो सूचनाएं उपलब्ध होनी चाहिए उनसे भी ब्लैकमेल हो रहे हैं।

कलेक्टर मनीष सिंह ने सोमवार को टाइम लिमिट बैठक में आरटीआई एक्टिविज्म के नाम पर अधिकारियों एवं कर्मचारियों को ब्लैकमेलिंग करने और वसूली करने के आरोप में संजय मिश्रा के खिलाफ एफआईआर के निर्देश अपर कलेक्टर अभय बेडेकर को दिए। अधिकारियों ने बैठक में संजय मिश्रा द्व्रारा सूचना के अधिकार का दुरुपयोग कर ब्लैकमेल करने की शिकायत कलेक्टर मनीष सिंह से की थी।

वहीं इस मामले संजय मिश्रा ने एफआईआर को पद और शासकीय तंत्र का दुरुपयोग कर छवि धूमिल करने का प्रयास बताया है। संजय मिश्रा ने लिखा कि मैंने हमेशा ईमानदारी के साथ देशहित जनहित शासन हित में काम किया है। मेरे द्वारा ईमानदारी से काम करने से भयभीत होकर मेरे ऊपर झूठे आरोप लगाए जा रहे हैं जिसकी निष्पक्ष जांच होना चाहिए।

 

राज्य सूचना आयुक्त राहुल सिंह ने इंदौर कलेक्टर के आदेश की सूचना पर अपनी राय रखी। उन्होंने सोशल मीडिया पर लिखा- ब्लैकमेल करना आपराधिक कृत्य है इसमें कार्रवाई होना चाहिए,साथ ही RTI की जिस जानकारी के लिए ब्लैकमेल किया जा रहा है उस जानकारी को प्रशासनिक पारदर्शिता के मापदंड के तहत पब्लिक प्लेटफॉर्म पर डाल देना चाहिए क्योंकि सवाल अक्सर यह भी उठते हैं कि ब्लैकमेल किस किस्म के अधिकारी होते हैं?

पस्त हो जाएगी कानून की मंशा

इस आदेश पर आई प्रतिक्रियाओं में कहा गया कि अगर अधिकारी सही है तो ब्लैकमेल कैसे हो सकता है उसको तो सिर्फ जानकारी देना है,कही कलेक्टर महोदय पर भी तो तलवार नही गिरने वाली थी जो सीधा FIR के निर्देश दे दिए। यह भी गया कि कुछ तो सबूत ब्लैकमेलिंग के होना चाहिए वरना हर अधिकारी जो जानकारी नही देना चाहता है और कार्यवाही से बचना चाहता है वह ब्लैकमेलिंग का आरोप जरूर लगाएगा।

एक अन्य प्रतिक्रिया में कहा गया कि अगर RTI एक्ट के इस्तेमाल के प्रति कोई अधिकारी हतोत्साहित करता है तो क्या उसे एक्ट के तहत अपराध नहीं माना जाना चाहिए? य़ह सरासर गलत है। ऐसे तो हर RTI एक्टिविस्ट ब्लैकमेलर हो गया। ऐसे बेतुके फरमानों से कानून की मंशा ही पस्त हो जाएगी।


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