पुलिस ने नहीं स्वीकारा मंत्री उषा ठाकुर के ख़िलाफ़ आवेदन, शिकायतकर्ता वनकर्मी अकेले अड़े रहे


शिकायतकर्ता राम सुरेश दुबे के अनुसार जब समर्थक वाहन निकाल कर ले जा रहे थे तब मंत्री ठाकुर स्वयं यहां मौजूद थीं। उन्होंने ग्यारह जनवरी की रात को बड़गोंदा थाने में एक आवेदन देकर मंत्री सहित भाजपा नेताओं पर शासकीय कार्य में बाधा डालने  व बिना अनुमति के वाहन ले जाने का प्रकरण दर्ज करने को कहा। 


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इन्दौर Updated On :
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इंदौर।  प्रदेश की  पर्यटन संस्कृति और आध्यात्म मंत्री उषा ठाकुर के बारे में अवैध उत्खनन के मामले में की गई शिकायत अब रुक चुकी है। पुलिस ने एक वनपाल की शिकायत पर गौर करने से मना कर दिया है और इसके बाद एक नई शिकायत भेजने को कहा है।

शिकायतकर्ता के मुताबिक इसके बाद मामले को लेकर उन पर कई तरह के दबाव डाले जा रहे हैं और धमकी भी दी जा रही है। इस नई शिकायत में मंत्री उषा ठाकुर का नाम नहीं है। हालांकि वन मंत्री विजय शाह ने मामले में जांच के आदेश दे दिये हैं। इस मामले में कांग्रेस पार्टी ने जहां ठाकुर से इस्तीफ़े की मांग की है तो वहीं प्रदेश के कई सामाजिक कार्यकर्ताओं ने इसे मामले की जांच की मांग की है।

मंत्री की शिकायत करने वाले वनपाल ने पूरी दमदारी से इस बात को स्वीकारा कि उषा ठाकुर अपने करीब बीस सर्मथकों के साथ अवैध उत्खनन के आरोप में जब्त कर लाए गए वाहनों को वन कार्यालय परिसर से जबरदस्ती उठाकर ले गईं थी।

 

उल्लेखनीय है कि दो दिन पूर्व वन विभाग द्वारा बड़गोंदा क्षेत्र में एक भाजपा से जुड़े कार्यकर्ता का डम्पर  और जेसीबी मशीन जब्त कर पंचनामा बनाया गया था।

इस पर शासकीय कार्य में बाधा डालने व वाहन ले जाने  पर प्रदेश की मंत्री व भाजपा नेताओं पर प्रकरण दर्ज करने का आवेदन थाने में दिया गया। पुलिस भी रात भर इस आवेदन को लेकर चर्चा करती रही दूसरे दिन उसे वापस कर दिया गया।

मामला उजागर होते ही वन विभाग में हडकंप मच गया और जिले के वरिष्ठ अधिकारी महू पहुंच गए और मामले को सुलझाने के प्रयास किया। दरअसल दो दिन पहले वन विभाग ने चोरल क्षेत्र में भाजपा नेता मनोज पाटीदार के जेसीबी मशीन व डम्पर जब्त कर अपने परिसर में रखवा लिया था।

आड़ा पहाड़ वन्य क्षेत्र में इन वाहनों से अवैध रूप से मुरम खोद कर सड़क बनाने के लिए उपयोग में ली जा रही थी। ग्यारह जनवरी को प्रदेश की मंत्री व स्थानीय विधायक उषा ठाकुर को इसकी जानकारी दी गई तो वे विभाग के कार्यालय पहुंंची और अपने सर्मथकों के साथ जब्त वाहनों को छुड़वाकर ले गईं।

वनपाल राम सुरेश दुबे के अनुसार जब समर्थक वाहन निकाल कर ले जा रहे थे तब मंत्री ठाकुर स्वयं यहां मौजूद थीं। उन्होंने ग्यारह जनवरी की रात को बड़गोंदा थाने में एक आवेदन देकर मंत्री सहित भाजपा नेताओं पर शासकीय कार्य में बाधा डालने  व बिना अनुमति के वाहन ले जाने का प्रकरण दर्ज करने को कहा था।

आवेदन पर मंत्री का नाम आते ही विभाग में हड़कंप मच गया तथा यह कह कर टाल दिया गया कि मंगलवार की सुबह प्राप्ती ले जाना लेकिन सुबह यह कह कर आवेदन वापस लौटा दिया गया कि विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के माध्यम से ही यहां आवेदन दें। यह जानकारी लगते ही हड़कंप मच गया।

जिला वन विभाग के अधिकारी भी हरकत में आ गए तथा शाम को महू की दौड़ लगा दी। बंद कमरे में स्थानीय अधिकारियों से चर्चा की। जिसमें किसी तरह मामला शांत करने पर विचार विमर्श हुआ।

बताया जाता  है कि दुबे ने इस आवेदन की काॅपी प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, मुख्यमंत्री, प्रदेश के वन मंत्री सहित विभाग के सभी वरिष्ठ अधिकारियों तक भेज दी। अब यह आवेदन विभाग के लिए गले की हड्डी बन गया क्योंकि इसकी पूरी जानकारी मय आवेदन के कांग्रेस के पास भी पहुंच गई।

मामले में पुलिस विभाग ने गेंद फिर  वन विभाग के पाले में डाल दी है। स्थानीय एएसपी अमित तोलानी ने बताया कि वे वन विभाग के वरिष्ठ अधिकारियों के द्वारा ही विभागीय शिकायत के आवेदन स्वीकार करते हैं, ऐसे में पहला आवेदन स्वीकार नहीं हुआ है और जब डीएफओ को मार्क किया हुआ आवेदन आएगा तो उसे स्वीकार किया जाएगा।

आवेदन में मंत्री उषा ठाकुर, भाजपा नेता मनोज पाटीदार, सुनील यादव, वीरेंद्र आंजना, अमित जोशी सुनील पाटीदार, प्रदीप पाटीदार के अलावा करीब 15 से 20 नेताओं के नाम है  इसलिए हुआ यह मामला इस मामले के पर्दे के पीछे एक और कहानी सामने आ रही है। जब दस जनवरी को जेसीबी मशीन व ट्रैक्टर ट्रॉली जब्त की गई।

ग्यारह जनवरी को  मंत्री उषा ठाकुर तहसील के ग्रामीण क्षेत्रों के दौरे पर होकर कार्यक्रम में भाग ले रहीं थी। इस दौरान जब मंत्री को जानकारी लगी तो उन्होंने वन विभाग के अधिकारियों को लगातार फोन लगाए गए लेकिन किसी ने नहीं उनका फोन नहीं उठाया।

इस पर मंत्री नाराज हो गई और मौके पर पहुंच गई जहां यह सब हो गया। ऐसे में अगर अधिकारी फोन उठा लेते तो संभव ऐसा नहीं होता। हालांकि यह भी कहा जाता है कि ठाकुर के कुछ सर्मथकों से वन विभाग के कर्मचारी खासे परेशान हैं और इस विवाद की एक वजह वे भी रहे।


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