इंदौर। नगरीय निकायों में एक ओर जहां अध्यक्ष के चुनाव के लिए मतदान की तैयारी होनी है तो वहीं पीथमपुर नगर पालिका परिषद में अब तक सीएमओ पद पर ही रार बनी हुई है। यहां का मामला पहले ही कोर्ट में जा चुका है। दोनों ही ओर से बड़े वकील लगाए जा रहे हैं। यहां से रवाना करवाए गए सीएमओ गजेंद्र सिंह बघेल कैसे भी कुर्सी पर वापस लौटना चाहते हैं और नई सीएमओ डॉ. मधु सक्सेना अपनी कुर्सी बचाए रखना चाहती हैं वहीं सबसे बड़ी चुनौती नपा के उन नेताओं की है जिन्होंने गजेंद्र सिंह बघेल को यहां से हटाने की सिफारिश की है।
पीथमपुर नगर पालिका परिषद में हुआ सात करोड़ का भ्रष्टाचार, कंपनी को दे दिया कई गुना ज़्यादा लाभ
पिछले दिनों इस मामले में हाईकोर्ट में सुनवाई हुई थी। तब पूर्व सीएमओ गजेंद्र सिंह बघेल को उम्मीद थी कि उन्हें अपने तबादले पर स्थगन आदेश मिल जाएगा लेकिन ऐसा नहीं हो सका। न्यायाधीश रोहित आर्या की बैंच ने सुनवाई टाल दी और अब अगली सुनवाई 15 दिसंबर को होनी है। इस बीच खबर है कि दोनों ही पक्ष एक दूसरे के दावे को कमजोर करने के लिए लगातार नए-नए तर्क तैयार कर रहे हैं।
हाईकोर्ट तय करेगा कि कौन बनेगा पीथमपुर का सीएमओ…
पूर्व सीएमओ गजेंद्र सिंह बघेल के ख़िलाफ़ सबसे बड़ा तर्क जो दिया जा रहा है वह यह है कि उनके द्वारा डिवाइन वेस्ट मैनेजमेंट कंपनी को अनैतिक तरीके से करीब साढ़े सात करोड़ के लाभ दिए गए और उनके खिलाफ़ जांच की जा रही है ऐसे में उनके रहने पर जांच प्रभावित हो सकती है। हालांकि बघेल ने जिस समय डिवाइन मैनेजमेंट कंपनी को लाभ दिए उस समय भी अध्यक्ष कविता संजय वैष्णव का ही ही कार्यकाल था और नियमों के मुताबिक भुगतान की जिम्मेदारी दोनों की ही होती है।
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