कैलाश विजयवर्गीय और उषा ठाकुर जैसे नेताओं के साथ हमारे अनुभव खट्टे रहे, अब हमें हमारे बीच का नेता चाहिए… राधेश्याम यादव


सीधे तौर पर मंत्री उषा ठाकुर से जता चुके हैं नाराज़गी, तीन बार से हैं चुनाव संचालक लेकिन स्थानीय नेताओं की अनदेखी से दुखी


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इन्दौर Updated On :

विधानसभा चुनाव नज़दीक हैं और इस बार मामला पहले से ज्यादा अलग है। इंदौर जिले की बात करें तो यहां भी स्थितियां बदल रहीं हैं। इंदौर भाजपा का मजबूत इलाका है लेकिन अब बहुत से नेता और कार्यकर्ता पार्टी से नाराज़ दिखाई दे रहे हैं। कई नेताओं ने खुलकर कहा है कि उनके अनुभव वैसे नहीं रहे जैसी उन्हें उम्मीद थी।

महू विधानसभा की सबसे ज्यादा चर्चा हो रही है। जहां स्थानीय विधायक और मंत्री उषा ठाकुर का खासा विरोध है। पिछले दिनों यहां स्थानीय उम्मीदवार की मांग के लिए पोस्टर लगाए गए और सीधे तौर पर पार्टी नेतृत्व को इसका संदेश दिया गया। ये पोस्टर बेनाम थे लेकिन यह मांग बेनाम नहीं है। महू के बहुत से सीनियर नेता अब स्थानीय प्रत्याशी की मांग खुलकर कर रहे हैं।

भाजपा के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय महू से 2008 से 2018 तक विधायक रहे हैं।

इन नेताओं का कहना है कि पहले तो कैलाश विजयवर्गीय आए और दस साल तक रहे और अब उषा ठाकुर हैं। ऐसे में स्थानीय नेतृत्व को कोई मौका नहीं मिला। ये नेता कहते हैं कि पार्टी की ओर से भेजे गए यह बाहरी नेता  महू विधानसभा सौतेला व्यवहार ही करते रहे हैं और उषा ठाकुर ने भी यही किया है।

इनमें से एक हैं राधे श्याम यादव हैं,  जिन्होंने बीते पंद्रह सालों में तीन चुनावों का संचालन किया है। वे कैलाश विजयवर्गीय के लिए भी दोनों बार चुनाव संचालक रहे और फिर उषा ठाकुर के लिए भी। यादव अब बाहरी नेताओं से खुश नहीं हैं। वे कहते हैं कि उनके अनुभव ठीक नहीं रहे क्योंकि बाहरी नेता यहां आकर पार्टी पर संगठन पर अपनी पकड़ बनाते हैं और फिर इसे अपने हिसाब से चलाते हैं। वे कहते हैं कि इस बार भी यही हुआ है, पार्टी के बहुते से पुराने कार्यकर्ता उपेक्षित हैं और नए नवेले नेताओं ने संगठन को अपने कब्जे में कर लिया है। यादव कहते हैं कि स्थानीय नेतृत्व को जब मौका मिलेगा तो स्थानीय नेताओं की पूछ परख होगी। उन्होंने बताया कि वे अगले कुछ दिनों में मुख्यमंत्री जी से स्थानीय उम्मीदवार के विषय पर मिलने वाले हैं।

महू की मौजूदा विधायक उषा ठाकुर हैं। जो मूल रूप से इंदौर शहर से आती हैं। वे इस समय मप्र शासन में मंत्री हैं।

यादव ने सीधे तौर पर बड़े नेताओं से इस बात को लेकर नाराजगी जताई कि वे पार्टी संगठन को अपने हिसाब से चलाते हैं। उनका यह आरोप पार्टी के महासचिव कैलाश विजयवर्गीय तक भी पहुंचता है जो अब संगठन के महासचिव हैं।

यादव इसके आगे ज्यादा कुछ नहीं कहते लेकिन अगर हम उस समय की भाजपा देखें तो यह साफ नज़र आता है। नजर आता है कि पार्टी में पहले भी थोड़े बहुत मतभेद रहे हैं लेकिन समय के साथ ये सुलझते भी रहे क्योंकि नेताओं और कार्यकर्ताओं पर बेहतर प्रदर्शन का दबाव भी रहा है।

बीते समय को देखा जाए तो अपने महू विधायक रहते विजयवर्गीय ने अपने हिसाब से संगठन को बुना। उन्होंने उस समय करण सिंह ठाकुर को भी अपना अध्यक्ष चुना जिनके नाम को लेकर उस समय कुछ लोग खुश नहीं थे। हालांकि ठाकुर ने अपने कार्यकाल में ठीक काम किया और संगठन अच्छी तरह चलाया। इसके बाद अब उषा ठाकुर ने पीयूष अग्रवाल नाम के पार्टी के एक नेता को संगठन का अध्यक्ष बनाया है। अग्रवाल का परिवार भाजपा से काफी समय से जुड़ा रहा है।

अग्रवाल की पहचान व्यापारी के तौर पर ही रही है और कहा जाता है कि उनकी नेतागिरी भी इसी तरह की है। अग्रवाल के आलोचक कई स्थानीय नेता कहते हैं कि उनके आने के आने के बाद से महू में संगठन से कार्यकर्ता दूर हुए और आयोजनों में लगातार कमी आई। मौजूदा कार्यकाल के दौरान महू में भाजपा संगठन की कोई ठोस उपलब्धि या आयोजन नजर नहीं आता। हालांकि संगठन की परेशानियों के पीछे एक अन्य स्थिति भी बताई जाती है। महू की राजनीति से जुड़े लोग इसके लिए विधायक उषा ठाकुर को ही जिम्मेदार बताया जाता है। कहा जाता है कि अब विधायक अग्रवाल की भी ज्यादा नहीं सुनती और ऐसे में वे खुलकर काम नहीं कर पाते।

ज़ाहिर है ऐसी ही स्थितियों में पार्टी के बहुत से सीनियर नेता नाराज़ होंगे हालांकि उनकी नाराजगी किसी भी तरह से खुलकर सामने नहीं आई है। राधेश्याम यादव ने भी अपनी बात केवल स्थानीय प्रत्याशी की मांग तक रखी है लेकिन इस मांग के इर्द-गिर्द देखें तो कई बातें साफ होती हैं। जिनके परिपेक्ष्य में  राधेश्याम यादव जैसे बहुत से दूसरे नेताओं की नाराजगी मायने रखती है। यादव ने पार्टी संगठन के बारे व्यक्तिगत रुप से कुछ भी कहने से साफ इंकार कर दिया, उनके मुताबिक ये पार्टी का आंतरिक मामला हैं और वे हर तरह से अपनी पार्टी के साथ खड़े हैं।

हालांकि इसके साथ महू के नागरिकों को यह भी विचार करना जरूरी है कि आज पार्टी का आंतरिक मामला कल जनता के लिए सिर दर्द बन सकता है जैसा कि हुआ भी है। पार्टी के नेताओं की पसंद और नाराजगी दोनों के कारण ही क्षेत्र की जनता कई विकास कार्यों या समाधानों से वंचित रह जाती है।

राधेश्याम यादव  अपनी नाराजगी कई बार प्रकट भी कर चुके हैं। हालही में उन्होंने पार्टी के कार्यक्रम में कई गंभीर आरोप लगाए हालांकि देशगांव से बातचीत के दौरान उन्होंने ऐसा कुछ भी बोलने से यह कहते हुए इंकार किया लेकिन पार्टी फोरम पर लगाए गए उन आरोपों के बारे में बताया जाता है कि वे काफी गंभीर थे और क्षेत्र में मंत्री के करीबी लोगों के भ्रष्टाचार से जुड़े हुए थे। कहा जाता है कि इन नेताओं ने पंचायत विभाग की मदद से काफी पैसा बनाया है और इस दौरान उन्होंने पार्टी के नेताओं और कार्यकर्ताओं को भी परेशान किया। इस तरह कई गुट बन गए और पार्टी कमजोर होती रही।

इन आरोपों के बाद समझना मुश्किल नहीं कि ऐसे मामले पार्टी के लिए भले ही अंदरूनी हों लेकिन जनता के लिए उनके भूत और भविष्य  से जुड़ा सवाल है। इसे लेकर ही हालही में एक शिकायत भी पार्टी संगठन से की गई है। जिसमें नेता बन चुके इन ठेकेदारों का भी जिक्र है। यह शिकायत गोपनीय है और इसका परिणाम क्या होगा यह कोई नहीं जानता।

इसके अलावा राधेश्याम यादव कई बार अपनी नाराजगी जता चुके हैं।  कुछ समय पहले उन्होंने खुद मंत्री और विधायक उषा ठाकुर से यह कह दिया था कि वे पार्टी से कहेंगे कि उषा ठाकुर को छोड़कर किसी को भी टिकिट दे दिया जाए तो महू से जीत जाएगा। हालांकि अब वे बाहरी नेताओं के पक्ष में ही नहीं हैं।

 


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