महू में गर्भवती महिलाओं के ऑपरेशन हुए बंद, दवाएं और टांके लगाने का धागा खत्म होने की ख़बर


कई महिलाओं के ऑपरेशन या रद्द कर दिए गए या फिर आगे बढ़ा दिए गए, अस्पताल प्रभारी


अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :
बंद पड़ा ऑपरेशन रुम


महू तहसील के सबसे बड़े शासकीय अंबेडकर अस्पताल में शनिवार से गर्भवती महिलाओं के ऑपरेशन होना बंद हो गए हैं। इसकी वजह अस्पताल में आपरेशन की कुछ जरुरी वस्तुएं न होना है इनमें सबसे अहम है टांके लगाने वाला धागा जो यहां पूरी तरह खत्म हो चुका है।

यही वजह रही कि डॉक्टरों ने मरीज़ों को साफ कह दिया है कि वे उनका ऑपरेशन नहीं कर सकते इसलिए वे कहीं और जाएं। इसके अलावा कुछ जरुरी दवाएं भी खत्म हैं। इन्हीं वजहों के चलते शनिवार को तय 5 महिलाओं के ऑपरेशन  रद्द कर दिए गए।

सरकारी अस्पतालों में बदहाल व्यवस्थाएं लगातार बढ़ती जा रहीं हैं। नित नए प्रयोग के कारण यहा सुविधाएं मिलने के बजाय और समस्या होना शुरू हो गई है। नए आदेशों के कारण ना सिर्फ रोगियों को परेशानी का सामना करना पड़ रहा है बल्कि यहां के चिकित्सक व स्टाफ भी इसका शिकार होते जा रहे हैं।

शनिवार को इस अस्पताल में एक नई परेशानी आ गई है जिसके बाद से यहां गर्भवती महिलाओं ऑपरेशन बंद हो गए हैं। शनिवार को अस्पताल में 5 ऑपरेशन होने थे लेकिन ऑपरेशन के दौरान लगने वाली सुविधाएं यहां मौजूद नहीं थी जिसमें प्रमुख रुप से टांका लगाने के लिए धागा व आवश्यक दवाएं शामिल हैं।

बताया जाता है कि इंदौर से ही एक लंबे समय से धागा व अन्य दवाएं उपलब्ध नहीं हो रहीं हैं। शनिवार को जिन पांच महिलाओं के ऑपरेशन होने थे उनमें से तो एक को ऑपरेशन रुम पर भी पहुंचा भी दिया गया था लेकिन उसे 4 घंटे बाद में इंदौर रेफर कर दिया गया।

 

बताया जाता है कि इंदौर स्टोर रूम से कई दिनों पूर्व स्पष्ट रूप से मना कर दिया गया था कि ऑपरेशन के दौरान लगने वाला धागा व अन्य आवश्यक दवाएं उपलब्ध नहीं है। लेकिन महू अस्पताल में इमरजेंसी के लिए रखे गए धागे व अन्य दवाओं से काम चलाया जा रहा था जो शुक्रवार की रात को ही खत्म हो गए।

जानकारी के अनुसार महू के शासकीय अस्पताल में एक माह में 80 से 100 ऑपरेशन किए जाते हैं। एक ऑपरेशन में एक यूनिट धागा लगता है जिसकी कीमत करीब सात सौ रुपये होती है। सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार महू के शासकीय अस्पताल के ऑपरेशन थिएटर में जरूरत से ज्यादा धागा यूनिट ली जाती है।

खबरों की मानें तो डॉक्टर और नर्सिंग स्टाफ यहां पर एक महिला रोगी के लिए दो से तीन यूनिट धागा लेती हैं जबकि एक महिला रोगी को एक ऑपरेशन में एक यूनिट धागा ही लगता है क्योंकि यह धागा काफी उच्च गुणवत्ता का और महंगा होता है ऐसे में इसकी मांग अधिक होती है। हालांकि अस्पताल के जिम्मेदार यह मानने से इंकार करते हैं कि धागा का बेजा उपयोग किया जा रहा है। वहीं सूत्रों की मानें तो धागे की मांग अधिक है इसलिए इसकी खपत बाजार में भी तेज है।

धागा कहां जाता है इसकी अस्पताल में किसी को कोई जानकारी नहीं है। इस अस्पताल मे अब स्थिति यह हो गई है कि किसी महिला रोगी को प्रसूति के लिए आपातकालीन स्थिति में आना है तो वे निजी अस्पताल जाएं या फिर यहां के चिकित्सक उन्हें इंदौर रेफर कर दें।

एक चर्चा यह भी है कि ऑपरेशन थिएटर को पुरानी बिल्डिंग से हटाकर नई बिल्डिंग में शिफ्ट करना है इस कारण महिला चिकित्सकों से कहा गया है कि वे आगामी कुछ दिन तक के लिए महिला रोगियों को ऑपरेशन के लिए ना कहें।

इस संबंध में अस्पताल प्रभारी योगेश सिंगारे से जब बात की तो उन्होंने सामान खत्म होने जैसी किसी बात से इंकार कर दिया। उन्होंने कहा कि अस्पताल की व्यवस्थाएं दूसरी इमारत में की जा रहीं हैं इसलिए देरी हो रही है। हालांकि सिंगारे इस बात को स्पष्ट नहीं कर पाए कि अस्पताल शिफ्टिंग में इतना समय क्यों लगाया जा रहा है कि मरीज़ों को दूसरे अस्पतालों में रिफर करना पड़े या उनके ऑपरेशन टालने पड़ रहे हैं।

इस मामले में एसडीएम राजेंद्र सिंह ने बताया कि उन्हें इस बात की जानकारी है कि अस्पताल में ऑपरेशन नहीं हो रहे हैं लेकिन यह उन्हें नहीं बताया गया कि अस्पताल में सामान और दवाएं नहीं हैं।

अधिकारियों के इन जवाबों के बीच महू शहरी और ग्रामीण इलाकों से आने वाले मरीज़ और गर्भवती महिलाएं शहर से दूर दूसरे सरकारी या फिर शहर में ही महंगे निजी अस्पतालों में जाने को मजबूर हैं।


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