इंदौर। इंदौर क्राइम ब्रांच ने ऑनलाइन ठगी करने वाले एक गैंग के चार आरोपियों को गिरफ्तार किया है, जिन्होंने लॉकडाउन में N-95 मास्क बेचने के नाम पर इंदौर, पुणे, मुंबई के व्यापारियों से ठगी की थी।
गैंग का सरगना इंदौर के नक्षत्र गार्डन के पास स्थित एक कैफे का संचालक है। वह इतना शातिर है कि उसने प्ले स्टोर से एक वॉइस कन्वर्टर एप्लीकेशन डाउनलोड कर लड़की की आवाज में व्यापारियों को गुमराह किया।
इतना ही नहीं उसने अपने कैफे के वेटरों के बैंक अकाउंट कमीशन पर ले लिए थे और उन्हीं में ठगी से आया पैसा डलवाता था। आरोपी ने अपने रिश्तेदारों की सिम को 500-500 रुपये में खरीदा था, ताकि वह पकड़ा नहीं जा सके।
एएसपी क्राइम ब्रांच गुरुप्रसाद पराशर ने बताया कि आरोपी चालाकी से व्यापारियों के साथ सौदा करता था और N-95 मास्क के फोटो भेजकर ऑर्डर के नाम रुपये ऐंठ लेता था लेकिन मास्क की डिलीवरी नहीं करता था।
आरोपी सुनील कार ड्राइवर है और मोहित चॉकलेट कंपनी में काम करता है। सुमित बीकॉम पास है और अभी स्टैंप पेपर बनाने का काम करता है।
इंदौर क्राइम ब्रांच ने इंदौर, पुणे, मुंबई के व्यापारियों से ऑनलाइन ठगी करने वाली गैंग को धर दबोचा है। गैंग के सरगना ने परिचितों से 500 रुपये प्रति नग के हिसाब से सिम कार्ड खरीदे थे।
उसने मास्क उपलब्ध करवाने के नाम पर कई व्यापारियों से पैसे जमा करवाए और फिर मास्क की डिलीवरी नहीं की जिसे लेकर इंदौर क्राइम ब्रांच को शुभम बोहरा ने एक शिकायत की थी।
शिकायत में बताया गया था कि 2020 में कोरोना काल में मास्क की जरूरत थी। इसी दौरान उसे एक अनजान नंबर से फोन आया। आरोपी ने खुद को जानकी नगर रोड सर्वोदय नगर जबलपुर में स्थित योगेंद्र हर्बल्स नामक संस्थान से बात करना बोला था।
आरोपी ने कहा था कि वह इंदौर में अच्छी क्वालिटी के मास्क उपलब्ध करवा सकता है। इसके बाद आरोपी ने उसे सोशल मीडिया पर मास्क की साइज और गुणवत्ता भेजी। उसे देखकर शुभम ने 69 हजार रुपये में मास्क का सौदा तय किया। आरोपी ने मास्क भेजने के बदले पैसे ऑनलाइन मंगवा लिए।
उसके बाद आरोपी ने कभी मास्क भेजे ही नहीं। शुभम जब भी पैसे मांगता तो आरोपी उसे धमकाता था। कई बार उसका फोन भी अटेंड नहीं करता था।
शिकायत की जांच में क्राइम ब्रांच ने पाया कि जिन नंबरों से फोन आया है वह सुनील सैनी निवासी 45बी एमआर9 देवकी नगर हाल मुकाम कर्बला कुआं के पास खजराना का है और जिस खाते में पैसा भेजा गया है वह मोहित दुबे निवासी विजय नगर के नाम पर है।
इस पर पुलिस ने केस दर्ज किया और सुनील सैनी और मोहित दुबे को पकड़ा। दोनों ने कबूला कि उनका दोस्त सुमित सालुंके निवासी खजराना है। उसने सुनील से 500 रुपये में सिम खरीदी थी। सुनील ने 2500 रुपये लेकर पांच सिम उपलब्ध करवाई थी।
इस सिम को सुमित सांलुके और उसका परिचित हिमांशु पिता सुरेश पटेल चला रहे हैं। पूछताछ में बैंक अकाउंटधारी मोहित दुबे ने बताया कि वह पहले विजयनगर में 24 कैफे पर वेटर की नौकरी करता था। इसका मालिक हिमांशु पटेल है।
उसी ने मोहित से कागज मांगकर अकाउंट खुलवाया और सैलरी उसी में देता था। फिर उसने मोहित से अकाउंट में आने वाले पैसे निकलवाना शुरू कर दिए। जब मोहित को लगा कि उसके अकाउंट में कोई अवैध पैसा आ रहा है तो उसने हिमांशु से कमीशन मांगा।
वह ठगी के पैसे से हिस्सा लेता था। इस पर पुलिस ने सिम उपलब्ध करवाने वाले सुनील, अकाउंट देने वाले मोहित दुबे के अलावा गैंग के सरगना हिमांशु पटेल और सुमित सालुंके को गिरफ्तार किया।