अफसरों-नेताओं से नहीं मिली मदद, नीलगाय से फसल बचाने के लिए किसानों ने खड़ी की साड़ियों की बागड़


नीलगाय से फसल को बचाने के लिए किसान खेत के आसपास साडि़यों को बांध देते हैं। यह एक तरह की कपड़े की दवार की तरह होती है। हवा चलने की वजह से साडि़यां लहराती है, इससे नीलगाय खेत के पास नहीं आती है। यह तरीका फिलहाल कारगर हो रहा है।


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इन्दौर Published On :
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इंदौर। किसान के लिए फसल उसकी मां भी है, बच्चा भी है और रोटी भी है। उसकी देखभाल के लिए वह कुछ भी कर सकता है और करता भी है। इस समय कुछ ऐसा ही इंदौर के किसान कर रहे हैं।

जंगली सुअरों और नीलगाय जैसे जानवरों से अपनी फसल बचाने के लिए खेतों के आसपास साड़ियां बांध रहे हैं। फसलों की सुरक्षा के लिए मेड़ के चारों ओर साड़ियों की बागड़ खड़ी कर रहे हैं।

जंगली जानवरों को रोकने और बचाव के लिए किसानों ने जिला प्रशासन, वन और कृषि विभाग के अधिकारियों सहित विधायकों और मंत्रियों तक अपनी समस्या कई बार रखी, लेकिन कहीं से मदद नहीं मिल रही।

अपने सामने अपनी फसल बर्बाद होते देख किसानों ने खुद ही यह रास्ता निकाला। खेतों में इस समय गेहूं, चना, आलू, प्याज और लहसुन की फसल खड़ी है। इस क्षेत्र में बड़ी संख्या में मौजूद नीलगाय खेतों में घुसकर फसल नष्ट कर देती हैं।

नीलगाय से फसल को बचाने के लिए किसान खेत के आसपास साड़ियों को बांध देते हैं। यह एक तरह की कपड़े की दवार की तरह होती है। हवा चलने की वजह से साडि़यां लहराती है, इससे नीलगाय खेत के पास नहीं आती है। यह तरीका फिलहाल कारगर हो रहा है।

इस इलाके के किसान इंदौर के ऐसे कपड़ा बाजारों में रोजाना चक्कर लगा रहे हैं जहां पुराने कपड़ों की बिक्री होती है। साथ ही साथ आस-पास के गांव-घरों से बेकार पड़ी साड़ियां इकट्ठा की जा रही हैं। इसके अलावा सस्ती नई साड़ियां भी खरीदकर उन्हें सिलवाकर चारों और बागड़ की तरह लगाया जा रहा है।


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