इंदौर। केंद्र सरकार द्वारा इतिहास के पाठ्यक्रमों में से मुग़लों को हटाने के बाद अब शैक्षणिक संस्थानों में मुहावरों से यूनानियों को भी हटाने का फैसला लिया जा रहा है। इस कड़ी में पहला मुहावरा है जो जीता वही सिकंदर, ठीक इसी नाम पर निर्देशक नासिर हुसैन ने अभिनेता आमिर खान के साथ फिल्म भी बनाई जो बड़ी मशहूर रही।
फिल्म के बाद ज्यादा लोकप्रिय हुआ यह मुहावरा अब लोगों को रास नहीं आ रहा है। मप्र के उज्जैन में विक्रम विश्वविद्यालय में अब यह मुहावरा इस तरह से नहीं पढ़ाया जाएगा और न ही इस्तेमाल किया जाएगा।
मुहावरों हमारी भाषा को समृद्ध बनाते रहे हैं। एक मुहावरा कितने ही शब्दों और भावार्थों को बयां कर देता है। जो जीता वही सिकंदर भी एक ऐसा ही मुहावरा रहा लेकिन अब बदलते समय में यह लोगों को रास नहीं आ रहा है। विवि के कुलपति डॉ. अखिलेश कुमार पांडे को लगता है कि हम विक्रम विश्वविद्यालय में इसे लेकर फैसला लिया गया है। ऐसा नहीं है कि यह मुहावरा वर्जित किया गया है। बल्कि इस मुहावरे की लाइनें वहीं रहेंगी बस उसमें से सिकंदर का नाम हटाकर विक्रमादित्य का नाम जोड़ दिया जाएगा और इसके छोटे से परिवर्तन के सहारे अपने राष्ट्रनायकों को मशहूर किया जाएगा।
मंत्री जी से करेंगे अपील
प्रो. पांडे इसका कारण बताते हुए कहते हैं काफी साल पहले स्वामी विवेकानंद ने भारत को विकसित राष्ट्र बनाने के लिए कुछ संकल्प लिये थे। इनमें से दो अहम हैं विरासत पर गर्व और गुलामी से मुक्ति। ऐसे में हमारा विश्वविद्यालय सम्राट विक्रमादित्य के नाम पर है और सम्राट विक्रमादित्य सिकंदर से हज़ारों गुना बहुत आगे थे तो हमारा उद्देश्य यही है कि हमारा विद्यार्थी सम्राट विक्रमादित्य को अपना आईकॉन माने न कि सिकंदर को और बच्चे की ज़ुबान पर यह विक्रमादित्य हो न कि सिकंदर हो।
पांडे ने कहा कि हम मंत्री जी से अपील करेंगे कि मप्र के किसी भी पुस्तक में साहित्य में जहां भी यह मुहावरा हो वहां से निकालकर इसे बदला जाए। पांडे के मुताबिक उन्होंने यह फैसला कार्यपरिषद की सामान्य चर्चा में लिया है लेकिन उन्हें लगता है कि एक बार यह मुहावरा लोगों की जुबान पर आ गया तो इसके बारे में सोचा जाएगा।
कुलपतियों की बैठक में उठाएंगे
कुलपति के मुताबिक ये एक मुहावरा है और विक्रम विवि से इसकी शरुआत की गई है। वे कहते हैं कि बहुत सारे ऐसे मुहावरे हैं जिनके द्वारा विदेशी आक्रमणकारियों को महान बताया गया और अपने लोगों को कमतर दिखाया गया। वे कहते हैं कि बहुत से ऐसे मुहावरे हैं जो ऐसे हैं और इसके लिए एक कमेटी बनाकर मुहावरों को बदलने पर विचार किया जाएगा और इसे कुलपतियों की बैठक में भी उठाया जाएगा।
बुधवार को हुई विवि की कार्यपरिषद की बैठक के बाद इस बदलाव की खबर आई लेकिन अब तक इसके कोई लिखित आदेश जारी नहीं किए गए हैं पर अब कुलपति इसे लेकर खुलकर बोल रहे हैं और अन्य मुहावरों की समीक्षा के लिए कमेटी बनाने की बात कह रहे हैं।
इन वजहों से चर्चा में रहा है विश्वविद्यालय
उज्जैन विश्वविद्याय कई मामलों को लेकर चर्चा में रहता है। पिछले दिनों यहां भ्रष्टाचार का मुद्दा उछला था। जिसे कई कांग्रेसी छात्र नेताओं ने घोटाला बताया। इसके पहले विवि परिसर में छात्रा से छेड़छाड़ की भी खबरें आईं और बीते साल यहां पीएचडी में भी अनियमितता का मामला आया था। जिसके दस्तावेज़ तक गायब हो गए थे।