इंदौर। पेट्रोल-डीज़ल के बढ़ते दामों का असर अब और भी तेज़ महसूस होगा। ईंधन की इन बढ़ती कीमतों के कारण अब बस किराया भी महंगा होने वाला है। आने वाले दिनों में कम से कम पच्चीस प्रतिशत तक बस किराये में बढ़ोत्तरी होने वाली है। हालांकि बस संचालकों की ऐसोसिएशन पचास प्रतिशत किराया बढ़ाने की मांग कर रहे हैं।
किराया बढ़ाने को लेकर उनकी यह मांग पिछले सात महीने से जारी है लेकिन अब तक पूरी नहीं हो सकी है। इसे लेकर एक प्रस्ताव अब मुख्यमंत्री तक पहुंच चुका है और अगर यहां से हरी झंडी मिलती है तो किराया बढ़ना तय है। हालांकि बस एसोसिएशन के मुताबिक अब अगर सरकार एसोसिएशन के इस प्रस्ताव को नहीं मानती है तो हड़ताल तय है। यह हड़ताल 26 से 27 फरवरी को हो सकती है।
बसों का किराया बढ़ाने को लेकर संचालक जल्दी ही एक बैठक करने वाले हैं। संचालकों की दलील है कि पिछली बार मई 2018 में किराया बढ़ाया गया था। उस दौरान कुल 8 प्रतिशत की वृद्धि की गई थी। उस समय प्रदेश में डीज़ल की कीमत 68 रुपये प्रति लीटर के आसपास थी लेकिन अब डीज़ल की कीमत 89 रुपये प्रति लीटर है और ऐसे में काम कर पाना संभव नहीं है।
संचालक काफी पहले ही बसों का किराया पचास प्रतिशत बढ़ाने पर सहमति जता चुके हैं। उस समय भी सरकार को इसकी जानकारी दी गई थी और तब सरकार ने विधानसभा चुनावों तक रुकने को कहा था। अब चुनाव हो चुके हैं और बहुत संभावना है कि सरकार किराया बढ़ाने के इस प्रस्ताव को हरी झंडी दे दे।
जनता के लिए मुख्यमंत्री की ओर से एक मात्र राहत यही हो सकती है कि संचालकों की मांग के अनुरुप किराया सीधे पचास प्रतिशत न बढ़ाकर केवल पच्चीस प्रतिशत बढ़ाया जाए। हालांकि प्राइम रूट बस ऐसोसिएशन के अध्यक्ष गोविंद शर्मा का कहना है कि उन्होंने तो सरकार से कम से कम पचास प्रतिशत किराया बढ़ाने की मांग की है और इससे कम में बस संचालकों को नुकसान होगा।
शर्मा के मुताबिक मांग नहीं माने जाने पर बस संचालक 27 और 28 फरवरी को हड़ताल करने वाले हैं। हालांकि यह हड़ताल 46 जिलों में रहेगी। कुछ जिलों में पहले हड़ताल की जा चुकी है ऐसे में उन जिलों को हड़ताल से मुक्त रखा जाएगा।
किराया बढ़ने पर नुकसान सड़क पर वाहन से चलने वाले आदमी को ही होना है क्योंकि पेट्रोल सौ रुपये प्रति लीटर तक पहुंच चुका है और डीज़ल 90 ऐसे में आवागमन काफ़ी महंगा हो चुका है। यही वजह है कि बहुत से शहरों में राशन के सामान के दाम भी बढ़ सकते हैं क्योंकि वे भी सड़क परिवहन के द्वारा ही वहां पहुंचाए जाते हैं। इंदौर इनमें से एक है।