यूनिवर्सिटी में गरबा खेलने पर मुस्लिम छात्र को पीटा, आयोजन से अनजान कुलपति, बजरंग दल और भीम आर्मी के लोग भिड़े


डॉ. अंबेडकर विश्वविद्यालय, महू में गरबा आयोजन के दौरान एक मुस्लिम छात्र की उपस्थिति से विवाद खड़ा हो गया। बजरंग दल से जुड़े लोगों ने इस पर हंगामा किया और कथित तौर पर छात्र की पिटाई की। इसके बाद आदिवासी संगठनों और छात्रों ने विश्वविद्यालय के बाहर प्रदर्शन करते हुए धार्मिक आयोजनों पर रोक और दोषियों पर कार्रवाई की मांग की। कुलपति ने आश्वासन दिया कि आगे से परिसर में किसी भी धार्मिक आयोजन की अनुमति नहीं दी जाएगी। इस घटना ने विश्वविद्यालयों में धार्मिक सहिष्णुता और छात्रों की स्वतंत्रता के महत्व पर सवाल उठाए हैं।


अरूण सोलंकी
इन्दौर Published On :

डॉ. अंबेडकर की जन्मभूमि पर स्थित डॉ. अंबेडकर सामाजिक विज्ञान विश्वविद्यालय में पिछले कुछ वर्षों से धार्मिक आयोजनों का प्रभाव देखा जा रहा है। इस बार विश्वविद्यालय में गरबा का आयोजन भी करवा दिया गया, हालांकि कुलपति के अनुसार, उन्हें इस आयोजन के बारे में कोई जानकारी नहीं थी। गरबा आयोजन के दौरान मुस्लिम छात्र अमन पठान की उपस्थिति से विवाद शुरू हुआ। बजरंग दल से जुड़े कुछ लोगों ने जब इस बारे में सुना, तो वे कॉलेज परिसर में घुसकर हंगामा करने लगे और कथित तौर पर मुस्लिम छात्र की पिटाई भी की।

 

इस घटना के बाद भीम आर्मी के कार्यकर्ता भी कॉलेज परिसर में आ गए और दोनों पक्षों के बीच मारपीट हुई। इस मारपीट में दोनों गुटों के लोगों को गंभीर चोटें आईं।

क्या है विवाद?

घटना 6 अक्टूबर की है, जब विश्वविद्यालय परिसर में नवरात्रि के तहत गरबा का आयोजन किया गया था। इस आयोजन के दौरान एक मुस्लिम छात्र की उपस्थिति को लेकर हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ताओं ने हंगामा किया। विवाद बढ़ने पर हाथापाई शुरू हो गई, जिसमें हिंदूवादी संगठन के एक कार्यकर्ता को चोटें भी आईं। इसके बाद हिंदूवादी संगठनों ने चार आदिवासी छात्रों के खिलाफ बालगोंडा थाने में शिकायत दर्ज करवाई।

 

विरोध प्रदर्शन

विवाद के बाद आदिवासी संगठन जयस, भीम आर्मी और विश्वविद्यालय के छात्रों ने इस घटना के विरोध में विश्वविद्यालय के बाहर प्रदर्शन किया। उन्होंने राज्यपाल के नाम ज्ञापन सौंपते हुए आदिवासी छात्रों पर की गई पुलिस कार्रवाई को वापस लेने और विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी राजनीतिक दल के नेता या कार्यकर्ता के प्रवेश पर प्रतिबंध लगाने की मांग की। आदिवासी नेताओं ने सवाल उठाया कि विश्वविद्यालय परिसर में धार्मिक आयोजन की अनुमति क्यों दी गई और हंगामा करने वाले हिंदूवादी संगठनों के कार्यकर्ता परिसर में कैसे प्रवेश कर पाए।

कुलपति ने धार्मिक आयोजनों पर लगाई रोक

प्रदर्शन के दौरान कुलपति रामदास आत्रम ने आश्वासन दिया कि जब तक वह विश्वविद्यालय में रहेंगे, तब तक परिसर में किसी भी प्रकार का धार्मिक आयोजन नहीं होगा। हालांकि, आदिवासी संगठनों के नेताओं ने कुलपति से लिखित में आश्वासन देने की मांग की। उन्होंने स्पष्ट चेतावनी दी कि अगर विश्वविद्यालय प्रशासन ने तुरंत कोई कदम नहीं उठाया, तो वे विश्वविद्यालय के सभी गेटों पर ताला लगा देंगे।

 

बाद में हुआ और हंगामा

विरोध और प्रदर्शन के चलते एबीवीपी और बजरंग दल के लोगों के खिलाफ एफआईआर दर्ज की गई। हालांकि, कुलपति की निष्क्रियता के चलते मामला ठंडा नहीं हुआ। दोनों संगठनों ने सवाल उठाया कि कुलपति को परिसर में इस तरह के आयोजन की जानकारी क्यों नहीं थी और उन्होंने इस पर कोई कड़ा कदम क्यों नहीं उठाया।

 

कुलपति का लिखित आश्वासन

सोमवार को भी भारी हंगामे के बाद कुलपति ने लिखित में आश्वासन दिया कि अब विश्वविद्यालय परिसर में किसी भी तरह का धार्मिक आयोजन नहीं होगा। इसके साथ ही, जिन छात्रों ने अनाधिकृत तरीके से यह आयोजन किया था, उनके खिलाफ भी कार्रवाई की जाएगी। इसके अलावा, एबीवीपी और बजरंग दल के जो लोग अनाधिकृत तरीके से विश्वविद्यालय परिसर में घुसे थे, उनके खिलाफ दर्ज एफआईआर को भी निरस्त करने के लिए पुलिस प्रशासन को आवेदन दिया जाएगा। कुलपति ने कहा कि इसके अलावा वे विश्वविद्यालय परिषद को लिखेंगे कि विश्वविद्यालयों में ऐसे आयोजनों पर पूरी तरह ही रोक लगाई जाए।

संगठनों की मांग

विरोध कर रहे संगठनों ने राज्यपाल को सौंपे ज्ञापन में कहा कि विश्वविद्यालय परिसर में केवल शैक्षणिक कार्य होना चाहिए और सिर्फ विद्यार्थियों को ही प्रवेश की अनुमति दी जाए। किसी भी धार्मिक आयोजन और राजनीतिक दल के नेता-कार्यकर्ता के परिसर में प्रवेश पर पूर्ण प्रतिबंध लगाया जाए।

इस प्रदर्शन में जयस के भीम सिंह गिरवाल, विकास करोसिया और अहमद दरबारी सहित बड़ी संख्या में कार्यकर्ता और विद्यार्थी शामिल थे।

 

 


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