ज़मानत देने के बाद भी मुनव्वर फारुकी की रिहाई के लिए SC के जज को करना पड़ा फोन


मुनव्वर फारूकी के वकील विवेक तन्खा ने कहा था कि जेल प्रशासन का रवैया पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। जेल प्रशासन नेताओं के इशारे पर काम कर रहा है। यह प्रशासन के व्यवहार का गिरता स्तर है। 


DeshGaon
इन्दौर Updated On :

इंदौर। सुप्रीम कोर्ट से जमानत मिलने के बाद भी कॉमेडियन मुनव्वर फारुकी को जेल से बाहर आने में काफी मशक्कत करनी पड़ी। शुक्रवार को जहां सुप्रीम कोर्ट ने केवल पंद्रह मिनिट में उन्हें जमानत दी थी इसके बाद उम्मीद थी कि उन्हें जल्दी ही रिहाई दे दी जाएगी लेकिन ऐसा नहीं हुआ। शुक्रवार को रिहाई नहीं हुई और इसके बाद मुनव्वर के वकील शनिवार रात को सुप्रीम कोर्ट पहुंच गए। इंडियन एक्सप्रेस की खबर के मुताबिक सुप्रीम कोर्ट के एक जज ने इंदौर के चीफ ज्यूडिशियल मजिस्ट्रेट को फोन कर सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट पर अपलोड किए गए ऑर्डर देखने की अपील की। जिसके बाद उन्हें रिहा किया गया।

इंदौर केंद्रीय जेल के अधिकारियों के मुताबिक वे सुप्रीम कोर्ट के द्वारा दी गई जमानत को लेकर स्पष्ट नहीं थे क्योंकि मुनव्वर पर उप्र की कोर्ट का भी वारंट था। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने फारुकी पर उप्र में दर्ज एफआईआर के बाद प्रॉडक्शन वारंट पर रोक लगा दी थी। इसके अलावा कोर्ट ने मध्य प्रदेश पुलिस को नोटिस जारी कर इस मामले में जवाब भी मांगा है। पुलिस पर आरोप है कि उसने फारूकी की गिरफ्तारी के वक्त सुप्रीम कोर्ट द्वारा तय गाइडलाइन का पालन नहीं किया था।

शनिवार रात अचानक की इंदौर के केंद्रीय जेल के सामने हलचल शुरु हो गई थी। इसके बाद रिहाई में पेंच की अटकलें भी शुरु हो गईं थीं। हालांकि इसके बाद फारुकी के वकीलों ने सुप्रीम कोर्ट जाकर पुलिस द्वारा कोर्ट के आदेश की अवमानना का आरोप लगाया। जिसके बाद सुप्रीम कोर्ट के दखल के बाद मुनव्वर फारुकी की रिहाई हो सकी। उन्हें रात करीब सवा ग्यारह बजे जेल से छोड़ा गया।

मुनव्वर फारूकी के वकील विवेक तन्खा ने कहा था कि जेल प्रशासन का रवैया पूरी तरह से सुप्रीम कोर्ट के आदेश की अवहेलना है। जेल प्रशासन नेताओं के इशारे पर काम कर रहा है। यह प्रशासन के व्यवहार का गिरता स्तर है।

इससे पहले शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट ने केवल ग्यारह मिनट की सुनवाई में मुनव्वर फारुकी को अंतरिम जमानत दे दी थी। फारुकी की ओर से सीनियर एडवोकेट विक्रम चौधरी ने सुप्रीम कोर्ट में पैरवी की थी। उन्होंने कोर्ट को बताया कि पुलिस के पास ऐसा कोई सबूत नहीं है, जिसमें फारूकी टिप्पणी करते हुए दिख रहे हों। केवल कही-सुनी बातों केे आधार पर उनके खिलाफ केस बनाया और हाई कोर्ट ने भी बगैर तथ्यों का परीक्षण किए जमानत आवेदन खारिज कर दिया।

मुनव्वर फारुकी 31 दिसंबर को इंदौर में 56 दुकान के मुनरो कैफे में एक शो कर रहे थे। जहां कुछ हिन्दूवादी संगठनों से जुड़े लोग पहुंचे और विवाद करने लगे। इस दौरान उन्होंने मुनव्वर के साथ मारपीट भी की। उनका आरोप था कि मुनव्वर ने अपने शो में हिन्दू देवी देवताओं और गृह मंत्री अमित शाह पर अपमानजनक टिप्पणी कर रहे हैं।

इसके बाद उन्हें चार अन्य लोगों सहित तुकोगंज थाने ले जाया गया। इस मामले में  एडविन एनथौनी निवासी विजय नगर, प्रखर प्रतीक व्यास गिरधर नगर, प्रियम पिता धर्मेंद्र यादव निवासी छत्रछाया कॉलोनी पीथमपुर को भी आरोपी बनाया गया था।

टीआई कमलेश शर्मा ने इन पर धार्मिक भावनाएं भड़काने का केस दर्ज किया था। इसके बाद में उनके एक साथी सदाकत को भी पकड़कर जेल भेज दिया गया था। हालांकि टीआई शर्मा ने बाद में इंडियन एक्सप्रेस अख़बार से यह भी कहा था कि उनके पास मुनव्वर के खिलाफ कोई सुबूत नहीं हैं। इसके बाद में पुलिस ने फिर दावा किया कि सुबूत हैं लेकिन मुनव्वर के वकीलों के मुताबिक वे कोई भी सुबूत अदालत में पेश नहीं कर सके थे। इसके बाद से ही मुनव्वर और उनके साथी जेल में रहे। मुनव्वर की जमानत याचिका को हाईकोर्ट ने दो बार रद्द कर दिया था।


Related





Exit mobile version