इंदौर। प्रदेश के सूचना आयुक्त व देश के जाने-माने पत्रकार विजय मनोहर तिवारी का आईएएस को लेकर किया गया एक ट्वीट चर्चा में बना हुआ है। अपने इस ट्वीट में सूचना आयुक्त ने उक्त आईएएस को हकीम लुकमान का भाई बताया है।
हालांकि इस ट्वीट में किसी भी व्यक्ति का नाम नहीं लिया गया है, लेकिन ट्वीट को मध्यप्रदेश में वर्तमान में कोरोना संक्रमण की स्थिति से जोड़कर देखा जा रहा है। आंकड़े जिस तरह तेजी के साथ बढ़ रहे हैं और संक्रमण को रोकने में विफलता सामने आ रही है यह ट्वीट उसी अव्यवस्था की ओर इशारा करता है।
दरअसल मध्यप्रदेश के कई शहरों में रेमडिसिवर इंजेक्शन सहित ऑक्सीजन की कमी और बेड की उपलब्धता न होने के समाचार लगातार आ रहे हैं। इसके साथ ही कोरोना पॉजिटिविटी रेट भी कई शहरों में तो 15 से 20% को भी पार कर रही है।
हालात कितने भयावह हैं, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि भोपाल में ही बीते 24 घंटों में 1456 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए हैं। इस परिस्थिति में जिन लोगों पर इस संक्रमण को रोकने की जवाबदेही है और जिनको इस संकट की आहट से पहले ही व्यवस्थाओं को संभालना था, यह ट्वीट उन्हीं की ओर इशारा है कि वह अपना काम करने में पूरी तरह से विफल रहे हैं।
वर्तमान में मध्यप्रदेश के सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी ने अपने ट्वीट में लिखा है-
“हकीम लुकमान का जुड़वा भाई एक उर्स में बचपन में बिछड़ गया था।
वह बड़ा होकर आईएएस बन गया। कोरोना काल में बिना गारंटी का इलाज करते हुए देखा गया।
न आंकड़ों की गारंटी, न इंजेक्शन, न दवा, न बिस्तर ,न अस्पताल।
वह बेहया फिर भी अल्लाह की आंखों का नूर है।”
हकीम लुकमान का जुड़वा भाई एक उर्स में बचपन में बिछड़ गया था।
वो बड़ा होकर IAS बन गया। कोरोना काल में “बिना गारंटी” का इलाज करते हुए देखा गया।
न आँकड़ों की गारंटी, न इंजेक्शन, न दवा, न बिस्तर, न अस्पताल।
वो बेहया फिर भी अल्लाह की आँखों का नूर है…
— Vijay Manohar Tiwari (@vijaye9) April 13, 2021
दूसरी तरफ, सूचना आयुक्त विजय मनोहर तिवारी के आईएएस वाले ट्वीट पर प्रतिक्रियाएं भी आ रही हैं। माखनलाल पत्रकारिता विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति व द वीक के पूर्व एमपी ब्यूरो चीफ दीपक तिवारी ने लिखा है- “जिस संवैधानिक पद पर आप विजय भाई बैठे हैं, वहां से इस तरह के कमेंट की आप से उम्मीद नहीं करता। अगर लिखना ही है सचमुच में पत्रकारिता करना ही है तो असली मुखिया पर लिखो। अधिकारी सर्वोच्च निर्णयकर्ता के अनुरूप चलते हैं।”
प्रदेश के ही वरिष्ठ पत्रकार डॉ. राकेश पाठक लिखते हैं- “इतनी नफरत कहां से लाते हैं भाई जी। सिर्फ मजहब के आधार पर एक अधिकारी को पूछ रहे हैं। बाकी एक से तो एक नकारा अफसर बैठे हैं। यह हकीम लुकमान के भाई नकारा होंगे पर आपको सिर्फ मजहब की वजह से चुभ रहे हैं। वैसे सूबे के मुखिया खुद नाकारा साबित हो रहे हैं। उनके बारे में क्या राय है।”
कांग्रेस नेता केके मिश्रा ने लिखा है- “विजय भाई हकीकत बयां करने के लिए आभार।”
पत्रकार रविंद्र जैन ने लिखा है- “यह ट्वीट ऑफ द ईयर” मोहम्मद सुलेमान का नाम भी नहीं लिखा और जमकर धो दिया।”
बीजेपी नेता सर्वेश तिवारी ने लिखा है- “आपके साहस और कलम को नमन।”
राजीव खरे लिखते हैं- “बिना धोबी घाट गए की जमकर धुलाई। तिवारी जी आपने तो गजब की धोबी पछाड़ मारी।”
पत्रकार सुदेश गौर ने लिखा- “यह सिक्सर तो स्टेडियम से बाहर जाकर गिरा।”
पत्रकार मनीष दीक्षित लिखते हैं- “लुकमान का भाई जादूगर है तभी तो सभी की आंखों का नूर है और हां कुछ पहाड़ी लोगों की सेवा भी खूब करता है। पता नहीं कौन सा नुस्खा है कम्बखत के पास।”