महू विधानसभा चुनाव को लेकर दोनों ही दलों में समीकरण लगातार बिगड़ते ही जा रहे हैं। भाजपा में नाराज नेता पार्टी प्रत्याशी को वोट देंगे सिर्फ काम नहीं करेंगे जबकि कांग्रेस में नाराज पूर्व विधायक में अपना निर्दलीय के रूप में नामांकन भरकर बता दिया है कि वह कांग्रेस के वोट जरूर काटेंगे। भाजपा में लंबे समय से चली आ रही स्थानीय उम्मीदवार की मांग की अब हवा निकल गई है।
गुरुवार की शाम को गौशाला परिसर में आयोजित दशहरा मिलन समारोह में तमाम विरोधी अपने सैकड़ों कार्यकर्ताओं के साथ एकत्र हुए तब लगने लगा था कि इस बार वह अपना एक निर्दलीय प्रत्याशी जरूर खड़ा करेंगे जिसका सीधा असर पार्टी के प्रत्याशी पर पड़ेगा लेकिन हुआ पूरा इसका उल्टा।
इन नेताओं ने अपनी नाराजगी तो जताई लेकिन यह भी बता दिया कि वे पार्टी प्रत्याशी के लिए मैदान में काम नहीं करेंगे लेकिन पार्टी के लिए वोट जरूर देंगे। जिससे स्पष्ट हो गया कि अब यह नाराजगी से दिखावे मात्र की थी क्योंकि वर्तमान प्रत्याशी को उषा ठाकुर को सिर्फ उनके वोट की जरूरत है काम की नहीं।
ठाकुर के एक करीबी सर्मथक गोपनीयता के अनुरोध पर पर बताते हैं कि उनके लिए काम करने वाले नेता इंदौर से आ जाएंगे ऐसे में महू के नाराज गुट की जरूरत नहीं है। ठाकुर के करीबी बताते हैं कि यह विरोध बेदम है क्योंकि कोई भी नेता कुछ नहीं कर सकता और न ही उनमें वोट काटने या बढ़वाने की क्षमता है।
नाराज नेताओं की जमीनी स्थिति यही है। इनमें से ज्यादातर का जमीनी आधार नहीं है। ऐसे में इनके न होने से ठाकुर को किसी तरह का नुकसान होने की संभावना नहीं है। भाजपाई कहते हैं कि ये सभी नेता नाराज़ इसलिए हैं क्योंकि इन्हें तवज्जो नहीं दी गई या फिर इनकी टिकिट पाने की उम्मीद पूरी नहीं हुई।
इन नाराज़ नेताओं में पूर्व जिलाध्यक्ष अशोक सोमानी और बीते चुनावों में उषा ठाकुर के चुनाव संचालक रहे राधेश्याम यादव भी अहम हैं। इसके अलावा युवामोर्चा के मनोज ठाकुर जैसे युवा नेता भी हैं जो कुछ हद तक नुकसान पहुंचा सकते हैं।
इसका एक कारण यह भी माना जा रहा है कि विरोध करने वाला कोई भी नेता निर्दलीय के रूप में खड़ा नहीं होना चाहता था। जिन नाम की चर्चा थी वह सब अपने भविष्य को लेकर पीछे हट गए ऐसी स्थिति में प्रत्याशी उषा ठाकुर काफी खुश नजर आ रही है।
वही कांग्रेस की स्थिति इसके बिलकुल विपरीत है कांग्रेस द्वारा बनाए गए प्रत्याशी रामकिशोर शुक्ला का पूर्व विधायकअंतर सिंह दरबार खुला विरोध कर रहे हैं और उन्होंने शुक्रवार की दोपहर को निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में अपना नामांकन भी जमा कर दिया। निर्दलीय प्रत्याशी के रूप में खड़े होने पर दरबार ने कहा कि यह निर्णय आम जनता का है रामकिशोर शुक्ला से उनका कोई विवाद नहीं।
अब वह हर हाल में जनता के निर्णय का स्वागत करते हुए चुनाव लड़ेंगे ऐसी स्थिति में इसका असर राम किशोर शुक्ला पर पड़ेगा क्योंकि यह दरबार जो भी वोट काटेंगे वह कांग्रेस के काटेंगे वहीं दूसरी ओर यह भी चर्चा है कि दरबार के इस निर्णय से ठाकुर समाज दो भागों में बट गया है जिसका नुकसान कांग्रेस के साथ-साथ भाजपा को भी होगा।
हालांकि अंतर सिंह दरबार की यह ज़िद उन्हें कांग्रेसियों में भी नुकसान पहुंचा रही है। दरबार के करीबी बताते हैं कि वे जानते हैं कि यह चुनाव नहीं जीता जा सकता लेकिन दरबार इस तरह कांग्रेस को अपनी ताकत दिखाना चाहते हैं। हालांकि वे कांग्रेस को पहले भी अपनी ताकत दिखाते रहे हैं और इसी दम पर उन्हें पांच बार विधायक प्रत्याशी बनाया गया था।