महू विधानसभा में दिलचस्प मोड़ पर है दोनों दलों में प्रत्याशियों का चुनाव, कोई भी चुना जाए तय है अलगाव


कांग्रेस में अंतरसिंह दरबार और रामकिशोर शुक्ला तो भाजपा में कविता पाटीदार, उषा ठाकुर और निशांत खरे ही हैं चर्चा में।


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इन्दौर Updated On :

विधानसभा चुनाव नजदीक हैं और इसे लेकर महू विधानसभा में दोनों ही प्रमुख दलों में असमंजस की स्थिति बनी हुई है, पिछले कुछ समय से स्थानीय उम्मीदवार की मांग हो रही है। ऐसे में दोनों ही दल एक तरह से दबाव में हैं कि जनता की यह मांग मानी जाए वर्ना परिणाम बिगड़ सकता है। ऐसे में दोनों ही दल इस उलझन में हैं कि प्रत्याशी किसे चुनें और जब तक यह नहीं हो रहा तब तक दोनों ही एक दूसरे पर नजर बनाए हुए हैं।

महू विधानसभा चुनाव को लेकर कांग्रेस और भाजपा में पहली बार यह स्थिति बनी हुई है कि वह अंतिम समय तक अपने उम्मीदवारों के नाम तय नहीं कर पा रहे हैं। पिछले कुछ दिनों से महू विधानसभा चुनाव में स्थानीय उम्मीदवार की मांग लगातार तेज होती जा रही है वैसे तो यह मांग मुख्य रूप से भाजपा की ओर से थी लेकिन अब स्थानीय कांग्रेस भी इसी बात पर अड गई है। तहसील में भाजपा की वर्तमान स्थिति को देखते हुए हर दावेदार अपनी जीत को सुनिश्चित मानकर दावेदारी जाता रहा है वहीं कांग्रेस भी इस स्थिति का पूरा फायदा उठाने के लिए कमर कस चुकी है।

भाजपा की स्थितिः पिछले तीन चुनाव से महू विधानसभा में भाजपा का ही झंडा बुलंद रहा है। भाजपा की ओर से जहां पिगडंबर क्षेत्र के नेता कंचन सिंह चौहान अपनी दावेदारी जता रहे हैं तो वहीं पार्टी नेताओं की कृपा से जिला पंचायत से राज्यसभा पहुंच चुकीं कविता पाटीदार, अपनी पंचायत क्षेत्र में भी कमजोर रहे अशोक सोमानी, पहले कैलाश विजयवर्गीय के सर्मथक से  अब महू के नेता बने मनोज ठाकुर और कंचन सिंह चौहान के बेटे और जिला पंचायत के सदस्य दिनेश सिंह चौहान अहम इनमें अहम हैं।

कई नेता अपनी टिकिट के लिए इंदौर-भोपाल और दिल्ली एक किए हुए हैं। सभी को लग रहा है कि इस बार में जीत रहे हैं यही नहीं कुछ दावेदारों ने तो अपनी संपत्ति का पूरा विवरण और दूसरी कागजी कार्रवाई भी तैयार करवानी शुरू कर दी है कि बस नाम की घोषणा होते ही वह मैदान में उतर जाएंगे इनके अलावा उषा ठाकुर और निशांत खरे भी पूरी तरह मैदान में जमे हुए हैं।

कांग्रेस की स्थितिः  भाजपा की स्थिति को देखते हुए इस बार कांग्रेस पूरा फायदा उठाना चाहती है। हालांकि चुनाव हैं सो कांग्रेस की पांरपरिक परेशानी भी सामने खड़ी है। हर संभावित उम्मीदवार के सामने कई विरोधी हैं। यह विरोध कमोबेश एक से ही हैं। इस बार तीन बार हारने के बाद भी पार्टी के सबसे मजबूत नेता अंतर सिंह दरबार इस बार हालही में पार्टी में शामिल हुए राम किशोर शुक्ला से पिछड़ते बताए जा रहे हैं। कहा जाता है कि शुक्ला को बड़े नेताओं का इशारा मिल गया है हालांकि चुनावों में यह इशारे हमेशा एक कागज़ के आगे हारते रहे हैं ऐसे में देखना होगा कि कागज़ किसे मिलता है।

बहरहाल कांग्रेस में भी अंर्तरकलह बनी हुई है। यह महू में पार्टी की परंपरा के मुताबिक ही है। दरबार और  शुक्ला में से प्रत्याशी चाहे कोई भी हो उसके विरोधी वही हैं जो पिछले बार थे। बताया जाता है कि शुक्ला का नाम आने के बाद पार्टी के कई नेताओं ने उनके खिलाफ एक पत्र पार्टी आलाकमान को भेजा है। जिसमें उन्होंने कहा है कि शुक्ला बीते पंद्रह साल से उन्हें हराते आ रहे हैं और अब वे उनके ही साथ काम कैसे करेंगे। बताया जाता है कि यह वही नेता हैं जिनके बारे पिछला चुनाव हारने के बाद अंतर सिंह दरबार ने एक शिकायती पत्र कांग्रेस के प्रदेश प्रमुख और बड़े नेताओं को दिया था।

इन दोनों के अलावा दूसरे दावेदारों की बात करें तो इनमें  कोदरिया के संजय शर्मा, कैलाश पांडे वे हैं जो महू के अंदर के रहने वाले हैं वहीं जिलाध्यक्ष सदाशिव यादव और जीतू ठाकुर बाहरी हैं। हालांकि ये दोनों ही नेता अपने विधानसभा क्षेत्रों में टिकट हासिल करने में असफल रहे हैं।  हालांकि कांग्रेसी जानते हैं कि महू विधानसभा में अंतर सिंह दरबार के बाद रामकिशोर शुक्ला ही ऐसे नेता हैं जिनके पास अच्छी खासी भीड़ तथा जनता के बीच पकड़ है। शुक्ला पुराने कांग्रेसी हैं और माना जाता है कि उनके भाजपाई दोस्त भी उन्हें सर्मथन करने जा रहे हैं ये वही दोस्त हैं जिन्हें अब अपनी और अपनों की कोई उम्मीद नहीं है।

कांग्रेस के ये  दोनों ही नेता अंतर सिंह दरबार और राम किशोर शुक्ला फिलहाल भोपाल और दिल्ली में आए दिन पहुंच रहे हैं। इस बार भाजपा की स्थिति कमजोर है और ऐसे में इनके हौसले मजबूत हैं। भाजपा की कमजोरी की वजह मंत्री उषा ठाकुर रहीं जिन पर क्षेत्र के लोगों ने ही अनदेखी के आरोप लगाए। ठाकुर के कार्यकाल में भाजपा नेताओं की फजीहत भी खूब हुई। कई नेता पार्टी से नाराज हुए और चिट्ठी लिखने लगे। पहली बार हुआ जब लोग बाहरी उम्मीदवार से इतने त्रस्त हो गए कि उन्होंने इसके लिए बैनर पोस्टर लगा डाले।

वहीं भाजपा में चर्चा है कि टिकिट कविता पाटीदार का तय होना है। कविता पाटीदार जिला पंचायत अध्यक्ष के रूप में पहली बार महू की जनता की नजर में आईं। इससे पहले वे भाजपा के बड़े नेता भैरूलाल पाटीदार की बेटी ही थीं। जनता ने भी उन्हें इसी तरह देखा। हालांकि कविता जनता के बीच में अपनी पैठ बनाने में कामयाब नहीं हुईं लेकिन उन्होंने पार्टी के अहम दायरे में अपनी उपस्थिति किसी तरह बना ली और देखते ही देखते वे राज्यसभा सदस्य और पार्टी के कई पदों पर पहुंच गईं।

कविता, नई भाजपा के नेताओं की उसी श्रेणी से आतीं हैं जिन्होंने जनता के बीच जाकर कभी कोई बड़ा चुनाव नहीं लड़ा और न ही एक साधारण कार्यकर्ता की तरह संघर्ष किया। वास्तव में वे भी उसी वंशवाद की कड़ी हैं जिसका भारतीय जनता पार्टी के बड़े नेता तेज़ आवाज़ में चीखते हुए विरोध करते रहे हैं और अपने पक्ष में वोट मांगते रहे हैं।

कहा जा रहा है कि अगर कविता को चुना गया तो स्थानीय भाजपा के अंदरूनी दायरे में भी विरोध होगा। विरोध इसलिए क्योंकि पार्टी को फिलहाल एक ही महिला नेत्री में सभी संभावनाएं नजर आ रहीं हैं ऐसे में वे नेता पिछड़ गए जिन्होंने तीन-चार दशकों तक पार्टी में जमीनी स्तर का हर काम किया। देखा जाए तो महू की राजनीति हर पहलू पर दिलचस्प होती जा रही है। यह स्थिति चुनाव के परिणाम तक जारी रहेगी। मतदाताओं को केवल यह देखना होगा कि उनका मत कहां इस्तेमाल होने जा रहा है।


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