VIDEO: राशन घोटाले की धीमी जांच पर बोलीं मंत्री उषा ठाकुर, धन्यवाद दो कि चोरों को पकड़वाया


इस मामले में कांग्रेस के स्थानीय नेता मोहन अग्रवाल और उनके दो बेटों के साथ दो व्यापारियों को आरोपी बनाया गया है। उम्मीद जताई जा रही थी कि प्रशासन  स्थानीय खाद्य अधिकारी, नागरिक आपूर्ती निगम के अधिकारी, मंडी समिति के कर्मचारी, राशन की दुकानों के संचालकों की भूमिका की भी जांच करेगा और उन्हें आरोपी भी बनाएगा लेकिन जांच शुरु होने के चार महीने बाद भी इस बारे में कुछ नहीं हुआ जबकि कलेक्टर पहले ही इन सभी की भूमिका पर संदेह जता रहे थे।


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इन्दौर Updated On :
usha thakur on madrsa

इंदौर। महू में हुए सौ करोड़ के राशन घोटाले की जांच में हो  रही देरी को लेकर पर्यटन मंत्री और महू की स्थानीय विधायक उषा ठाकुर ने भी ठोस जवाब नहीं दिया है। सोमवार को एक कार्यक्रम में महू पहुंची विधायक ठाकुर ने इस बारे में पूछे जाने पर कहा कि जांच प्रक्रिया में कानून अपना काम कर रहा है और कोई अपराधी बख़्शा नही जाएगा, सभी दोषियों को कठोरतम दंड मिलेगा। हालांकि मामले की जांच शुरु हुए चार महीने हो गए हैं और अब तक कोई नया आरोपी नहीं बनाया गया है।

राशन घोटाले में के मुख्य आरोपी मोहन अग्रवाल का गठजोड़ कई सरकारी कर्मचारियों और अधिकारियों के साथ बताया गया था लेकिन अब तक कोई भी पकड़ में नहीं आया है और न ही पुलिस या प्रशासन की जांच में उन पर कोई कार्रवाई की गई है।

 

 

इसे मामले में कुछ अधिकारी-कर्मचारी अब यहां से तबादला करवाकर अन्य स्थानों पर जा चुके हैं। इस पर विधायक ठाकुर ने सवाल करने वाले पत्रकारों से उन अधिकारियों के बारे में पूछा और कहा कि उन्हें भी नहीं छोड़ा जाएगा। पत्रकारों से मंत्री ठाकुर ने कहा कि सभी को पकड़ा जाएगा और लोगों को इस बात पर उनका धन्यवाद देना चाहिए कि इतने सालों में चोरों को पकड़ाया है।

क्यों हो रही है महू में पकड़े गए सौ करोड़ के राशन घोटाले की जांच में देरी?

इस बीच पत्रकार लगातार कहते रहे कि मामला प्रकाश में आए चाह महीने हो गए हैं और कलेक्टर मनीष सिंह ने जिन भी अधिकारियों-कर्मचारियों की संभावित भूमिका के बारे में बात की थी जांच के दौरान उनमें से अब तक किसी के भी नाम सामने नहीं आए हैं।

उल्लेखनीय है कि महू का पकड़ा गया राशन घोटाला शुरुआती दौर में करीब पचास करोड़ रुपये का बताया गया था। इसमें कैरोसीन की भी चोरी की गई है। जिसके बाद कलेक्टर मनीष सिंह का आंकलन था कि यह घोटाला करीब सौ करोड़ रुपये तक का हो सकता है।

इस मामले में कांग्रेस के स्थानीय नेता मोहन अग्रवाल और उनके दो बेटों के साथ दो व्यापारियों को आरोपी बनाया गया है। उम्मीद जताई जा रही थी कि प्रशासन  स्थानीय खाद्य अधिकारी, नागरिक आपूर्ती निगम के अधिकारी, मंडी समिति के कर्मचारी, राशन की दुकानों के संचालकों की भूमिका की भी जांच करेगा और उन्हें आरोपी भी बनाएगा लेकिन जांच शुरु होने के चार महीने बाद भी इस बारे में कुछ नहीं हुआ जबकि कलेक्टर पहले ही इन सभी की भूमिका पर संदेह जता रहे थे।

 


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