इंदौर। महू का आंबेडकर विश्वविद्यालय एक बार फिर चर्चाओं में है यहां अब नए कुलपति की नियुक्ति होनी है। जिसके लिए तमाम लोग एड़ी-चोटी का ज़ोर लगा रहे हैं।
इस बीच विश्वविद्यालय की उपलब्धियां भी बढ़ रही हैं जो महू शहर के लिए बेहद अहम होने जा रही हैं। दिलचस्प बात ये है कि यह उपलब्धियां उन पूर्व कुलपति के कार्यकाल की हैं जिन्हें शासन ने धारा 44 लगाकर पद से हटा दिया था।
आंबेडकर विश्वविद्यालय को पिछले दिनों वकालत की पढ़ाई शुरु कराने के लिए अनुमति मिल गई है। कुछेक औपचारिकताओं के बाद जल्दी ही यह पढ़ाई शुरु की जाएगी। वकालत पढ़ाने के लिए शासन ने चार प्राध्यपकों को यहां भेजा है।
जो यहां बीए-एलएलबी पढ़ाएंगे। विवि प्रशासन के मुताबिक इस कोर्स में दाख़िला लेने के लिए विद्यार्थी अभी से प्रयास कर रहे हैं। अब तक कुछ इसके बाद इंदौर के महू शहर कस्बे में यह इकलौता संस्थान होगा जहां वकालत की पढ़ाई हो सकेगी।
इससे शहर के लोगों में खुशी है। दरअसल महू शहर या क्षेत्र से वकालत की पढ़ाई करना बेहद मुश्किल हो चला था। यहां के विद्यार्थियों के लिए वकालत पढ़ने के लिए इंदौर ही जाना होता था।
कभी यहां मशहूर आरसी जाल लॉ कॉलेज हुआ करता था लेकिन इसके बंद होने के बाद से वकालत की पढ़ाई इंदौर के संस्थानों पर निर्भर हो गई थी। ऐसे में अब एक बार फिर वकालत की पढ़ाई का यह सिलसिला शुरु हो रहा है।
इसे लेकर बार काउंसिल के पूर्व अध्यक्ष रवि आर्य भी काफी खुश हैं। आर्य के मुताबिक यह शहर के लिए एक बड़ी उपलब्धि है और इसे हांसिल करने के लिए किये गए प्रयास काफी अहम रहे हैं। आर्य के मुताबिक सामाजिक विज्ञान को न्याय की पढ़ाई से जोड़ना ही एक बेहद अहम निर्णय था। महू में वकालत की पढ़ाई शुरु होने के कारण महू और आसपास के कई इलाकों में विद्यार्थियों को फायदा होगा।
डॉ. आंबेडकर सामाजिक विज्ञान विवि में वकालत जैसे विषयों को जोड़ने का विचार पूर्व कुलपति डॉ. आशा शुक्ला का था। उन्होंने कुलसचिव अजय वर्मा के साथ दिसंबर 2021 को इसका प्रस्ताव भेजा था। यह प्रस्ताव बाबू जगजीवन राम पीठ के शोधअधिकारी डॉ. राम शंकर ने बनाया था। बार काउंसिल ने इसे अब स्वीकृत किया है।
हालांकि अब डॉ. शंकर की सेवाएं स्थगित कर दी गई हैं क्योंकि विवि के अनुसार बाबू जगजीवन राम पीठ को चलाने के लिए केंद्र सरकार द्वारा दिया जाने वाला अनुदान अब तक नहीं मिला था। हालांकि यह अनुदान अब जल्दी ही मिल सकता है।
डॉ. शुक्ला को जनवरी में पद से हटा दिया गया और डॉ. दिनेश कुमार शर्मा को प्रभारी कुलपति बना दिया गया। डॉ. शर्मा पहले इसी विश्वविद्यालय में कुलसचिव थे और जब उनकी और डॉ. शुक्ला की काफी अनबन होती रहती थी।
अब उन्हीं डॉ. शर्मा के कार्यकाल में बार काउंसिल ने महू में आंबेडकर विवि का मुआयना किया और बीएएलएलबी की पढ़ाई के लिए प्रस्ताव को मंज़ूरी दी। ज़ाहिर है पुरानी कुलपति डॉ. शुक्ला के प्रयास मौजूदा कुलपित डॉ. शर्मा के भी काम आ गए।
डॉ. आशा शुक्ला के कार्यकाल में विश्वविद्यालय ने कोरोना काल के दौरान भी रिकार्ड वेबिनार करवाए। इसमें देश-विदेश के कई जानकारों ने हिस्सा लिया और विद्यार्थियों के लिए भी इसका लाभ मिला।
पिछले दिनों इसी काम के लिए आंबेडकर विश्वविद्यालय को इंडिया बुक ऑफ रिकार्ड की ओर से पुरुस्कृत किया गया था। उस समय किसी भी शैक्षणिक संस्थान में ऑनलाइन वेबिनार का आयोजन इतनी संख्या में नहीं हुआ था।
इसके अलावा आंबेडकर विवि ने बीते साल ही महू छावनी में स्थित देश के तीन अहम सैन्य संस्थानों आर्मी वॉर कॉलेज, एमसीटीई और इंफेंट्री स्कूल के साथ भी एमओयू किये हैं। इनके तहत सैन्य अधिकारी और इन संस्थानों से जुड़े नागरिक भी यहां पढ़ाई कर रहे हैं।