जब संकट आया तो आम लोगों ने निभाई बड़ी जिम्मेदारी, अस्पताल में पहुंचा करोड़ों का दान


कोरोना की दूसरी लहर के दौरान मध्यभारत अस्पताल को मिला करोड़ों का दान


अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :

महू। इंदौर जिले की महू तहसील कोरोना काल में सबसे ज्यादा संक्रमित तहसील रही। प्रदेश के सबसे ज्यादा संक्रमित शहर से कुछ ही किलोमीटर दूर यह छोटा सा शहर और इसका ग्रामीण इलाके में बड़ी संख्या में संक्रमित मिले और उनकी मौतें भी हुईं। इलाज के आभाव में यहां का नुकसान और भी बड़ा होने की पूरी आशंका थी।

ऐसे में कुछ लोगों ने कदम बढ़ाए और देखते ही देखते यहां का ख़स्ताहाल सरकारी अस्पताल एक सर्वसुविधायुक्त स्वास्थ्य केंद्र में बदल गया जहां कोरोना का बेहतर इलाज संभव हो सका। शहर के लोगों ने अपनी जिम्मेदारी ऐसे निभाई कि कुछ ही समय में अस्पताल में एक करोड़ रुपये तक का ज़रूरी सामान दान में आ गया।

कोरोना काल ने देश-दुनिया में बहुत सी तस्वीरें बदली हैं इनमें से महू के मध्भारत अस्पातल की तस्वीर भी एक है। एक अधिकारी की ज़िद से शुरु हुआ इस अस्पताल की बेहतरी का काम लोगों के मन को भी भाया और उन्होंने एक जिम्मेदार नागरिक और संवेदनशील इंसान के रुप में अपनी जिम्मेदारी निभाई।  इसका असर ये हुआ कि मात्र दो महीने में अस्पताल में कई सुविधाओं के लिए एक करोड़  से ज्यादा राशि के अनेक उपकरण दिए।

इस दान में अस्पताल को स्थानीय उद्योगपति नवीन अग्रवाल की पाथ इंडिया फाउंडेशन और शासन व विधायक निधि  के द्वारा मिली राशि या उनके द्वारा कराए गए विकास कार्य शामिल नहीं है।  ज़ाहिर है कि दान में मिले उपकरण  अब लंबे समय तक अस्पताल में भर्ती होने वाले रोगियों  को लंबे समय तक काम आ सकेंगे।

करीब दो वर्ष पहले महू में अपनी पदस्थापना पर आए आईएएस अधिकारी अभिलाष मिश्र ने महू में आकर जो सबसे पहला काम शुरु किया था वह था अस्पताल की बेहतरी का। हालांकि उनके तमाम प्रयासों के बाद भी अस्पताल की सेहत सुधरने को तैयार नहीं थी। मिश्र ने हार नहीं मानी और डटे रहे, जिसका असर भी देखने को मिलने लगा। इस बीच कोरोना संक्रमण ने दस्तक दी।

कोरोना की ये पहली लहर महू शहर के लिए काफी खतरनाक रही। इसके चलते करीब साठ लोगों की मौत हुई थी। इनमें शहर के कई अहम लोग भी शामिल रहे। इस दौरान सबसे ज्यादा ज़रुरत एक अच्छे अस्पताल और बेहतर इलाज की महसूस की गई।

इसके बाद कोरोना की दूसरी लहर की चर्चाएं तेज थी और इसे देखते हुए एसडीएम अभिलाष मिश्र भी सक्रिय रहे। उन्होंने मध्यभारत अस्पताल में हर तरह की सुविधा जुटाने का प्रयास किया।

इसमें उन्हें पाथ इंडिया ग्रुप के नितिन अग्रवाल की भी मदद मिली। इसके बाद लोग जुड़ते रहे। यह अधिकारी और नागरिकों की दूरदर्शिता थी और अब कोरोना की दूसरी लहर करीब नजर आने लगी थी।

कोरोना की दूसरी लहर आई और पहले से भी ज्यादा भयानक रुप लेकर आई। तहसील में हाहाकार था। तमाम प्रयासों के बाद भी सैकड़ों जानें नहीं बचाईं जा सकीं। हालांकि इस बीच मध्यभारत अस्पताल तैयार हो चुका था।

यहां कोरोना के इलाज का प्रबंध किया गया। डॉक्टर और नर्सें बुलाए गए। इन सभी ने पूरी ईमानदारी से काम किया। संक्रमितों की संख्या सैकड़ों से शुरु होकर हजारों तक पहुंच गई और इंदौर जैसे बड़े शहर में भी इलाज मिलना मुश्किल हो गया।

ऐसे में मध्यभारत अस्पताल ने जरुरतमंद और गंभीर बीमार लोगों के लिए आस जगाई। यहां कुछ ही दिनों में करीब सात सौ लोगों का इलाज किया गया और उन्हें बेहद कम दाम पर अच्छी स्वास्थ्य सुविधा दी गई। इनमें कई दूसरे शहरों तक के लोग शामिल रहे।

इससे पहले नागरिकों ने अपनी जिम्मेदारी निभाई थी। अस्पताल को जो सामग्री मिली उसकी कीमत करीब  1 करोड़ 15 लाख रुपये के करीब है। यह वह उपकरण व संसाधन हैं जिनकी उम्मीद अगर शासन या प्रशासन से की जाती तो शायद कुछ सालों का इंतजार करना पड़ता लेकिन जब लोग जागे तो केवल दो महीनों में ही सब जुटा लिया गया।

 

ये सब मिला दान में…

इनमें 4 ऑक्सीजन कंसेटेक्टर, 10 हाईड्रोलिक पलंग, 9 मल्टी पेरामॉनिटर, 2 इंफंक्शन पंप, 1 रेफ्रिजिरेटर, 7 एयर कंडीशनर, 4 पंखे,  4 ऑफिस टेबल, 6 रेक,2 कंटोल पैनल, 1 कम्प्रेशन प्लांट, 40 ऑफिस चेयर, 1 वाटर प्यूरीफायर , 14 वॉल हेंगिंग कार्टन, 7 स्ट्रैचर, 7 व्हील चेयर, 26 चादर व तकिया कवर, 1 सीबीसी मशीन व प्रिंटर, 1 एक्सरे मशीन, पल्स ऑक्सोमीटर  के अलावा 60 लाख की लागत से बने ऑक्सीजन प्लांट में पैंतीस लाख रुपये दानदाताओं के शामिल हैं। इसके अलावा अन्य उपकरण भी है जिनकी कीमत लाखों रूपये में है।

 


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