महू। दुनिया में भारत का नाम हॉकी के क्षेत्र में रोशन करने वाले पद्मश्री किशनदादा ने हॉकी खेलना 42 साल पहले छोड़ दिया था लेकिन उनकी हॉकी के मुरीद आज भी दुनियाभर में हैं। उनके बेमिसाल खेल के चलते ही उन्हें भारतीय हॉकी का दादा कहा जाता था।
किशनदादा स्वर्णीय योगदान को अब शब्दों में समेटने का प्रयास किया जा रहा है। यह प्रयास उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अनिल वर्मा कर रहे हैं। इसके लिए उन्होंने अंतराष्ट्रीय हॉकी खिलाडी मीररंजन नेगी के साथ महू के हॉकी खिलाडियों और खेल से जुड़े लोगों के साथ चर्चा की तथा उनके कार्यों व योगदान को दुनिया के सामने लाने के लिए किशनदादा के साथ बिताए समय को, उनके दौर में अपने अनुभवों आदि को साझा करने की अपील की।
उच्च न्यायालय के न्यायाधीश अनिल वर्मा हॉकी प्रेमी है और महू में खत्म होती जा रही हाॅकी को एक बार फिर चर्चाओं में लाने का प्रयास कर रहे हैं। जस्टिस वर्मा ने इसके लिए गुज़रे ज़माने के मशहूर खिलाड़ी किशनदादा की उपलब्धियों, उनके संघर्षों, कार्याें, महू में बिताए पलों के बारे में दुनिया को बताने के लिए उस दौर के लोगों और खिलाड़ियों के अनुभवों को सुन रहे हैं। इसके साथ ही वे किशनदादा से जुड़ी अख़बारी सामग्री, उनकी चिट्ठियां भी जुटा रहे हैं।
जस्टिस वर्मा ने इसके लिए खेल समीक्षक और पूर्व पत्रकार ओपी ढोली से मुलाकात की और उन्होंने किशनदादा के जीवन व उनके खेल के बारे में कई रोचक जानकारियां दी। इनके अलावा समीर संकत, बसंत सोलंकी, नवीन सैनी, दामोदर शर्मा, राधेश्याम बियाणी, गोरीशंकर शुक्ला, मंजू संकत, इंदौर से आए प्रकाश हॉकी क्लब के अशोक यादव, फादर जॉन चंद प्रकाश, पवन शर्मा, अतुल बाथम, ओम संकत सहीत अनेक वरिष्ठ खिलाड़ियों और खेल से जुड़े लोगों से भी किशनदादा के बारे में जाना।
इस मौके पर समाजसेवी नवीन सैनी ने कहा कि अगर सभी प्रयास करें तो हम सब महू में एक बार हॉकी को फिर ज़िंदा कर सकेंगे। उन्होंने कहा कि प्रशासन मैदान उपलब्ध करवा दे शेष व्यवस्स्था हम करेंगे। खिलाड़ियों की इस बैठक का संचालन शहर के राधेश्याम अग्रवाल ने किया। यहां पहुंचे अनिल वर्मा ने कहा कि इस शहर खिलाड़ियों का देश व दुनिया की हॉकी में क्या योगदान है इससे सबको अवगत कराना ही हमारा लक्ष्य है ताकि यहां के बच्चे और युवा एक बार फिर हॉकी लेकर मैदान
में जाना फिर शुरु कर सकें।