बकायादारों के घर के बाहर बजे बैंड-बाजे, किसी ने शर्म तो किसी ने डर के कारण जमा कराई राशि


संपति कर व दुकानों के बकाया किराये की वसूली के लिए बकायादारों के मकानों तथा दुकानों के सामने बैंड-बाजे बजवाए गए। यह प्रयोग उनके यहां किया गया जिन पर लाखों रुपये की राशि बकाया है।


अरूण सोलंकी
इन्दौर Published On :
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महू। करोड़ों रुपये की वसूली के लिए छावनी परिषद द्वारा एक नया प्रयोग शुरू किया गया जिसमें पहले दिन ही सफलता मिली और तकरीबन छह लाख रुपये जमा हो गए।

संपति कर व दुकानों के बकाया किराये की वसूली के लिए बकायादारों के मकानों तथा दुकानों के सामने बैंड-बाजे बजवाए गए। यह प्रयोग उनके यहां किया गया जिन पर लाखों रुपये की राशि बकाया है।

छावनी परिषद द्वारा शहर के बकायादारों से राशि वसूलने के लिए एक नया प्रयोग शुरू किया गया ताकि बकायादार शर्म के मारे राशि जमा करा दें क्योंकि अब तक परिषद द्वारा ऐसे लोगों को सूचना व नोटिस देकर संपति कर व दुकानों का किराया जमा कराने के लिए कहा जा रहा था जिसका कोई असर नहीं हो रहा था।

राजस्व अधीक्षक मुकेश प्रजापति के अनुसार ऐसे बकायादारों की सूची काफी लंबी है। परिषद का संपति व दुकान किराये का करीब आठ करोड़ रुपये बकाया है।

इसमें सैंकड़ों ऐसे बकायादार हैं जिन पर एक लाख से लेकर बीस लाख रुपये तक की राशि बकाया है। इनके मालिकों को कई बार सूचना दी गई नोटिस तक भेजे गए।

इस राशि की वसूली के लिए परिषद ने पहली बार एक नया प्रयोग शुरू किया जिसमें ऐसे बकायादारों के घर के बाहर बैंड-बाजा बजवाया गया ताकि वे शर्म के कारण या फिर इससे बचने के लिए बैंड बजने के पहले ही राशि का भुगतान परिषद को कर दें।

पहले दिन यह प्रयोग शहर के सोलह बकायादारों जिसमें आठ मकानमालिकों व आठ दुकानदार हैं, के यहां बैंड बजवाया गया। इसका असर यह हुआ कि पहले दिन परिषद कार्यालय में चार लाख रुपये नकद तथा दो लाख के चेक जमा हो गए।

इसमें कुछ लोग ऐसे थे जिनके घर बैंड बजा था और कुछ ऐसे थे जिनके घर आगामी दिनों में बैंड-बाजा बजने वाला था इसलिए उन्होंने शर्म से बचने के लिए राशि जमा करा दी।

प्रजापति ने कहा कि अब तक पौने तीन करोड़ रुपये की राशि जमा हो चुकी है। यह प्रयोग सतत् चलता रहेगा तथा किराया नहीं देने वालों की दुकानें सील करने की भी कार्रवाई की जाएगी।


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