विधानसभा चुनावों से पहले भारतीय जनता पार्टी को लगातार झटके लग रहे हैं। इंदौर जो पार्टी का गढ़ माना जाता है वहां अब पार्टी की स्थिति बिगड़ हो रही है। केंद्रीय मंत्री ज्योतिरादित्य सिंधिया के सर्मथक और हालिया कांग्रेसी बने प्रमोद टंडन के बाद राउ से धाकड़ समाज के नेता दिनेश मल्हार ने भी पार्टी छोड़ दी है। इसके बाद बारी एक ग्रामीण नेता की है जो अब तक महू से चुनकर आए विधायकों की जीत के अहम किरदार रहे हैं। महू से रामकिशोर शुक्ला शनिवार को कांग्रेस पार्टी ज्वाइन करने जा रहे हैं। इसी दिन दिनेश मल्हार भी कांग्रेस में शामिल होंगे। शुक्ला इस बारे में कुछ नहीं बोल रहे हैं लेकिन इसकी पुष्टी उनके करीबियों ने की है।
धाकड़ समाज के नेता दिनेश मल्हार भाजपा से 35 वर्षों से जुड़े हुए हैं। उन्हें उम्मीद थी कि पार्टी उन्हें विधायक का टिकिट देगी लेकिन भाजपा ने इस बार भी मधु वर्मा को ही राउ से उम्मीदवार चुना है। इससे मल्हार नाराज़ चल रहे थे। इसके बाद उन्होंने अब पार्टी से औपचारिक तौर पर अपना नाता तोड़ लिया है। मल्हार भाजपा के सर्मथन से सरपंच और जिला पंचायत सदस्य रह चुके हैं। हालांकि इस बार भी उनका विधायकी लड़ने का सपना साकार नहीं हो पाएगा क्योंकि यहां से उनके करीबी और कांग्रेस के सिटिंग विधायक और बडे़ नेता जीतू पटवारी पहले से एक सबसे मजबूत दावेदार के तौर पर मौजूद हैं। पटवारी के साथ ही मल्हार कांग्रेस में पहुंचे हैं।
वहीं महू की बात करें तो अब राम किशोर शुक्ला की रवानगी तय हो चुकी है। खबरों की मानें तो पिछले दिनों वे कमलनाथ के साथ प्रदेश प्रभारी रणदीप सुरजेवाला से भी मिल चुके हैं। बताया जाता है कि शुक्ला से कुछ वादे भी किए गए हैं। हालांकि ये वादे कौन से हैं ये स्पष्ट नहीं है। इस बीच भाजपा की ओर से उन्हें मनाने की हल्की-फुल्की कोशिशें भी हुईं हैं लेकिन मनाने वालों में कोई वरिष्ठ नेता नहीं था। ऐसे में अब माना जा रहा है कि शनिवार कोे मल्हार के साथ रामकिशोर शुक्ला भी भाजपा छोड़ कांग्रेस में शामिल हो जाएंगे।
उनके कांग्रेस में शामिल होने के बाद समीकरण बदल जाएंगे। सबसे मजबूत प्रत्याशी अंतर सिंह दरबार यहां पहले से मौजूद हैं जो भीड़ जुटाने में माहिर हैं और हर बार कड़ी टक्कर देते आए हैं लेकिन यह भी सही है कि बीते तीनों बार वे चुनाव हार चुके हैं और कई स्थानीय नेता उनका विरोध करते रहे हैं।
महू से कई कांग्रेसी नेताओं ने अपने बायोडाटा बनाकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष कमलनाथ तक पहुंचाए हैं। इनमें इन नेताओं ने कई अपने बड़े जन सर्मथन और मजबूत आर्थिक स्थिति के दावे भी किए हैं। हालांकि महू में कांग्रेस के पास ऐसे नेता जमीन पर कम ही नजर आते हैं। वहीं अगर रामकिशोर शुक्ला भी कांग्रेस में होंगे तो पार्टी की मजूबती बढ़ेगी लेकिन यह इस बात पर भी निर्भर करता है कि उनका और अंतर सिंह दरबार का तालमेल कैसा होता है।
हार जीत की बात इन दिनों भाजपा के कई दूसरे नेता भी कर रहे हैं। ये वे बड़े नेता हैं जो अपनी नाराजगी के चलते सुर्खियों में बने हुए हैं। ये नेता कई मंचों पर अपनी नाराजगी जता चुके हैं लेकिन इनसे बात करने के लिए अब तक कोई गंभीर प्रयास नहीं हुए हैं।