एशिया की सबसे बड़ी ट्रैक बनाने में बाधक माधवपुर गांव ख़त्म, HC के आदेश के बाद हटाए 56 परिवार


— प्रशासन की दानवाकार मशीनें उनके घर तोड़ रहीं थीं और गांव वाले रोते हुए देखते रहे, 600 पुलिसकर्मी और कई अधिकारी रहे मौजूद


अनवर खान
इन्दौर Published On :

पीथमपुर। ऑटोमोबाइल के तमाम तरह के परीक्षण के लिए केंद्र सरकार द्वारा बनाई जा रही ऑटो टेस्टिंग ट्रेक के विस्तार में एक आख़िरी गांव को भी रविवार को हटा दिया गया। माधवपुर गांव के कुछ ग्रामीण अधिग्रहित हो चुके अपने इस गांव से हटने को तैयार नहीं हो रहे थे जिन्हें अब हटाया गया है।

माधवपुर गांव के अधिकांश लोग भूमि व गांव में अपने मुआवजा लेकर नए पुनर्वास स्थल में स्थापित हो गए हैं लेकिन गांव के लगभग 50 से अधिक परिवार वाले किसानों ने गाँव की ज़मीन व मकानों के मुआवजे से असंतुष्ट होकर न्यायालय की शरण ली और लम्बे समय तक हाई कोर्ट में केस लड़ा लेकिन आख़िरकार 26 मार्च को हाईकोर्ट ने अपना फैसला सुनाया और हाईकोर्ट ने ग्रामीणों की अपील खारिज करते हुए  नेट्रिप  यानी नेशनल ऑटोमोटिव टेस्टिंग एंड आर एंड डी इंफ्रास्ट्रक्चर प्रोजेक्ट के पक्ष में फैसला दिया है। यह एशिया की सबसे बड़ी टेस्टिंग ट्रैक होगी।

नेट्रिप को कब्जा दिलाने के लिए ग्रामीणों को मनाया गया लेकिन जब सभी ग्रामीण राज़ी नहीं थे तो प्रशासन ने सख्ती से उन्हें हटाया। बताया जाता है कि प्रशासन को  देशा था कि ग्रामीण हाईकोर्ट के फैसले के खिलाफ़ सुप्रीम कोर्ट जा सकते हैं इसीलिये  होली व रंगपंचमी के त्योहारों के बीच प्रशासन ने ग्रामीणों को डोंडी पिटवाकर 48 घंटो में हटने को कहा गया था। जिसकी समय सीमा रविवार को सुबह खत्म हो रही थी।

इसी दौरान प्रशासन ने अपनी तैयारी पूरी कर शनिवार को ही गांव को खाली करवाकर गांव के सभी कच्चे पक्के मकानों को ज़मींदोज़ करने का पूरा कार्यक्रम बना लिया था इसके लिए प्रशासन ने पूरे धार जिले के सभी थानों के थाना प्रभारी , एसडीओपी, सीएसपी, एसडीएम तहसीलदार व राजस्व अमले के साथ 19 कार्यपालिक मजिस्ट्रेट व धार व इंदौर जिले के लगभग 600 से अधिक पुलिस कर्मी रिमूवल गैंग, पटवारी नगरपालिका के अमले के अलावा बड़ी संख्या में रिमुवल मशीनें डंपर के मौजूद थे।

उल्लेखनीय है कि कि ग्रामीणों के गांव से नहीं हटने के कारण हाई स्पीड ट्रेक व अन्य व्यवस्थाओं में  रुकावट उत्पन्न  और इस अत्याधुनिक ट्रेक के निर्माण में हो रहे विलंब के कारण से हो रही देरी को देखते हुए केंद्र व राज्य सरकार गांव वालों को हटाने के तमाम प्रयास कर चुके थे लेकिन हाईकोर्ट का निर्णय आते ही प्रशासन व नेट्रिप अधिकारियों ने किसी भी प्रकार के देर किये बिना रविवार को गांव वालों को खदेड़ दिया उनके मकान तोड़ दिये।

इस बीच ग्रामीणों ने हल्का फुल्का विरोध दर्ज करवाया लेकिन भारी पुलिस बल की मौजूदगी के कारण ग्रामीणों का विरोध मुखर नहीं हो सका।  ऑटो टेस्टिंग ट्रेक बनाने की यह परियोजना पिछले करीब15 वर्षों से चल रह  रही है जिसमें माधवपुर गांव एवं 14 दूसरे गावों के एक हजार किसान परिवारों की  4300 एकड़ जमीन अधिग्रहित की गई थी। माधवपुर को हटाने की कार्रवाई भी तब से ही चल रही थी लेकिन गांव के कुल 139 परिवारों में से 56 परिवार यहां से जाने को तैयार नहीं थे।

इस कार्रवाई को लेकर ग्रामीणों का आरोप हैं कि उन्होंने प्रशासन से आगृह किया था कि हाई कोर्ट ने फैसला दे दिया हैं हम कोर्ट का सम्मान करते हुए गाँव से हट जाएंगे हमें एक माह का समय दे दिया जाए और फिलहाल कोरोना चल रहा है ऐसे में वे कहां अब अपना सामान ले जाएंगे। ग्रामीणों ने गांव में कई कोविड संक्रमित होने की दलील भी दी लेकिन प्रशासन ने उन्हें यहां से निकालने के लिए अड़ा रहा और आख़िरकार उन्हें सख्ती से हटाया गया।

जेसीबी और पोकलेन से बड़े बड़े पक्के और कच्चे मकानों को कुछ ही घंटों में ढ़हा दिया। अपने मकानों को यूं टूटता देख गांववालों की आंखों में आंसू आ गए। अपने घर टूटते देखने के बाद  यह लोग ट्रैक्टर ट्रालियों में अपना सामान भरकर बाहर ले जाते रहे, कोई अपने दूसरे घर की तरफ ले गया तो कोई रिश्तेदार के घर अपना सामान ले गया। इस गांव में अभी हाल ही में करीब 10 से 15 लोग कोरोना संक्रमित पाए गए थे और एक घर में बुजुर्ग महिला की मौत का कार्यक्रम भी था लेकिन प्रशासन इन बातों पर गौर नहीं किया।

ग्रामीणों का कहना हैं प्रशासन ने ज्यादती की हैं यदि कुछ समय देता तो हम अपने गांव को नज़दीकी इलाके में वैसा ही गांव बसा रहे थे इसके लिए उन्होंने तीन बीघा जमीन भी खरीद ली थी वहां गांव पूरा ग्रामीण परिवेश में स्थापित करना चाहते थे जहां पर उक्त मंदिरों को भी स्थापित किया जाना था। इस बीच फिलहाल प्रशासन ने गांव के राधा कृष्ण व हनुमान मंदिर को नहीं तोड़ा है।


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