– रात को मान वंदना के साथ शानदार आतिशबाजी, मंत्री उषा ठाकुर भी पहुंचीं।
महू। डॉ. आंबेडकर की 130वीं जयंती उत्साह के साथ मनाई गई। हालांकि गत वर्ष की तरह इस वर्ष भी संक्रमण के कारण बड़ी संख्या में अनुयायी नहीं आए और ना ही किसी प्रकार का आयोजन किया गया।
सुबह से लेकर देर शाम तक यहां अनुयायियों का आना व माथा टेकना जारी रहा। इस दौरान कोविड-19 के नियमों का पूरी तरह पालन किया गया। संख्या कम होने के बावजूद यहां आए अनुयायियों के उत्साह में किसी प्रकार की कमी नहीं दिखी। पूरे दिन स्मारक परिसर जय भीम के नारे से गूजंता रहा।
कोरोना संक्रमण के कारण इस वर्ष भी डॉ. आंबेडकर की जयंती सादगी के साथ मनाई गई। संक्रमण के कारण इस वर्ष भी अनुयायियों का हुजूम नहीं आया, लेकिन बड़ी संख्या में पहुंचे अनुयायियों के उत्साह में किसी प्रकार की कमी नहीं दिखी।
महू व आसपास के क्षेत्रों से बड़ी संख्या में अनुयायियों ने यहां पहुंच कर माथा टेका। इस दौरान प्रदेश शासन के दो मंत्री उषा ठाकुर व तुलसी सिलावट ने भी श्रद्धासुमन अर्पित किए।
आंबेडकर स्मारक पर पूर्व की तरह अनुयायियों की चहल-पहल नहीं रही। सुबह से ही अनुयायियों का आना शुरू हो गया था। यहां पर समिति द्वारा व्यवस्था की गई थी कि एक समय में पांच से सात ही अनुयायी दर्शन कर माल्यापर्ण करें जिसका पालन भी किया गया।
परिसर के बाहर सभी को सैनिटाइज करने की व्यवस्था की गई थी। अनुयायी भी लाइन से एक-एक कर अंदर आ रहे थे जो अत्यंत ही कम समय में दर्शन कर वापस बाहर आ रहे थे। अनुयायियों को स्मारक के बाहर लगी प्रतिमा तक ही जाने दिया गया।
सुबह प्रदेश शासन के मंत्री तथा स्थानीय विधायक उषा ठाकुर व सांवेर विधायक तुलसी सिलावट ने माल्यापर्ण किया जबकि कांग्रेस की ओर से योगेश यादव ने माल्यापर्ण किया।
इनके अलावा शेखर बुंदेला, पीयुष अग्रवाल, मुकेश शर्मा, मोहन राव वाकोडे, संजय सोलंकी, मोंटू यादव, एवरेस्ट नागे के अलावा महू, इंदौर, पीथमपुर, उज्जैन, खंडवा, झाबुआ, बड़वानी वधार से बड़ी संख्या में अनुयायियों ने यहां पहुंच कर माल्यापर्ण किया। साथ ही भीम सेना, आरएसएस के सेवकों ने भी माल्यापर्ण किया।
इसके पूर्व रात बारह बजे स्मारक पर मान वंदना की गई तथा समता सैनिक दल के सदस्यों ने सलामी दी। इस दौरान समिति द्वारा शानदार आतिशबाजी की गई। स्मारक पर अलग हटकर की गई विद्युत सजावट आकर्षण का केंद्र रही।
समिति अध्यक्ष भंत सुमेद बोधी भी पूरे समय मौजूद रहे। इनके अलावा समिति के सचिव राजेश वानखेडे, राजेंद्र वाघमारे पूरे समय मौजूद रहकर व्यवस्था संभाले रहे।
अस्थि कलश के दर्शन नहीं कर पाए –
स्मारक पर आने वाले अनुयायियों के लिए अस्थि कलश के दर्शन, पालने को झूला देना व आंबेडकर के जीवन से जुड़े चित्रों को देखना महत्वपर्ण रहता है। लेकिन, संक्रमण के कारण स्मारक बंद है जिस कारण अनुयायी इनके दर्शन लाभ नहीं ले सकें।