इंदौर। कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल इंदौर ने ढाका से आई 67 वर्षीय आलिया नामक महिला की जटिल स्पाइनल सर्जरी सफलतापूर्वक की जो पिछले कई सालों से कमर के निचले भाग में गंभीर दर्द से पीड़ित थीं।
इस सर्जरी ने मिसेज आलिया को एक नया जीवन प्रदान किया है। इंदौर से ही नहीं बल्कि दुनिया भर से आने वाले मरीज़ों को वैश्विक स्तर की देखभाल प्रदान करने की अस्पताल की प्रतिबद्धता में इस सर्जरी की सफलता ने एक और महत्वपूर्ण पड़ाव हासिल किया है।
महिला मरीज शरीर के निचले अंगों में गंभीर दर्द से पिछले 19 सालों से पीड़ित थीं। इसके अलावा उन्हें मधुमेह और न्यूरोपैथी की तकलीफ भी लंबे समय से हो रही थी। कई एमआरआई परीक्षणों के बाद रीढ़ की हड्डी के एक विकार हाई-ग्रेड स्पोंडिलोलिस्थीसिस का पता चला था।
स्पोंडिलोलिस्थीसिस में एक वर्टिब्रल हड्डी दूसरे पर खिसक जाती है, जिससे नर्व कम्प्रेशन होता है। इससे मरीज़ को गंभीर दर्द, चलने, बैठकर उठकर खड़े होने में कठिनाई होती है। मरीज़ की रोज़ाना ज़िन्दगी पर इसका काफी असर पड़ता है। महिला मरीज को बिस्तर में करवट बदलने में भी दर्द होता था।
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल इंदौर में लीड कंसल्टेंट, न्यूरोसर्जरी, डॉ. प्रणव घोडगांवकर ने जानकारी देते हुए बताया कि
खास कर भारत में, डिजनरेटिव बीमारी स्पोंडिलोलिस्थीसिस के लिए एक महत्वपूर्ण कारण है। निदान और उपचार में देरी करने से लक्षण बिगड़ सकते हैं, अपने काम स्वयं कर पाने की मरीज़ की क्षमता कम होने लगती है, जिससे भावनात्मक तनाव भी पैदा हो सकता है।
कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल में अपनी सफल सर्जरी से पहले, मिसेज आलिया ने दुनिया भर के हेल्थकेयर प्रोफेशनल्स से मदद मांगी थी। अपने दामाद के साथ उन्होंने जर्मनी, ब्रिटेन और अन्य देशों के कई प्रसिद्ध मेडिकल सेंटर्स का दौरा किया या संपर्क साधा। कई परीक्षाओं और परामर्शों के बावजूद, स्पाइनल सर्जरी के डर की वजह से वह स्पाइनल सर्जरी कराने से हिचकिचा रहीं थीं।
गुणवत्तापूर्ण आधुनिक स्वास्थ्य देखभाल की खोज करते हुए मिसेज आलिया कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल इंदौर पहुंची। यहां के डॉक्टरों ने समझा कि उन्हें सबसे पहले मरीज़ का भरोसा जीतना होगा और सर्जरी का डर दूर करने में उनकी मदद करनी होगी। वीडियो कन्सल्टेशन बहुत ही अच्छे से हुआ और मरीज़ ने पूरे भरोसे के साथ सर्जरी के लिए हां कह दी।
डॉ. प्रणव घोड़गांवकर बताते हैं कि स्वास्थ्य देखभाल में, खास कर स्पाइनल सर्जरी जैसी जटिल प्रक्रियाओं में सबसे महत्वपूर्ण होता है भरोसा। हमें ख़ुशी है कि हम मिसेज आलिया का भरोसा जीत पाए और लंबे समय से चल रही उनकी बीमारी का संपूर्ण समाधान दे पाए। कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के मल्टी-डिसिप्लिनरी दृष्टिकोण की वजह से भी काफी मदद मिली, इसमें कई अलग-अलग स्पेशलिस्ट्स मरीज़ की मधुमेह जैसी दूसरी स्वास्थ्य समस्याओं पर इलाज के लिए उपलब्ध थे।
सर्जरी के बारे में डॉ. घोड़गांवकर ने बताया कि
मरीज़ की उम्र और सहव्याधियों की वजह से हमने उन पर मिनिमली इन्वेसिव सर्जिकल प्रोसिजर करने का निर्णय लिया जिसे मिनिमली इन्वेसिव ट्रांसफॉर्मिनल लम्बर इंटरबॉडी फ्यूजन (MIS TLIF) कहते हैं। इसमें ओपन TLIF के मुकाबले कम इन्वेसिव तरीके से लम्बर फ्यूजन किए जा सकते हैं और सर्जरी के दौरान और बाद में ज़्यादा अच्छे परिणाम मिलते हैं। मिनिमली इन्वेसिव प्रोसिजर में खिसके हुए वर्टिब्रे को रिअलाइन किया गया और त्वचा में अंदर डाले गए एक छोटे इन्सिजन के ज़रिए टाइटेनियम इम्प्लांट्स का इस्तेमाल करते हुए उन्हें सुरक्षित किया गया। पर्मनंट फ्यूजन को आसान बनाने और मरीज़ को लंबे समय के लिए राहत दिलाने के लिए वर्टिब्रे के बीच केज नाम का एक एलॉन्गटेड इम्प्लांट रखा गया।
डॉ. घोड़गांवकर कहते हैं कि
अच्छी बात यह हुई कि सर्जरी के तुरंत बाद मरीज़ चलने लगी और सभी आवश्यक काम करने लगीं। उनका रिहैबिलिटेशन किया गया और पूरी तरह से फंक्शनल रिकवरी हो पाने के लिए रोज़ाना कसरत करने के लिए प्रोत्साहित किया गया। मरीज़ की तबियत में तेज़ी से और पूरा सुधार हुआ।
इस बारे में महिला मरीज आलिया बेगम ने संतुष्टि जताते हुए कहा कि
इंदौर में कोकिलाबेन धीरूभाई अंबानी हॉस्पिटल के डॉक्टरों की वजह से मैंने एक नया जीवन हासिल किया है। जब मैं सर्जरी के बाद होश में आयी तब मैंने महसूस किया कि मेरा दर्द मुझसे दूर चला जा रहा है और फिर मैं तुरंत ही चल पा रही थी, हिल रही थी, सब कुछ बिना दर्द के हो रहा था। मेरा डर दूर भगाने में डॉ. प्रणव घोड़गांवकर ने बहुत बड़ी मदद की, जिसकी वजह से मैं सर्जरी के लिए तैयार हुई। मैं उनकी बहुत आभारी हूं।