किसान आंदोलनः गणतंत्र दिवस पर इंदौर में भी हुआ प्रदर्शन


इस प्रदर्शन में किसान संघर्ष समिति, अखिल भारतीय किसान सभा, अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन, एटक, सीटू सहित अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान संगठनों ने भाग लिया।


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इन्दौर Published On :

इंदौर। दिल्ली के किसान आंदोलन के समर्थन में इंदौर में भी किसानों का प्रदर्शन जारी है। गणतंत्र दिवस के दिन यहां भी किसानों सहित कई संगठनों ने प्रदर्शन किया। यहां सैकड़ों की तादाद में मजदूर और किसानों के साथ  प्रतीक स्वरूप रैली में ट्रैक्टरों को भी शामिल किया गया। प्रशासन ने रीगल तिराहे पर ही रोक लिया। ऐसे में  करीब एक घंटे तक की नारेबाजी करने के बाद  अलग-अलग दलों के रूप में कार्यकर्ता अंबेडकर प्रतिमा तक पहुंचे। इसके बाद  संकल्प सभा आयोजित हुई।

इस प्रदर्शन में किसान संघर्ष समिति, अखिल भारतीय किसान सभा, अखिल भारतीय किसान खेत मजदूर संगठन, एटक, सीटू सहित अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति और संयुक्त किसान मोर्चा से जुड़े किसान संगठनों ने भाग लिया।

इस प्रदर्शन और रैली का नेतृत्व  रूद्र पाल यादव, रामस्वरूप मंत्री ,कैलाश लिंबोदिया ,अरुण चौहान, एसके दुबे,प्रमोद नामदेव, भरत सिंह यादव, दिनेश सिंह कुशवाह, छेदी लाल यादव ,अजय यादव, विनीत तिवारी, अरविंद पोरवाल आदि कर रहे थे ।

सभा में शामिल लोगों ने कहा कि  उनका संकल्प है कि वे संविधान के खिलाफ किसी काम को नहीं होने देंगे और संविधान की रक्षा और देश को बचाने के लिए हर तरह की कुर्बानी देने को तैयार रहेंगे। सभा का संचालन रूद्रपाल यादव ने किया।

आंबेडकर प्रतिमा के समक्ष सभी प्रदर्शनकारियों को किसान संघर्ष समिति मालवा निमाड़ के संयोजक रामस्वरूप मंत्री ने संकल्प दिलाया। जिसमें तीनों किसान कानून रद्द होने तक आंदोलन जारी रखने का संकल्प लिया गया। प्रदर्शन में शामिल कार्यकर्ता हाथों में तिरंगे झंडे और अपने-अपने संगठनों के झंडे तथा किसान कानून के खिलाफ तख्तियां लिए हुए थे।

प्रदर्शन में प्रमुख रूप से कामरेड सोहनलाल शिंदे, एसके दुबे, प्रमोद नामदेव ,अर्शी खान, भागीरथ कछवाय, सी एल शरावत, कैलाश गोठानिया, रमेश झाला, माताप्रसाद मोर्य,कामरेड मातोरकर, अकबर अहमद, मौलाना शाहिद हुसैन, इकबाल हुसैन अब्बासी, रजनीश जैन ,अंचल सक्सेना सहित बड़ी संख्या में वामपंथी समाजवादी दलों, किसान संगठनों से जुड़े हुए कार्यकर्ता और आसपास के ग्रामीण अंचल के किसान और खेत मजदूर शामिल हुए।


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