अहिल्या घाट पर अनोखा तर्पण: पितरों के साथ शहीदों और महापुरुषों को समर्पित सामूहिक पिंडदान


सर्वपितृ अमावस्या पर खरगोन के कुंदा तट के अहिल्या घाट पर सामूहिक तर्पण और पिंडदान का आयोजन हुआ। इसमें न केवल अपने पितरों बल्कि शहीदों, संतों और महापुरुषों का भी तर्पण किया गया। 12 वर्षीय दिव्यांश भावसार ने अपने पिता का तर्पण कर पिंडदान किया। कार्यक्रम में विभिन्न स्थानों से आए श्रद्धालुओं ने हिस्सा लिया और अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराकर वस्त्र और सुहाग सामग्री भेंट की गई।


अनूप तिवारी अनूप तिवारी
खरगोन Updated On :

सर्वपितृ अमावस्या पर कुंदा तट के अहिल्या घाट पर हुआ अनूठा पिंडदान आयोजन, पितरों सहित शहीदों, संतों और महापुरुषों का भी हुआ सामूहिक तर्पण

शहर के कुंदा तट पर बुधवार को सर्वपितृ अमावस्या के मौके पर मां अहिल्या घाट पर एक अनूठा सामूहिक तर्पण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस आयोजन में न केवल अपने पितरों का पिंडदान और तर्पण किया गया, बल्कि देश के शहीदों, संतों और महापुरुषों को भी याद किया गया। इस आयोजन के पीछे गीता गंगा ट्रस्ट के अध्यक्ष पंडित जगदीश ठक्कर का मानना है कि पितरों की मुक्ति के लिए श्राद्ध का विशेष महत्व है और जब इसे घर, नदी तट या तीर्थ में किया जाता है, तो इसका महत्व और बढ़ जाता है। उन्होंने बताया कि सर्वपितृ अमावस्या पर किए गए श्राद्ध से 16 श्राद्धकर्म की पूर्णता हो जाती है और पितृगण शाश्वत संतुष्टि प्राप्त करते हैं।

 

धर्म पिंडदान के साथ शहीदों और महापुरुषों का तर्पण

इस सामूहिक तर्पण कार्यक्रम में पितरों के साथ-साथ देश के लिए अपने प्राणों की आहुति देने वाले शहीदों और समाज के लिए अपना योगदान देने वाले महापुरुषों का भी तर्पण किया गया। पंडित ठक्कर के अनुसार तुलसी के पत्तों से किए गए पिंडदान से पितृगण प्रलय तक तृप्त रहते हैं और तुलसी की गंध से प्रसन्न होकर विष्णुलोक चले जाते हैं।

 

12 वर्षीय बालक ने किया अपने पिता का तर्पण

खरगोन के ब्राह्मणपुरी निवासी 12 वर्षीय दिव्यांश भावसार ने भी इस सामूहिक तर्पण कार्यक्रम में हिस्सा लिया और अपने पिता का पिंडदान किया। मीडिया प्रभारी धर्मेंद्र भावसार ने बताया कि इस कार्यक्रम में भाग लेने वालों ने न केवल अपने माता-पिता बल्कि अपने रिश्तेदारों, गुरु, मित्रों, शिष्य और पड़ोसियों के नाम का भी तर्पण किया।

शहीदों और संतो का सामूहिक तर्पण

कार्यक्रम के दौरान देश के शहीदों, जिनका कोई परिवार नहीं है, का भी तर्पण किया गया। इसके अलावा आदिगुरु शंकराचार्य, अहिल्याबाई, तुलसीदास जी, श्री पूर्णानंद जी और अन्य संतों का भी सामूहिक तर्पण हुआ। इस अवसर पर ब्रह्म यज्ञ, देव, मनुष्य, यम, पितृ तर्पण और भिष्म तर्पण के साथ वैश्वदेव यज्ञ का आयोजन भी किया गया।

 

पितृ दोष से मुक्ति के लिए भी विशेष तर्पण

पंडित ठक्कर ने बताया कि जिन व्यक्तियों को पितृ दोष है, वे भी इस दिन जल तर्पण और पिंडदान करके इस दोष से मुक्त हो सकते हैं। इस दौरान आयोजन में उपस्थित लोगों ने अपने पितरों के अलावा उन लोगों के लिए भी तर्पण किया, जिनका इस दुनिया में कोई नहीं है। कार्यक्रम में उपस्थित संतोष गुप्ता और बंटी भावसार ने कहा कि तर्पण करने से आत्मा को शांति मिलती है और घर में सुख-शांति बनी रहती है।

 

अलग-अलग स्थानों से पहुंची श्रद्धालुओं की भीड़

इस आयोजन में खरगोन, सेंधवा, चाचरिया, मांगरुल और आसपास के कई स्थानों से लोग भाग लेने पहुंचे। कार्यक्रम के अंत में ब्राह्मणों को भोजन कराया गया और उन्हें वस्त्र तथा महिलाओं को सुहाग की सामग्री भेंट की गई।

 



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