बेटियों ने निभाया पिता का फर्ज, पगड़ी रस्म में पेश की मिसाल


खरगोन के भाटवाड़ी मोहल्ले में एक अनूठी पगड़ी रस्म का आयोजन हुआ, जहां विश्वनाथ पंडित की छह बेटियों ने अपने बीमार पिता की जिम्मेदारी निभाते हुए रस्मों को पूरा किया। उन्होंने न सिर्फ मां की अर्थी को कंधा दिया, बल्कि पगड़ी रस्म भी निभाई। बेटियों के इस साहस और समर्पण को देखकर समाज के लोग भावुक हुए और उनकी सराहना की।



बनी बनाई परंपराओं को चुनौती देते हुए एक भावुक और प्रेरणादायक घटना शहर के भाटवाड़ी मोहल्ले में देखने को मिली। यहां 88 वर्षीय विश्वनाथ पंडित की पत्नी उषा पंडित का 8 सितंबर को निधन हो गया था। कुछ दिनों बाद आयोजित उनकी पगड़ी रस्म में एक अनूठी मिसाल पेश हुई, जब उनकी सभी बेटियों ने इस रस्म की जिम्मेदारी निभाई।

पगड़ी रस्म के दौरान विश्वनाथ पंडित को उनकी छह बेटियों—साधना, सपना, सुलक्षणा, विजेता, नेहा, और नीता—ने स्ट्रेचर पर उठाकर कार्यक्रम स्थल तक पहुंचाया। यह दृश्य इतना भावुक था कि वहां मौजूद हर व्यक्ति की आंखें नम हो गईं। बेटियों ने अपनी मां के अंतिम संस्कार की सभी रस्मों को भी खुद अदा किया था, जिसमें सबसे छोटी बेटी, डॉक्टर विजेता पंडित ने अपनी मां को मुखाग्नि दी। मां की अर्थी को कंधा देकर और सारी परंपराओं को निभाते हुए बेटियों ने साबित कर दिया कि वे बेटों से किसी भी मायने में कम नहीं हैं।

परिवार का एकमात्र बेटा कुछ वर्ष पूर्व एक दुखद दुर्घटना में निधन हो गया था, जिसके बाद से पंडित जी लंबे समय से बीमार चल रहे हैं और बिस्तर पर ही रहते हैं। ऐसे में जब माता के निधन पर पगड़ी रस्म का समय आया, तो परिवार की बेटियों ने अपने पिता का साथ निभाते हुए इस जिम्मेदारी को पूरी शिद्दत से निभाया। यह घटना उन सभी लोगों के लिए एक प्रेरणा का स्रोत बनी, जो अब भी मानते हैं कि केवल बेटा ही परिवार की जिम्मेदारी उठा सकता है।

 

समाज के कई लोग इस रस्म में शामिल हुए और सभी ने बेटियों के इस समर्पण और साहस की भूरी-भूरी प्रशंसा की। उपस्थित समाजजनों ने कहा, “बेटियां अगर ऐसी हो, तो हमें गर्व है कि वे किसी भी स्थिति में बेटे से कम नहीं हैं।” इस घटना ने यह साबित किया कि समय बदल रहा है और बेटियां हर मोर्चे पर आगे बढ़कर अपनी जिम्मेदारी निभाने में सक्षम हैं।

 


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