इंदौर। इंदौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डॉ. बी.एस. सेतिया ने बताया कि स्वास्थ्य विभाग लोगों की सेहत पर वायु प्रदूषण के दुष्प्रभाव को क्यों एक बड़ी चुनौती के रूप में देखता है। महीन कणों और कई किस्म के हानिकारक तत्वों वाला वायु प्रदूषण एक अदृश्य खतरा है, जो हमारी सेहत को खराब करता है। इन दिनों इंदौर में हम अस्थमा जैसी सांस की बीमारियों के साथ ही कैंसर, स्ट्रोक, डायबीटिज़, हाइपरटेंशन और गर्भवति महिलाओं में इक्लैंप्सिया और प्रीक्लैंप्सिया के बढ़ते केसेस देख रहे हैं। इस विषय पर विस्तार से बात करते हुए डॉ. सेतिया यह भी बता रहे हैं कि विभाग ने बचाव के लिए अब तक क्या प्रयास किए, भविष्य की क्या योजना है-
लोगों की सेहत पर वायु प्रदूषण का क्या असर हो रहा है?
जन्म से लेकर मृत्यु तक, यानी अंत समय तक भी हमें सांस की सबसे ज्यादा जरूरत होती है। वायु ही हमारा प्राण है, उसमें अगर कोई खराबी हो जाएगी या उसे दूसरी गैसेस प्रदूषित करेंगी तो उससे हमें कई किस्म की दिक्कतें होंगी। हमें कई किस्म की बीमारियां हो सकती हैं। हम उन महिलाओं की बात करें जो गर्भवति हैं, तो उनमें इक्लैंप्सिया और प्रीक्लैंप्सिया के केसेस बढ़ जाएंगे और जो बच्चे पैदा होंगे वो प्रीमैच्योर होंगे। इक्लैंप्सिया के कारण गर्भावस्था के दौरान रक्तचाप बढ़ने और पेशाब में प्रोटीन की मात्रा बढ़ने (प्रीक्लैंप्सिया) की समस्या हो सकती है. समय से पहले कुछ बच्चे पैदा होंगे या हो सकता है कोई सामान्य से कम वज़न का बच्चा पैदा होगा, उससे भी समस्याएं होंगी। वयस्कों की बात करें तो अस्थमा के केसेस बढ़ सकते हैं। हमारी लाइफस्टाइल अच्छी नहीं रहेगी तो डायबिटीज़ के मामले भी बढ़ेंगे। एडल्ट्स में डायबिटीज के केसेस काफी बढ़ गए हैं। हाइपरटेंशन, ब्लड प्रेशर के केसेस काफी बढ़े हुए हैं। हम उसी तरह देखें तो समय से पहले स्ट्रोक के काफी केसेस बढ़ गए हैं। इसके अलावा ओल्ड एज लोगों में भी अगर हम देखेंगे तो कार्डियोरेस्पिरेटरी डिजीज़ वगैरह नजर आती हैं। कैंसर की बीमारी का हमारे पास काफी बड़ा बर्डन आ गया है। कैंसर की बीमारी आजकल काफी फैल रही है। इसलिए जो भी वायु प्रदूषण हमारे आस-पास दिख रहा है, उसे कंट्रोल करने के लिए हमें कोई न कोई उपाय करने चाहिए।
शहर का स्वास्थ्य विभाग वायु प्रदूषण को एक बड़ी समस्या क्यों मानता है?
कैंसर और अस्थमा के अलावा लोअर रेस्पिरेटरी इन्फेक्शन और निमोनिया वगैरह के केसेस हैं वो गंभीर रूप से हमारे लिए परेशानी की वजह है। हम कोशिश करें कि वायु प्रदूषण को नियंत्रित करें। हम लोग अगर वायु शुद्ध रखेंगे तो बीमारियों से अपना बचाव भी कर सकते हैं। हम अपने परिवार का बचाव कर सकते हैं साथ ही समाज के ऊपर या अपने ऊपर जो आर्थिक बोझ आ रहा है वह भी कम हो जाएगा।
नागरिकों को वायु प्रदूषण से बचाने के लिए स्वास्थ्य विभाग क्या कदम उठा रहा है?
हम लोग बाकायदा आशा (Accredited Social Health Activists) कार्यकर्ताओं अपने जमीनी कर्मचारियों और एएनएम (Auxiliary Nurse Midwife) के साथ वायु प्रदूषण और सेहत को लेकर मीटिंग कर रहे हैं। इसके अलावा हमारी जिला प्रशासन के साथ बैठकें होती हैं। हमारी नगर निगम अधिकारियों के साथ भी बैठक होती है। बीच-बीच में सूचनाओं के प्रसार और शिक्षण-प्रशिक्षण जैसी गतिविधियां संचालित करते रहते हैं।
स्वास्थ्य विभाग वायु प्रदूषण को अपने काम में कैसे एकीकृत कर रहा है?
हमारी एनजीओज़ की भी टीमें हैं- जैसे हमारी क्लीन एयर कैटालिस्ट टीम वाली टीम है। हमारे राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनपीसीसीएचएच) के अंतर्गत भी हमने काफी लोगों को प्रशिक्षण दिया हैं। इस प्रोग्राम के अंतर्गत हमने आशा कार्यकर्ताओँ, सीएचओ, एएनएम और यहां तक कि मेडिकल ऑफिसर्स को भी जागरूक करने के लिए ट्रेनिंग दे दी है। हमारे लगभग 19 डिपार्टमेंट्स हैं, जिनकी वायु प्रदूषण के सेहत पर प्रभाव को लेकर इंटरडिपार्टमेंटल मीटिंग्स हुई हैं। जिला स्तर पर भी हमारी लगातार बैठकें हो रही हैं।
इंदौर में वायु प्रदूषण के स्रोत क्या हैं? इस शहर को वायु प्रदूषण से लड़ने के लिए क्या करना चाहिए?
हम वायु प्रदूषण से बचने के लिए काफी कुछ कर सकते हैं। घरों में जो धुआं चूल्हे से हो रहा है उसको हम कंट्रोल कर सकते हैं। घर के आस-पास जो कूड़ा-कचरा जमा होता है उसे लेकर आए दिन हम लोगों को ऐसा लगता है कि हम इसको जला दें। अगर ऐसा होता है तो यह भी एक कारण है वायु प्रदूषण बढ़ने का। नगर निगम कचरा गाड़ी में ही हम लोग कचरा डालें और इसे जलाने की कोशिश ना करें। इससे भी काफी हफ तक हमें वायु प्रदूषण से राहत मिलेगी।
वाहनों के वायु प्रदूषण से बचाव के क्या उपाय हैं? इनसे इंदौर के नागरिकों के स्वास्थ्य को क्या लाभ होगा?
वाहनों की संख्या लगातार बढ़ती जा रही है। हम देखें कि इस संख्या को हम लोग वायु प्रदूषण कम करने के लिए कैसे कंट्रोल कर सकते हैं? हम लोग जिस जगह जा रहे हैं, जहां तक हो सके पैदल जाएं। हम साइकिल का उपयोग कर लें या फिर पब्लिक ट्रांसपोर्ट का उपयोग कर सकते हैं। मेट्रो वगैरह से चले जाएं। हांलाकि इंदौर में अभी मेट्रो चालू नहीं हुई है, मगर जल्दी ही हो जाएगी। इस तरह से हम पब्लिक ट्रांसपोर्ट का जितना उपयोग करेंगे उससे हमारे प्राइवेट व्हीकल मिनिमाइज़ हो जाएंगे। तो उससे भी वायु प्रदूषण कम हो जाएगा।
वायु प्रदूषण के खतरों के प्रति लोगों को जागरूक करने के लिए क्या योजना है?
केंद्र सरकार की ओर से शुरू किए गए राष्ट्रीय जलवायु परिवर्तन एवं मानव स्वास्थ्य कार्यक्रम (एनसीसीपीएचएच) की गाइडलाइन्स के अनुसार हम लोग विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर रहे हैं। उसमें हमें बताया गया है कि वायु प्रदूषण को किस तरह कंट्रोल किया जाए। हमारी स्टेट की जो गाइडलाइन्स हैं उनके हिसाब से हम लोग कार्यक्रम संचालित करते हैं। हम विभागवार समीक्षा भी कर रहे हैं। हमारी सभी सीएससी, पीएससी और जो हमारे सब-सेंटर है उस लेवल तक महिला आरोग्य समितियां बनी हुई हैं। उनके माध्यम से भी हम घर-घर और गांव-गांव जाकर वायु प्रदूषण को किस तरह हम रोक सकते हैं, इसकी जानकारी हम आम लोगों तक पहुंचाते हैं।
स्वास्थ्य अधिकारियों, आशा और एएनएम के लिए वायु प्रदूषण प्रशिक्षण कार्यक्रमों के बारे में बताएं।
क्लीन एयर कैटालिस्ट प्रोजेक्ट के साथी हमारे साथ जुड़े हुए हैं और वही हेल्थ डिपार्टमेंट के साथ सहयोग काफी कर रहे हैं। उन्हीं के साथ मिलकर हम लोगों ने वायु प्रदूषण और स्वास्थ्य को लेकर प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए हैं। हमारे आईडीएसपी (Integrated Disease Surveillance Program) डिपार्टमेंट ने बैठकें करके आशा कार्यकर्ताओं को जागरूक किया है। उनको बताया गया है कि किस तरह वायु प्रदूषण को हम कंट्रोल कर सकते हैं। उन्हें इन मीटिंग्स में यह सारी समझाइश दी गई इस कार्यक्रम को कैसे लागु करना है।