इंदौर। महू के मानपुर में भगवान परशुराम की जन्मस्थली जानापाव में नए मंदिर का निर्माण पूरा हो चुका है। यहां प्राण प्रतिष्ठा महोत्सव 8 जून से शुरू होगा। इस मंदिर का निर्माण करीब चार साल से जाती था। जिस पर करीब साढ़े चार करोड़ रूपये खर्च किए गए हैं। इस स्थान को एक नए धार्मिक पर्यटन स्थल के रूप में विकसित किया जा रहा है।
उल्लेखनीय है कि परशुराम जन्मस्थली मध्यभारत में सबसे प्राचीन धार्मिक स्थलों में से एक है जहां बड़े पैमाने पर श्रद्धालु दर्शन के लिए आते हैं। यहां का शिव मंदिर भी सदियों पुराना बताया जाता है जिसका जीर्णोद्धार किया गया है और अब यहां एक नया मंदिर बनाया गया है। इसके लिए पत्थर राजस्थान से लाए गए हैं।
परशुराम जन्मस्थली जानापाव पर्वत पर है यह प्रदेश की दूसरी सबसे ऊंची चोटी है। पहले यहां तक पहुंचना भी बेहद मुश्किल होता था लेकिन क्षेत्र के बहुत से लोगों ने रुचि लेकर जानापाव पहाड़ी तक का रास्ता बनवाया। इस काम में महू के भाजपा नेता स्वर्गीय अशोक पाटीदार की अहम भूमिका रही।
जमदग्नि ट्रस्ट के सदस्यों ने बताया कि मंदिर की प्राण प्रतिष्ठा समारोह 8 जून से शुरू होगा और तीन दिनों तक जारी रहेगा।
इस तीन दिवसीय महोत्सव का शुभारंभ कलश यात्रा और मंडप पूजन के साथ होगा। इसके बाद 9 जून को महापूजन महाआरती होगी तथा अंतिम दिन 10 जुलाई को पूर्णाहुति के साथ भोजन प्रसादी का आयोजन होगा।
शुक्ला ने बताया कि यह एक धार्मिक स्थल है जो भारत भर में रहने वाले लाखों लोगों की आस्था का केंद्र है और यही वजह है कि यहां प्रतिवर्ष बड़ी संख्या में श्रद्धालु आते हैं।
इस काम में प्रदेश सरकार ने भी रुचि ली है। उन्होंने कुछ समय पहले मंदिर में संस्कृत विद्यालय बनाने की भी घोषणा की थी हालांकि इसका काम की कोई ठोस शुरुआत अब तक यहां नहीं हुई है लेकिन बताया जाता है कि इसके लिए भी जल्दी ही तैयारियां शुरू की जाएंगी।
स्थानीय विधायक व पर्यटन मंत्री उषा ठाकुर ने इसके लिए एक विशेष कार्य योजना बनाई है। जिसमें गुरुकुल की स्थापना के साथ-साथ अन्य धार्मिक कार्यक्रम के लिए भी व्यवस्थाएं भी की जाएंगी।
परशुराम मंदिर के बारे में जानकारी देते हुए सदस्य और भाजपा नेता राम किशोर शुक्ला ने बताया कि मंदिर के निर्माण में करीब एक ट्रक लाल पत्थर जयपुर से मंगाए गए हैं। इस मंदिर में भगवान परशुराम की संगमरमर की मूर्ति की स्थापना की जाएगी।
यहां मुख्य रूप से उत्तर प्रदेश से महंत सर्वानंद ब्रह्मचारी, पंजाब के संपूर्णानंद ब्रह्मचारी तथा पंजाब के नीलेश चैतन्य ब्रह्मचारी विशेष रूप से मौजूद रहेंगे।
इस मंदिर को लेकर अनेक मान्यताएं हैं। बताया जाता है कि यहां पर ऋषि परशुराम की माता रेणुका तथा पिता ऋषि जमदग्नि की तपोभूमि है। इन्हीं के पास कामधेनु गाय भी थी।