इंदौर। नगर निगम कर्मियों द्वारा कमजोर बुजुर्गों को एक गाड़ी में भरकर इंदौर-देवास हाइवे पर छोड़ने का वीडियो शुक्रवार को वायरल होने से हड़कंप मच गया। वायरल वीडियो पर कांग्रेस ने विरोध शुरू कर दिया है और नगर निगम के अधिकारियों के साथ प्रदेश सरकार के रवैये पर भी सवाल खड़े किए हैं।
वायरल हो रहे वीडियो में निगम के कुछ कर्मचारी बुजुर्ग कमजोर महिला और पुरुष बुजुर्ग को गाड़ी से उतारते और फिर बैठाते हुए दिख रहे हैं। गाड़ी में कुछ और बुजुर्ग व उनका सामान नजर आ रहा है।
वीडियो शिप्रा के आसपास का बताया जा रहा है, लेकिन यह साफ नहीं हुआ है कि यह किस दिन का वाकया है। मौके पर मौजूद किसी व्यक्ति ने यह वीडियो शूट करते हुए बताया है कि निगमकर्मी बुजुर्गों को सड़क किनारे फेंकने आए हैं और बुजुर्गों को इंदौर नगर निगम का गाड़ी में भरकर लाया गया है।
जब गांव वाले वीडियो बनाने लगे और निगमकर्मियों को फटकारे लगे तो उन्हें फिर से गाड़ी में बैठा दिया गया। वीडियो बनाने के दौरान ही ग्रामीणों ने निगमकर्मियों से कहा कि कम से कम बुजुर्गों को इस तरह नहीं फेंकना चाहिए।
वीडियो में नगर निगम के कर्मचारियों की संख्या तीन थी, जो यह काम कर रहे थे। निगम के अतिक्रमण निरोधक दस्ते की गाड़ी एमपीएफ7622 से बुजुर्गों को हाइवे पर छोड़ने लाया गया था।
देखिये वायरल हो रहा वीडियो –
अधिकारियों ने वीडियो सामने आने के बाद केवल इतना ही कह कर अपना पल्ला झाड़ लिया है कि इस मामले की जांच की जा रही है। बता दें कि इसी माह स्वच्छता सर्वेक्षण होना है और इसके कारण लगातार पांचवीं बार सबसे स्वच्छ शहर का तमगा हासिल करने के लिए इंदौर नगर निगम कोई कसर नहीं छोड़ रहा है।
कांग्रेस ने अधिकारियों के साथ-साथ सरकार पर भी साधा निशाना –
वहीं, कांग्रेस नेताओं ने मामले पर नगर निगम, जिला प्रशासन और सरकार से कहा है कि स्पष्ट करना चाहिए कि यह सब किसके आदेश से हो रहा है। मामले की मानवाधिकार आयोग को शिकायत की गई है। कर्मचारियों के साथ अधिकारियों पर भी प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई है।
कांग्रेस के प्रवक्ता नीलाभ शुक्ला ने वीडियो सामने आने के बाद मानवाधिकार आयोग को शिकायत की है। उन्होंने कर्मचारियों के साथ-साथ ऐसा करने का आदेश देने वाले अधिकारियों पर भी प्रकरण दर्ज करने की मांग की गई है।
कांग्रेस नेताओं ने कहा कि प्रकरण में जांच होना चाहिए कि आखिर कितने समय से ऐसा किया जा रहा है। अब तक कितने बुजुर्गों और बेसहारा गरीबों को ऐसे जंगल में छोड़ा जा चुका है। ठंड के दौरान कई लोग बीमार हुए होंगे और जान भी चली गई होगी। मामले में नगर निगम पर आपराधिक प्रकरण दर्ज होना चाहिए।