इंदौर। ज़िले के कई ग्रामीण इलाकों में इन दिनों फार्म हाउस के नाम पर कॉलोनियां काटी जा रहीं हैं। लोगों को प्राकृतिक वातावरण के करीब रहने के सपने दिखाकर ये कॉलोनाइजर सीधे खेती की ज़मीनों पर पांच से दस हजार वर्ग फुट जमीन पर फार्म हाउस बेच रहे हैं।
महू तहसील में इस तरह के फार्म हाउस वाली कई कॉलोनियां इन दिनों बन रहीं हैं। जिनमें किसी तरह की अनुमति नहीं ली जा रही है। जिला प्रशासन को इस तरह की कॉलोनियों के बारे में कई शिकायतें मिल रहीं थीं। जिसके बाद अब इनके खिलाफ कार्रवाई की जा रही है।
महू एसडीएम जैन ने ऐसी ही एक फार्म हाउस प्रोजेक्ट पर कार्रवाई की है। प्रशासन के मुताबिक भगोरा गांव के तहत आने वाली पातालपानी के नज़दीक एक जमीन पर फार्म हाउस बेचे जा रहे थे। यहां भूमि खसरा नंबर 549/1, 550/1, 550/2, 550/3, 550/4, 550/5, 552/4 पर 6.030 हेक्टेर जमीन पर फार्म हाउस बनाकर लोगों को बेचे जा रहे थे।
जानकारी के मुताबिक इस ज़मीन के मालिक अब्दुल रसीद, हेमलता खटीक, गुलाब राजौरा, आत्माराम माली, दयाराम माली, कृष्णाबाई, शंकरलाल एवं गोपाल ने लोकेश वर्मा नामक व्यक्ति के साथ ज़मीनों का अनुबंध किया था। जमीनों मालिकों ने वर्मा को उनकी ज़मीन पर छोटे-छोटे फार्म हाउस बनाकर बेचने के लिए अधिकृत किया था। जिसके बाद से वर्मा तमाम तरह के विज्ञापनों का सहारा लेकर यहां के प्लॉट दो से ढ़ाई सौ रु प्रति वर्ग फुट की दर पर बेच रहा था। इस ज़मीन पर करीब सौ से अधिक प्लॉट काटे गए थे और लोकेश वर्मा ने अब तक 77 लोगों को प्लाट विक्रय किया जा चुका था ।
प्रशासन की जांच में पाया कि लोकेश वर्मा सहित सभी भू-स्वामियों में से किसी के पास भी कॉलोनाइजर लाइसेंस, टी.एन.सी.पी द्वारा अनुमोदित कॉलोनी अभिन्यास एवं कॉलोनी विकास अनुमति नहीं थी। बगैर इन नियमित अनुमतियों के मात्र केवल डायवर्सन के आधार पर कॉलोनी का निर्माण एवं प्लॉटों का क्रय प्रचलित था। जिसके बाद प्रशासन ने कॉलोनी के निर्माण कार्य व प्लाट विक्रय पर पूरी तरह रोक लगा दी है एवं कॉलोनाइजरों के विरुद्ध म.प्र. पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम की धारा 61-घ के तहत थाना किशनगंज में एफआईआर दर्ज की गई है।
भगोरा में जिन लोगों ने फार्म हाउस खरीदे हैं उनमें लगभग सभी इंदौर शहर के रहने वाले हैं और पिकनिक या सुकून की चाह में भगोरा के पातालपानी के नज़दीक आकर रहना चाहते हैं। इसके लिए सोशल मीडिया प्लेटफार्म पर इस तरह के कई विज्ञापन चलाए जाते हैं। एक प्लॉट की कीमत करीब बीस लाख रुपये तक होती है। ऐसे में भगोरा की ही इस फार्महाउस की कॉलोनी पर करीब दस करोड़ रुपये से अधिक के प्लॉट बेचे जा चुके हैं। मामले में स्थानीय राजस्व कर्मचारियों की भूमिका भी संदिग्ध बताई जाती है। यहां पिछले करीब डेढ़ साल से प्लॉट बेचे जा रहे थे लेकिन स्थानीय पटवारी आदि ने इस पर कोई कार्रवाई नहीं की और न ही रिपोर्ट वरिष्ठ अधिकारियों को सौंपी।
क्या है नियम… मध्यप्रदेश पंचायत राज एवं ग्राम स्वराज अधिनियम 1993 की धारा 61 घ(3) में ग्राम पंचायत के क्षेत्राधिकार में निर्मित अवैध कॉलोनियों के खिलाफ कार्रवाई के लिए उपखंड अधिकारी(राजस्व) हेतु प्रावधानित किया गया है। ऐसे में यदि कोई अवैध कॉलोनी निर्माण करता है। उसे 6 माह के कारावास के साथ 10 हजार रुपए के अर्थदंड से दंडित किया जाएगा।
ऐसा नहीं है कि केवल भगोरा में इस तरह की कॉलोनियां बनाईं जा रहीं हैं बल्कि महू तहसील के कई इलाकों में इस तरह खेती की जमीन काटकर प्लॉट बेचे जा रहे हैं। कॉलोनाइज़र ये अवैध कॉलोनियां लोगों को पूरी तरह वैध बताकर बेचते हैं। ग्राहकों के मुताबिक उन्हें बताया जाता है कि प्रशासन पांच हज़ार वर्ग फुट से अधिक के प्लॉट पर निर्माण करने पर कोई कार्रवाई नहीं करता है और वे फार्म हाउस खरीद रहे हैं न कि कोई प्लॉट। ऐसे में उन्हें फार्म हाउस के नाम पर बिना किसी तरह की अनुमति की प्लॉट- ज़मीनें बेच दी जाती हैं।