इंदौर। भारतीय समाज पर डॉ. भीमराव आंबेडकर का क्या प्रभाव है इसे समझना मुश्किल नहीं। यह समाज आंबेडकर से कई तरह से जुड़ा है। आंबेडकर को अनुयायियों में उनकी धरती भी किसी देवस्थान से कम नहीं है। जया और राकेश भी यह सोचते हैं और इसीलिए उन्होंने अपने जीवन का सबसे अहम दिन आंबेडकर की जन्मस्थली महू में मनाया।
इंदौर के राजेंद्र नगर की रहने वाली जया तायड़े और राजस्थान में कोटा जिले के रहने वाले दीपक ने 28 जनवरी को महू में शादी की। आंबेडकर उनके लिए एक ज्ञान और उत्थान का प्रतीक हैं। आंबेडकर से अपने जुड़ाव को करीब से महसूस करने वाले राकेश और जया ने अपने जीवन की नई शुरुआत इसी तरह करने की सोची।
गुरुवार को उन्होंने महू के सात रस्ता स्थित आंबेडकर वाचनालय में शादी की। इस दौरान कुछ करीबी लोग मौजूद रहे। दोनों ने एक दूसरे को वर माला पहनाई और महत्मा बुद्ध की मूर्ती को साक्षी मानकर एक दूसरे को अपना जीवनसाथी मान लिया।
आंबेडकरवादियों के लिए भी इस जोड़े की शादी एक मिसाल रही। जहां एक देश और दुनिया के महान समाज सुधारक के प्रति सच्ची श्रद्धा नज़र आई। यहां न तो फिज़ूलखर्च किया गया और न ही किसी तरह का दिखावा। महू में ऐसी शादी की ख़बरें शायद ही कभी सुनने को मिलती हैं। इस जोड़े की इस सादगी को देखकर कई लोग प्रभावित भी हुए।
दोनों के मुताबिक उनके लिये यह दिन सबसे ख़ास है और उन्होंने इसे सबसे ख़ास जगह ही मनाया है। प्रतीकात्मक रूप से भी देखें तो महू में चंद्रोदय वाचनालय बेहद खास जगह है। आंबेडकर अपने जन्म के कुछ ही समय बाद अपने माता-पिता के साथ महू से महाराष्ट्र चले गए।
इसके बाद डॉ. आंबेडकर केवल एक बार महू आए और कुछ घंटे ही रुके। इस दौरान उन्होंने चंद्रोदय वाचनालय में नागरिकों से बातचीत की थी। तब से ही चंद्रोदय वाचनालय का खास महत्व हो गया और यह एक तरह से आंबेडकर का प्रतीक बन गया। इस वाचनालय में अब तक चार जोड़े इसी तरह से विवाह कर चुके हैं।