बजट की कमी से धीमा हुआ है इंदौर-दाहौद रेलवे लाइन का काम, बंद नहीं


एम आलोक कंसल ने कहा कि पश्चिम रेलवे ने आगामी पंद्रह वर्ष तक की कार्य योजना तैयार कर रखी है जिसे स्वीकृति भी मिल गई। अब जैसे राशि मिल रही है उसी प्राथमिकता के आधार पर काम किए जा रहे हैं।


अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :
महू रेलवे स्टेशन पर जीएम आलोक कंसल और उनकी पत्नी


इंदौर। पश्चिम रेलवे के महाप्रबंधक आलोक कंसल ने सोमवार को महू से  ओंकारेश्वर तक ही रेल लाईन का विंडो निरीक्षण किया। इस दौरान महू रेलवे स्टेशन पर पत्रकारों से चर्चा करते हुए कहा कि इंदौर- दाहोद लाइन का काम बजट की कमी के कारण धीमा जरूर हुआ है लेकिन बंद नहीं किया गया है। पश्चिम रेलवे के बीस लाख करोड़ रूपये के कार्य स्वीकृत हो चुके हैं और प्रतिवर्ष एक से डेढ लाख करोड़ के काम हो रहे हैं। हमें जैसे-जैसे राशि मिलती है वैसे ही हम काम कर रहे हैं।

महाप्रबंधक आलोक कंसल व उनकी धर्मपत्नी  तनुजा कंसल दोपहर 11.41 बजे विशेष रेल से महू रेलवे स्टेशन पहुंचे। यहां पर रेलवे अधिकारियों व कर्मचारियों ने स्वागत किया। साथ ही अपनी मांगों के निराकरण की मांग को लेकर ज्ञापन भी सौंपे गए। इस दौरान तनुजा कंसल ने रेल कोच में लगाने के लिए वेस्टर्न रेलवे वूमन वेलफेयर संस्था द्वारा दी गई आरओ मशीन का उद्घाटन किया।

यहां चर्चा करते हुए जीएम आलोक कंसल ने कहा कि पश्चिम रेलवे ने आगामी पंद्रह वर्ष तक की कार्य योजना तैयार कर रखी है जिसे स्वीकृति भी मिल गई। अब जैसे राशि मिल रही है उसी प्राथमिकता के आधार पर काम किए जा रहे हैं। कंसल का यह पहला दौरा है उन्होंने कहा कि अभी जो भी विकास कार्य हो रहे है पहले उन्हें मैं देखूगां, समझूंगा, इसके बाद कुछ कह और कर पाउंगा।

दाहोद रेलवे लाइन के बारें में कहा कि यह काम बंद नहीं किया गया राशि के कारण धीमी गति से किया जा रहा है। महू इंदौर के बीच डेमू रेल चलाने के संबंध में कहा कि इस पर सभी
विभागों से चर्चा करने के बाद ही निर्णय लिया जाएगा। हम लगातार प्रयास कर रहे हैं कि रेल सेवा शुरू हो और धीरे-धीरे लंबी दूरी की रेल शुरू भी की जा रही है।

महू से चोरल तक चलने वाली हेरीटेज रेल शुरू करने के सवाल पर अधिकारी ने कहा कि पहले हमें यात्री तो मिलें, अगर यात्री ही नहीं मिलेंगे तो हैरिटेज रेल शुरू करने से कोई लाभ नहीं है। इस दौरान रेलवे अधिकारियों, कर्मचारियों व संगठनों ने अपनी अपनी मांगों के संबंध में ज्ञापन सौंपे। इसके बाद विशेष रेल से ओंकारेश्वर के लिए रवाना हो गए।

 


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