मप्र में कमलनाथ भले ही कांग्रेस छोड़कर नहीं गए लेकिन उनके सर्मथक यहां रुक नहीं रहे हैं। छिंदवाड़ा से विधायक कमलेश प्रताप शाह के साथ ही इंदौर के स्वप्निल कोठारी भी कांग्रेस छोड़ चले हैं। इंदौर में शिक्षा क्षेत्र से जुड़े कारोबारी कोठारी विधानसभा चुनावों में इंदौर की पांच नंबर विधानसभा से टिकिट न मिलने से नाराज़ थे और कांग्रेस से दूर हो गए थे। ऐसे में अब उन्होंने भाजपा में शामिल होकर इस दल से अपनी नज़दीकियां भाजपा से बढ़ा ली हैं।
मप्र में कांग्रेस के प्रमुख रहते हुए कमलनाथ ने खुद को एक अलग शक्ति केंद्र बना रखा था। जिनकी सीधा मुकाबला पार्टी के शीर्ष नेतृत्व से था। ऐसे में वे अपने और कांग्रेस के नेताओं के बीच एका बनाने में बुरी तरह विफल साबित हुए। इसका एक उदाहरण इंदौर में देखने को मिला, जब पूर्व विधायक सत्यनारायण पटेल को उन्होंने अपने दायरे से बाहर रखा क्योंकि वे प्रियंका गांधी के करीबी थे। वहीं स्वप्निल कोठारी उनके करीबी थे जिन्हें पांच नंबर से टिकिट दिलवाने की कोशिश की गई लेकिन यह एक टिकिट प्रियंका गांधी के कोटे से पटेल को मिला। हालांकि प्रियंका के करीबियों में कोठारी का भी नाम आता है लेकिन इस बार पटेल बाजी मार ले गए। इसके बाद से कोठारी नाराज़ चल रहे थे। कोठारी को एक नए चेहरे के तौर पर मौका मिलना चाहिए था लेकिन सत्यनारायण पटेल ने इस इलाके में ज्यादा काम किया था और वे स्वभाविक दावेदार माने जा रहे थे। ऐसे में उन्हें टिकिट मिल गया।
स्वप्निल कोठारी और सत्यनारायण पटेल में एक बैर था जिसके चलते पटेल ने उन्हें मोहल्ले का नेता तक कह दिया था। ऐसे में कोठारी नाराज़ थे और उन्होंने कांग्रेस से खुद को दूर कर लिया था। हालांकि राहुल गांधी की भारत जोड़ो यात्रा के दौरान कोठारी ने काफी काम किया था और विधानसभा चुनावों में भी उन्होंने पार्टी के लिए काम किया था लेकिन वे टिकिट न मिलने के रंज से उभर नहीं सके और पार्टी छोड़ दी।