इंदौर। मध्यप्रदेश के इंदौर स्थित कृषि कॉलेज की जमीन अधिग्रहण के मामले पर शिवराज सरकार ने यू-टर्न ले लिया है। छात्रों के लगातार विरोध के बाद अब राज्य सरकार बैकफुट पर आ गई है और फैसला किया है कि इसकी जमीन का अधिग्रहण नहीं किया जाएगा।
इंदौर कृषि कॉलेज की जमीन का अधिग्रहण नहीं करने के लिए सीएम शिवराज ने अधिकारियों को निर्देश दिया है कि जमीन का उपयोग यथावत रखा जाए। एबीवीपी प्रतिनिधिमंडल से मुलाकात के बाद सीएम चौहान ने अधिकारियों को ये निर्देश दिए हैं।
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह चौहान ने अधिग्रहण रोकने संबंधी जानकारी ट्वीट कर दिया। उन्होंने लिखा है कि आज इंदौर में एबीवीपी के प्रतिनिधि मंडल ने अपने ज्ञापन में आग्रह किया कि इंदौर के कृषि महाविद्यालय की जमीन का उपयोग यथावत रखा जाये। अन्य कोई प्रयोजन के लिए न दिया जाये। मैंने उनके आग्रह को स्वीकार कर तत्काल निर्देश दिया है कि कृषि महाविद्यालय की जमीन को यथावत रखा जाये।
आज इंदौर में @abvpindore के प्रतिनिधि मंडल ने अपने ज्ञापन में आग्रह किया कि इंदौर के कृषि महाविद्यालय की जमीन का उपयोग यथावत रखा जाये। अन्य कोई प्रयोजन के लिए न दिया जाये।
मैंने उनके आग्रह को स्वीकार कर तत्काल निर्देश दिया है कि कृषि महाविद्यालय की जमीन को यथावत रखा जाये।
— Shivraj Singh Chouhan (मोदी का परिवार ) (@ChouhanShivraj) September 11, 2022
रिपोर्ट्स के मुताबिक राज्य सरकार इस हजारों करोड़ रुपये की जमीन कॉर्पोरेट को देकर यहां बहुमंजिला इमारत और सिटी फॉरेस्ट बनाना चाहती थी। शासन के निर्देश पर जिला प्रशासन ने जमीन का अवलोकन कर महाविद्यालय प्रशासन से सारी जानकारी भी मांगी थी।
बता दें कि लगभग सौ साल पुराने कृषि अनुसंधान की बेशकीमती जमीन को हथियाने के लिए कोशिशें चालू हो गईं थी। सरकार और प्रशासन के इस कदम का कृषि कॉलेज के वर्तमान और पूर्व छात्र पुरजोर तरीके से विरोध करना शुरू कर दिया।
विरोध कर रहे छात्रों का कहना था कि कॉलेज में 20-25 साल से कई अनुसंधान परियोजनाएं चल रही हैं। यदि जमीन छीन ली गई तो भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद और अन्य अंतरराष्ट्रीय सहयोग से चल रही अनुसंधान परियोजनाएं ठप हो जाएंगी। हम एक इंच जमीन भी किसी को हथियाने नहीं देंगे।
ये छात्र लगातार 55 दिनों से धरने पर बैठे रहे और आखिरकार सरकार को उनकी मांगों के आगे झुकना ही पड़ा। सरकार ने अपने कदम पीछे खींच लिए व हजारों करोड़ रुपये की बेशकीमती जमीन कॉर्पोरेट को बेचने के मंसूबों पर पानी फिर गया।