हॉकी के उस्ताद शंकर लक्ष्मण की सोलहवीं पुण्यतिथि, इंदौर से महू पहुंचे चाहने वाले


शंकर लक्ष्मणः खेल के वे उस्ताद, जिन्हें भारत से छीनने के लिए पाकिस्तान को करनी पड़ती जंग, अपनी जन्मस्थली महू में ही लोगों ने भुला दिया!


अरूण सोलंकी
इन्दौर Published On :

इंदौर। साल 1962 में जब पाकिस्तान भारत से 1-0 से हॉकी मैच हार गया था और इस मैच में शंकर लक्ष्मण पाकिस्तानी अटैक के सामने सबसे बड़ी और मज़बूत दीवार थे। उस वक़्त पाकिस्तान कैंप के एक अधिकारी जनरल मूसा ने कहा था कि हमें शंकर लक्ष्मण दे दो और हम जीत जाएंगे तब भारत की ओर से उन्हें जवाब मिला था इसके लिए उन्हें भारत से जंग करनी होगी।

हॉकी को प्यार करने वाले जानते हैं कि इस खेल ने जिन्हें चाहा उनमें शंकर लक्ष्मण भी थे। शंकर लक्ष्मण यानी हॉकी के मैदान में खेल का उस्ताद, जिसने हॉकी को बेइंतहा चाहा और इस खेल ने भी उसे इतना ही प्यार दिया। 29 अप्रैल को शंकरलक्ष्मण को इस दुनिया से जाए हुए 16 साल हो गए। उन्हें याद करने वाले आज भी उनके दौर को हॉकी का स्वर्णिम दौर मानते हैं पर शायद उनके जन्मस्थान महू में लोगों के दिलों में महान शंकर लक्ष्मण की यादें कुछ धुंधली पड़ गईं हैं।

शुक्रवार को उनकी पुण्यतिथि पर कुछ गिनती के खिलाड़ी यहां पहुंचे और उन्हें याद किया। जो यहां आए उनमें से भी ज़्यादातर खिलाड़ी इंदौर से थे। इनमें ओलंपियन मीर रंजन नेगी भी थे।

महू में भारतीय सेना द्वारा गैरिसन मैदान के बाहर माल रोड़ पर उनकी प्रतिमा लगाई गई तथा दूसरी और उनकी उपलब्धियों की कहानी कहता एक बोर्ड भी लगाया गया था। अब ये बोर्ड टूट चुका है और गंदगी में पड़ा है। जिस सेना ने जीते-जी शंकर लक्ष्मण का सम्मान किया उन्हें ओहदा दिया उन्हीं के अधिकारियों ने शंकर लक्ष्मण को अब इस तरह भुला दिया। यहां की निकाय छावनी परिषद भी इतनी ही उदासीन बनी रही।

अपने ज़माने के खिलाड़ी जो शंकर लक्ष्मण के सम्मान में महू पहुंचे उन्हें भी ये हाल देखकर कुछ खास अच्छा नहीं लगा। हालांकि इससे भी ज़्यादा उदास करने वाला था महू के शहरियों का रवैया। शहर जहां  जिन्होंने अपने इस महान खिलाड़ी को तवज्जो नहीं दी। यहां हॉकी के दर्जनों नामचीन खिलाड़ी और सौ से ज्यादा समाजसेवी संस्थाएं हैं।

शुक्रवार को शंकर लक्ष्मण को याद करने वालों में सबसे सबसे पहले इंदौर से आए प्रकाश हॉकी क्लब के खिलाड़ी थे।  उनकी स्मृति में राजेश्वर स्कूल मैदान पर दोस्ताना मैच भी खेला। इनके साथ ऑलम्पियन  मीररंजन नेगी, अशोक यादव, ओम संकत, उजागर सिंह, पवन शर्मा थे। इन खिलाड़ियों ने महू में शंकर लक्ष्मण को याद न किये जाने पर अफ़सोस जताया। हालांकि महू से जो कुछ लोग यहां पहुंचे उनमें शंकर लक्ष्मण के पुत्र मनोहर, अमित अग्रवाल, प्रेमजीत वर्मा, नरेश वर्मा, किशोर बिवाल, मनोज दुकारिया आदि थे।


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