आंबेडकर जयंती समारोह पर भी महंगाई का असर, दो साल में 55 प्रतिशत महंगी हो गई अनुयायियों की थाली


इस बार आयोजन में करीब डेढ़ लाख लोगों के भोजन करने की उम्मीद जताई जा रही है, पिछले बारह वर्षों में थाली की कीमत करीब साढ़े तीन गुना बढ़ चुकी है.


अरूण सोलंकी
इन्दौर Updated On :
आंबेडकर जयंती से पहले महू में स्मारक पर जारी हैं तैयारियां


इंदौर। बढ़ती महंगाई का असर आंबेडकर जंयती समारोह पर भी पड़ा है। महोत्सव पर आने वाले अनुयायियों के लिए शासन द्वारा इस वर्ष भी भोजन की व्यवस्था की गई है।  2019 के समारोह के दौरान थाली की दर 45 रुपये थी जो अब 70 रुपये हो चुकी है। ऐसे में करीब 55.56 प्रतिशत महंगी हुई है।

भोजन में पांच प्रकार के व्यंजन सत्तर रूपये प्रति प्लेट में हिसाब से दिया जाएगा। जबकि बौद्ध भिक्षुयों के लिए माहेश्वरी विद्यालय में विशेष भाेजन की व्यवस्था की जाएगी जिसकी दर इससे दोगुनी होगी।

बीते बारह वर्षो से प्रदेश शासन द्वारा आंबेडकर जयंती महोत्सव पर आने वाले अनुयायियों के लिए निशुल्क भोजन की व्यवस्था की जा रही है। वहीं पिछले दो वर्ष के दौरान कोरोना काल के कारण महोत्सव का आयोजन ही नहीं हो सका था। ऐसे में अब इस वर्ष  बड़ी संख्या में अनुयायियों के आने की संभावना है। जिनके निशुल्क भोजन की व्यवस्था भी की जा रही है।

जानकारी के अनुसार इस वर्ष भी इसकी जिम्मेदारी  महू के ही सतगुरू केटरर्स को दी गई है। शासन को इस वर्ष भोजन प्रति प्लेट सत्तर रूपये के हिसाब से चुकाने होंगे। इसकी गिनती प्लेट की संख्या से होगी।

इस महोत्सव में सतगुरू केटरर्स को दसवीं बार भोजन का ठेका मिला है। करीब बारह साल पहले पहली बार सबसे पहले यह ठेका उन्नीस रूपये प्रति प्लेट के हिसाब से दिया गया था लेकिन लगातार बढ़ती महंगाई के कारण यह दर भी बढ़ती गई। इस बार अब सत्तर रूपये प्रति प्लेट की दर पर ठेकेदार को भोजन के साथ प्लेट भी देना भी शामिल है।

      2019 के आयोजन में थी 45 रुपये की थाली

      डेढ़ लाख से अधिक लोगों ने किया था भोजन

भोजन बनाकर स्टॉल तक पहुंचाने की जिम्मेदारी ठेकेदार की होगी जबकि वितरण की व्यवस्था शासन करेगा जिसके लिए हमेशा की तरह इस बार भी आंगनवाड़ी कार्यकर्ता यह व्यवस्था संभालेंगे।

 तीन दिन मिलेगा भोजनः यह  महोत्सव मुख्य रूप से तेरह अप्रैल की रात से शुरू होकर चौदह अप्रैल की शाम तक चलता है। हालांकि अनुयायियों का आना बारह अप्रैल से ही शुरू हो जाता है जो पंद्रह अप्रेल तक वापस जाते हैं।

इस तैयारी के पीछे प्रशासन का एक अंदाज़ा होता है कि एक अनुयायी तीन बार भोजन करता है। इस प्रकार अगर चालीस हजार अनुयायी आते हैं तो भोजन करने वालों की संख्या सवा लाख मानी जाती है।  इसमें से हजारों अनुयायी ऐसे भी होते है जो सिर्फ माथा टेकने आते है वे भोजन नहीं करते। हालांकि इस दौरान यहां ड्यूटी पर तैनात किये जाने वाले अधिकारी और कर्मचारी भी भोजन करते हैं। ऐसे में यहां बड़ी संख्या में लोगों को भोजन परोसा जाता है।

ये होगा मेन्यूः  महोत्सव में अनुयायियों के लिए भोजन की जो सूची तैयार की गई है उसमें पूरी, राम भाजी, कैरी की लोंजी, मीठी नुकती,  खिचड़ी तथा तली हुई मिर्च
होगी जबकि  माहेश्वरी विद्यालय में रूकने वाले बौद्ध भिक्षु व विशेष अतिथियों के लिए विशेष भोजन तैयार किया जाएगा। इसमें कुछ अलग पकवान होंगे। यही वजह है कि इसकी दर सामान्य प्लेट से दोगुनी यानी करीब 140 रुपये की होगी।

 


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